सर्दी के मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियों में आपने बथुआ जरूर खाया होगा। इसका रायता और परांठे बड़े स्वादिष्ट लगते हैं। आज हम आपको औषधीय गुणों से भरपूर बथुआ को डाइट में शामिल करने के फायदे बताते हैं।
बथुआ के पत्तों में अमीनो एसिड की उच्च मात्रा पाई जाती है। अमीनो एसिड्स शरीर के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं, क्योंकि यह कोशिका निर्माण और उसकी मरम्मत के लिए जरूरी होते हैं।
अन्य सभी हरी सब्जियों की तरह बथुआ में कैलोरी काफी कम पाई जाती है। 100 ग्राम बथुआ से करीब 43 कैलोरी मिलती है।
बथुआ में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह पाचन तंत्र के लिए भी बेहद लाभदायक माना जाता है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती और हम जरूरत से ज्यादा खाने से बच जाते हैं।
लिवर को करता है मजबूत
बथुआ कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन ए, सी और बी 6 से भरपूर होता है। ये सभी पोषक तत्व शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करते हैं। बथुआ को ब्लड प्यूरिफायर के रूप में जाना जाता है। लिवर को टॉक्सिन्स से बचाने का काम करता है।
आयुर्वेद में किए गए शोध के मुताबिक सेलेनियम, ओमेगा 3 व 6 फैटी एसिड युक्त बथुए को नियमित खाने से ब्रेस्ट कैंसर की आशंका कम हो जाती है।
जोड़ों के दर्द से राहत
बथुए के 10 ग्राम बीजों को करीब 200 मिली पानी में उबालें। 50 मिली बचने पर इसे गर्म रहे ही चुस्की लेकर पीएं। ऐसा एक महीने तक सुबह-शाम करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
इसके अलावा इसकी ताजी पत्तियों को पीसकर गर्म करें और दर्द वाले हिस्से पर बांधने से जल्द आराम मिलता है।
खून की कमी होती है पूरी
बथुए में आयरन और फोलिक एसिड पाया जाता है। करीब डेढ माह तक इसकी सब्जी खाने या करीब चार चम्मच रस सुबह-शाम लेने से खून की कमी दूर हो जाती है।
इसके अलावा बथुए के 15 मिली रस को 30 मिली गिलोय रस में मिलाकर करीब 10 दिनों तक सेवन करने से पीलिया में राहत मिलती है।
पथरी-माहवारी की समस्या से निजात
बथुआ में क्षार होता है। पथरी का पता चलते ही बथुए के रस को 20 दिनों तक पीने से पथरी टूटकर मूत्र के जरिए शरीर से बाहर आ जाती है।
बथुए के 10 ग्राम बीज को 200 मिली पानी में उबालें । एक चौथाई शेष बचने पर इसे छानने के बाद 2 ग्राम सौंठ मिलाकर गर्म-गर्म पीएं। इससे महिलाओं को अनियमित माहवारी की समस्या और दर्द से राहत मिलती है।