मुश्किलें चाहें कितनी भी क्यों न हो अगरव्यक्ति में हौसला है तो वह हर हालात से लड़कर सफलता हासिल कर सकता है। पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर ज़िले के भल्लीसोल गांव के रहने वाले आदिवासी किसान अमल अरी ने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। उनके गांव के आदिवासी आर्थिक तंगी में ज़िंदगी बिताने को मज़बूर थे, मगर अमल अरी की सोच अन्य लोगों से अलग थी। हालात को जस का तस स्वीकारने की बजाय वह उसे बदलने के तरीके तलाशने लगे। काजू की खेती के रूप में उन्हें ज़िंदगी संवारने का विकल्प मिल गया।
कैसे की काजू की खेती की शुरुआत?
अमल अरी ने 14 अन्य किसानों के साथ मिलकर गांव की आर्थिक स्थिति सुधारने के बारे में विचार-विमर्श किया। फिर वह इस नतीजे पर पहुंचे कि उनके लिए काजू की खेती उपयुक्त रहेगी, क्योंकि गांव की मिट्टी और जलवायु इसके लिए उचित थी। फिर अमल अरी ने खंड विकास अधिकारी से इस बारे में बात की। गांव वालों की इस पहल से खंड विकास अधिकारी खुश हुए और उन्होंने मदद का पूरा भरोसा दिलाया। फिर किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों से मिलवाया। अधिकारियों ने काजू की खेती में किसानों की मदद के लिए सहकारी खेती के लिए 20 हेक्टेयर भूमि की पहचान की। उन्हें सही मात्रा में बीज, खाद और कीटनाशक दिए। किसानों को वैज्ञानिक खेती के तरीके बताए गए। इन सब प्रयासों का नतीजा बहुत अच्छा निकला।
बदल गई ज़िंदगी
प्रति हेक्टेयर 832 किलो काजू का उत्पादन हुआ। इससे 19 हज़ार रुपये की आमदनी किसानों को हुई। प्रति टन से 45 हज़ार रुपये का मूल्य प्राप्त हुआ। काजू की खेती और भल्लीसोल गांव के किसान की सामूहिक मेहनत ने उनकी ज़िदगी बदल दी।
काजू की खेती के लिए मौसम और मिट्टी
काजू की खेती सामान्य मौसम वाले इलाकों में अच्छी तरह की जा सकती है। इसकी खेती के लिए 20 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान उपयुक्त होता है। ज़्यादा ठंडा मौसम इसके लिए उपयुक्त नहीं होता। इसकी खेती बलुई या लेटराइट मिट्टी में अच्छी तरह की जा सकती है। काजू के पौधे की ख़ासियत है कि यह बंजर और कम उपजाऊ भूमि में भी आसानी से उग जाता है। हालांकि, बहुत भारी चिकनी मिट्टी काजू की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती।
सिंचाई और कटाई-छंटाई
काजू के पौधों को अच्छी मात्रा में पानी चाहिए। इसलिए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए। पौधों के अच्छे विकास के लिए बुवाई के दो साल तक अच्छी तरह सिंचाई करें। पेड़ पर फल आने के बाद फलों को गिरने से रोकने के लिए सिंचाई पर्याप्त मात्रा में की जानी चाहिए। पौधों की सही कंटाई-छंटाई भी ज़रूरी होती है ताकि उनका सही तरीके से विकास हो सके।
काजू की पैदावार
काजू के पेड़ों की ऊंचाई 13-14 मीटर तक होती है। 6-7 साल बाद इसके हर पेड़ से करीब 8 से 10 किलो काजू प्राप्त होता है, जबकि हायब्रिड किस्मों में इससे भी अधिक पैदावार हो सकती है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- जैविक खेती कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसान नितिन चंद्रकांत गायकवाड, जानिए उनकी सफलता की कहानीमहाराष्ट्र के नितिन चंद्रकांत गायकवाड द्वारा अपनाई गई जैविक खेती, जो किसानों को रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक तरीकों से खेती करने की प्रेरणा देती है।
- कृषि में नई तकनीक से क्रांति ला रहे हैं किसान प्रीतम सिंह, जानिए उनकी कहानीप्रीतम सिंह, हरियाणा के पानीपत जिले के निवासी, ने कृषि में नई तकनीक अपनाकर अपनी खेती की उत्पादकता बढ़ाई और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया।
- जैविक खेती में अग्रणी किसान जयकरण का सफर और खेती में किए गए बदलावहरियाणा के जयकरण जैविक खेती के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं, जो यूट्यूब चैनल के जरिए किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से प्रेरित कर रहे हैं।
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।