Biogas Plant: पशुपालकों-किसानों के लिए बायोगैस प्लांट है कमाई का तगड़ा ज़रिया

जो पशुपालक किसी भी वजह से अब तक बायोगैस प्लांट से दूर हैं और जानबूझकर अपनी मेहनत का कम फ़ायदा उठा रहे हैं। ऐसे पशुपालकों को चाहिए कि वो जल्दी से जल्दी बायोगैस संयंत्र लगवाकर अपनी कमाई बढ़ाने का उपाय करें। बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से भी सब्सिडी मिलती है। किसानों को इसका लाभ ज़रूर उठाना चाहिए।

Biogas Plant: पशुपालकों-किसानों के लिए बायोगैस प्लांट है कमाई का तगड़ा ज़रिया

किसानों के लिए बायोगैस (Biogas) का जहाँ सीधा मतलब है ‘हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होय’, वहीं पशुपालकों के लिए इसकी अहमियत बताने के लिए ‘सोने पे सुहागा’ और ‘आम के आम गुठलियों के दाम’ वाली बातें सटीक बैठती हैं। दोनों के लिए ही बायोगैस आमदनी बढ़ाने का अतिरिक्त ज़रिया है। हालाँकि, पशुपालकों के लिए बायोगैस प्लांट लगाने का महत्व वैसा ही है जैसा उनके पशुओं के लिए चारा और उत्पाद के लिए बाज़ार।

दूसरे शब्दों में, जो पशुपालक किसी भी वजह से अब तक बायोगैस प्लांट से दूर हैं और जानबूझकर अपनी मेहनत का कम फ़ायदा उठा रहे हैं। ऐसे पशुपालकों को चाहिए कि वो जल्दी से जल्दी बायोगैस संयंत्र लगवाकर अपनी कमाई बढ़ाने का उपाय करें। बायोगैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से भी सब्सिडी मिलती है। किसानों को इसका लाभ ज़रूर उठाना चाहिए।

इंसान का जीवन हमेशा ऊर्जा के स्रोत पर निर्भर रहा है। बायोगैस भी ग़ैर-पारम्परिक ऊर्जा का अहम स्रोत है। इसका इस्तेमाल खाना पकाने के ईंधन से लेकर रोशनी करने वाली बिजली और इसके तमाम उपकरणों के लिए किया जा सकता है। भारत में बायोगैस को बढ़ावा देने की नीतियाँ साल 1956 से लागू हैं। इसी का असर है कि आज शायद ही कोई किसान बायोगैस की खूबियों से अन्जान हो। लेकिन ये भी सच है कि अभी तक हम देश की कुल बायोगैस क्षमता का दोहन नहीं कर सके हैं।

बायोगैस क्या है?

बायोगैस विभिन्न रासायनिक गैसों – मसलन मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन और अमोनिया का ऐसा मिश्रण जो धरती पर तब से उत्सर्जित होते रहे हैं जब से प्राणिजगत मौजूद है। क्योंकि ये गैसें मृत जन्तुओं और वनस्पतियों के सड़ने और पुनःचक्रित (recycle) होकर प्रकृति में विलीन होने के क्रम में पैदा होती हैं। कुदरती नियमों के मुताबिक, अपशिष्टों के सड़ने की प्रक्रिया के दौरान उसमें मौजूद बैक्टीरिया ही उसे बायोगैस और जैविक खाद में बदलते रहते हैं।

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बायोगैस प्लांट के ज़रिये इन्हीं गैसों को ऑक्सीजन से दूर रखते हुए इक्कठा करके इस्तेमाल में लाया जाता है, क्योंकि ये गैसें उस हाइड्रोकार्बन परिवार का हिस्सा होती हैं, जिससे पेट्रोलियम या कोयला जैसे ऊर्जा के स्रोत बने हुए हैं। किसानों या पशुपालकों के लिए लगाये जाने वाले बायोगैस प्लांट में मुख्य रूप से पशुओं का गोबर और फसलों के कूड़ा-करकट का इस्तेमाल होता है। ये चीज़ें खेती-किसानी से जुड़े हर घर में रोज़ाना पैदा होती हैं। इसीलिए किसानों के लिए बायोगैस का उत्पादन बेहद आसान, सुविधाजनक और मुफ़्त होता है।

Biogas Plant: पशुपालकों-किसानों के लिए बायोगैस प्लांट है कमाई का तगड़ा ज़रिया
कैसे बनाएँ बायोगैस प्लांट?

कैसे बनाएँ बायोगैस प्लांट?

बायोगैस प्लांट लगाना आसान है। इसमें पशुओं के आवास के नज़दीक ज़मीन में गड्ढा करके एक पक्का टैंक या हौदा बनाया जाता है। इसे ‘मिक्सिंग टैंक’ कहते हैं। इसमें गोबर और कूड़ा-करकट डालकर उसा गाढ़ा घोल बना लेते हैं। इस घोल को पाइप के ज़रिये पास के दूसरे टैंक में भेजा जाता है, जिसे ‘डाइजेस्टर’ कहते हैं। घोल इसी में सड़ता रहता है और सड़ने के दौरान बायोगैस छोड़ता रहता है।

‘डाइजेस्टर’ को लोहे के ऐसे ढक्कन से ढका जाता है जिससे वहाँ पैदा हो रही बायोगैस को पड़ोस के एक अन्य टैंक ‘फ्लोटिंग गैस होल्डर’ में इक्कठा किया जा सके। इसी से पाइप को जोड़कर बायोगैस की सप्लाई की जाती है। बायोगैस की तेज़ से खपत होने पर सप्लाई को क़ायम रखने का दारोमदार इसी ‘फ्लोटिंग गैस होल्डर’ पर होता है। कुछेक हफ़्ते बाद ‘डाइजेस्टर’ से बाक़ी बचे पदार्थ यानी जैविक खाद को निकाला है। ये खेतों के लिए बेहतरीन उर्वरक का काम करता है और बेचने जाएँ तो इसका अच्छा दाम मिलता है।

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कैसे लगवाएँ बायोगैस प्लांट?

बायोगैस प्लांट लगाने का सबसे आसान तरीका है अपने नज़दीकी कृषि विकास केन्द्र से सम्पर्क करना। यहाँ से किसानों और पशुपालकों को हरेक बारीक़ से बारीक़ जानकारी मिल जाएगी और ये भी पता चल जाएगा कि उन्हें कितनी क्षमता वाले बायोगैस प्लांट की ज़रूरत हैं? इसकी लागत क्या होगी? प्लांट का निर्माण कौन करेगा? सब्सिडी कैसे प्राप्त होगी? प्लांट लगाने के बाद उसके इस्तेमाल और नियमित देखरेख के लिए ज़रूरी प्रशिक्षण भी आमतौर पर इसके निर्माताओं से ही मिल जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो किसानों के लिए कृषि विकास केन्द्र की महिमा ‘एक साधे सब सधे’ जैसी है। इसका भरपूर फ़ायदा उठाना चाहिए।

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