एक किसान अपनी ज़रूरतों को अच्छे से जानता है। कैसे खेती को सुगम बनाया जाए, इस प्रयास में वो लगा रहता है। मध्य प्रदेश के आदिवासी ज़िले मंडला के रहने वाले अमृत लाल धनगर का एक ऐसा ही प्रयास सफल रहा। उन्होंने उपलब्ध संसाधनों से सस्ती और टिकाऊ सीड ड्रिल मशीन बना डाली।
लाइन विधि से शुरू की बुवाई
अमृत लाल धनगर अपनी पाँच एकड़ ज़मीन में ब्रॉडकास्टिंग विधि से धान, अरहर, गेहूं और चने की बुवाई किया करते थे। इस विधि में पौधे से पौधे की दूरी एक जैसी नहीं होती थी। बीज भी ज़्यादा लगते थे और उत्पादन भी कम मिलता था। उन्हें लागत के मुकाबले उत्पादन ज़्यादा नहीं मिल रहा था। फिर अमृत लाल धनगर ने अपने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra, KVK) से संपर्क किया। KVK ने उन्हें लाइन विधि से बुवाई करने की सलाह दी।
लाइन विधि से मिला 10 फ़ीसदी ज़्यादा उत्पादन
लाइन विधि से बुवाई करने पर उन्हें खरीफ और रबी फसलों में पहले के मुकाबले 10 फ़ीसदी ज़्यादा उत्पादन हुआ। बीज लगाने के लिए उन्होंने किराये पर ली सीड ड्रिल मशीन का इस्तेमाल किया। इस तरह से खेती के नए तरीकों और तकनीकों पर अमृत लाल धनगर का विश्वास बढ़ा। अमृत लाल को विचार आया, क्यों न वो किराये पर सीड ड्रिल मशीन लेने के बजाय खुद ही सीड ड्रिल मशीन बनाएं। एक ऐसी सीड ड्रिल मशीन, जिसे देसी हल से जोड़ा जा सके।
क्रमबद्ध तरीके से फसल की बुवाई करनी थी और उसके लिए सीड ड्रिल मशीन चाहिए थी। हर बार मशीन किराए पर लेने से लागत पर भी असर पड़ता था। इसलिए अमृत लाल दिन रात इसी सोच में लगे रहे कि कैसे कम लागत में सीड ड्रिल मशीन बनाई जाए। कई प्रयोग वो करते रहे और एक दिन उन्हें सफलता भी मिली।
कैसे बनाई उपलब्ध संसाधनों से सीड ड्रिल मशीन?
अमृत लाल ने 5 लीटर की क्षमता वाला एक एल्यूमीनियम का बर्तन लिया और उसे एक खोखले पाइप से जोड़ दिया। बीज कितना डलना है, उसके नियंत्रण के लिए एक छेद बनाया। उनके द्वारा बनाई गई ये सीड ड्रिल मशीन 5 अलग-अलग फसलों की बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस तरीके से बनायी गयी सीड ड्रिल मशीन को उन्होंने अपने देसी हल के साथ जोड़ दिया। वजन में हल्का होने के कारण इसे आसानी से चलाया जा सकता है। इस तरह से अमृत लाल ने अपने देसी हल को आधुनिक सीड ड्रिल मशीन में तब्दील कर दिया।
जिला स्तर पर धान में लिया उच्च उत्पादन
अमृत लाल के इस देसी सीड ड्रिल ने उन्हें साथी किसानों के बीच लोकप्रिय बना दिया। उन्होंने इस बैल चलित सीड ड्रिल का उपयोग करके जिला स्तर पर धान में उच्च उत्पादन प्राप्त किया। इसके लिए उन्हें प्रथम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
200 से ज़्यादा किसान खरीद चुके हैं ये सीड ड्रिल मशीन
इस सीड ड्रिल मशीन बनाने को लेकर अब तक 200 से ज़्यादा किसान उनसे सलाह ले चुके हैं। इस मशीन को बनाने में करीबन 1500 रुपये की कुल लागत आती है।
क्या है लाइन विधि? (Line Method for Sowing Seeds)
लाइन विधि में लाइन से लाइन और पौधे से पौधे की दूरी बराबर रखी जाती है। इस विधि में सीड ड्रिल, सीड-कम-फर्टी ड्रिलर या मैकेनिकल सीड ड्रिल जैसे उपकरणों की मदद से मिट्टी में बीज गिराया जाता है। फिर बीजों को लकड़ी के तख्ते या हैरो से ढक दिया जाता है। इस विधि में बीजों को उचित और एक समान गहराई पर रखा जाता है।
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