आज के दौर में ‘कृषि यंत्र’ खेती को आसान बनाने का काम कर रहे हैं। कुछ किसान इसे व्यवसाय बनाकर खेती के साथ अतिरिक्त कमाई भी कर रहे हैं। इसके उदाहरण है मध्य प्रदेश में भोपाल ज़िले के बोरखेड़ी गांव के जैविक प्रगतिशील किसान गुलाब सिंह मेवाड़ा। किसान ऑफ इंडिया की गुलाब सिंह के साथ खास बातचीत हुई। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की कस्टम हायरिंग केंद्र स्कीम (Custom Hiring Centre Scheme) का लाभ मिला है। जानिए आप इसके लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं।
कितनी मिलती है कृषि यंत्र पर सब्सिडी ?
गुलाब सिंह ने अपने केंद्र का नाम ‘वरदान कस्टम हायरिंग केंद्र’ रखा है। इस केंद्र को उन्होंने 2019 में शुरू किया था। उन्हें इस केंद्र के लिए 25 लाख रुपये के कृषि यंत्र मिले हैं। गुलाब सिंह ने किसान ऑफ इंडिया को बताया कि उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सभी कृषि यंत्रों पर 40 प्रतिशत यानी 10 लाख रुपये की सब्सिडी मिली है। उन्होंने बाकी 15 लाख रुपये के लिए बैंक से लोन लिया है।
25 लाख रुपये में कौन से कृषि यंत्र मिलते हैं ?
गुलाब सिंह ने बताया कि उन्हें जिन कृषि यंत्रों से फ़ायदा हो रहा है उनकी सूची इस प्रकार है :
- दो ट्रैक्टर (Tractor)
- दो ट्रॉली (Trolley)
- दो कल्टीवेटर (Cultivator)
- प्लाऊ (हल)
- 2 रोटावेटर (Rotavator)
- राइस ट्रांसप्लांटर (Rice Transplanter)
- मल्टीक्रॉप थ्रेशर (Multicrop Thresher)
- मिनी प्लाऊ (Mini Plow)
- सीड ड्रिल (Seed Drill)
उन्होंने बताया कि कृषि उपकरणों को लेने के बाद काफ़ी मुनाफ़ा हुआ है। उन्होंने किसानों से आग्रह भी किया कि इनकी सही जानकारी लेकर वो भी अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं।
कैसे करें कृषि यंत्र के लिए आवेदन?
गुलाब सिंह ने बताया कि मार्च के बाद आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। एक व्यक्ति सिर्फ एक ज़िले या गांव के लिए ही आवेदन कर सकत है। फिर इसके बाद लॉटरी सिस्टम द्वारा आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। इसे आप कृषि यंत्री कार्यालय या वेबसाइट पर देख सकते हैं।
ऑनलाइन आवेदन के लिए यहाँ जायें – https://chc.mpdage.org/Home/
गुलाब सिंह ने बताया कि नाम आने के बाद सबसे पहले उन्होंने बैंक से 25 लाख रुपये का लोन लिया। इसके बाद कृषि यंत्री कार्यालय के अधिकारी ने सभी दस्तावेज़ और कृषि यंत्रों की जांच की। इसके बाद उन्हें 10 लाख रुपये की सब्सिडी मिली।
कैसे काम करती है हडम्बा (मल्टीक्रॉप थ्रेशर) मशीन?
उन्होंने बताया कि इस मशीन को शाफ़्ट के जरिए ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है। ये खड़ी फसलें जैसे गेहूं, चना, सरसों और मसूर आदि के लिए काम में आता है।ये मशीन साफ़ अनाज को अलग और कचरा यानि वेस्ट को अलग कर देती है। इस मशीन को फ़सल के मुताबिक पूरे साल इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मशीन के लिए वो किसानों से हज़ार रुपये प्रति घंटा लेते हैं। मल्टीक्रॉप थ्रेशर की कीमत 3 लाख 60 हज़ार रुपये है, जो सब्सिडी मिलने के बाद 2 लाख 40 हज़ार रुपये की पड़ती है।
कैसे काम करती है सीड ड्रिल मशीन?
गुलाब सिंह ने बताया कि ‘सीड ड्रिल’ मशीन फ़सल बुवाई के काम आती है। इस मशीन को भी शाफ़्ट के जरिए ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है। इसके ऊपरी हिस्से में बीज या अनाज डाला जाता है। ट्रैक्टर के माध्यम से खेत में इसे चलाया जाता है जो उचित दूरी के अनुसार फ़सल की बुवाई करती है। सीड ड्रिल की कीमत 50 हज़ार रुपये है, जो सब्सिडी मिलने के बाद 30 हज़ार की पड़ती है।
कृषि यंत्र से खेती बन रही है आसान
गुलाब सिंह ने बताया कि खेती में ‘ट्रैक्टर’ किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इससे जिस काम में कई घंटे लगते थे, उसमें अब कम समय लगता है। ट्रैक्टर को कई कृषि उपकरणों जैसे रोटावेटर, प्लाऊ, राइस ट्रांसप्लांटर, सीड ड्रिल और मल्टीक्रॉप थ्रेशर में इस्तेमाल किया जाता है। गुलाब सिंह का कहना है कि कृषि उपकरणों के इस्तेमाल से किसान अपनी आय दो गुना तक कर सकते हैं।
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