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पुराने ज़माने में गोबर का इस्तेमाल घर की लिपाई और जलावन बनाने के काम आता था, लेकिन शहरीकरण के बाद धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल कम होने लगा। शहरी इलाकों में गौशाला के बाहर गोबर का ढेर लगने लगा और किसानों के लिए गोबर का मैनेजमेंट मुश्किल हो गया। इसी समस्या से निपटने के लिए पटियाला के इंजीनियर कार्तिक पाल ने अनोखी मशीन बनाई है, जिससे गोबर से लकड़ी बनाई जा सकती है।
पिछले कुछ सालों से पर्यावरण के प्रति बढ़ी जागरुकता के बीच गोबर से कई उपयोगी चीज़ें बनाई जाने लगी है जैसे गोबर के गमले, गोबर से रंग वगैरह। कार्तिक ने गोबर से लकड़ी बनाने और गोबर से पाउडर बनाने की अनोखी मशीन बनाई है। उनकी इस ख़ास मशीन के बारे में उनसे बात की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता अक्षय दूबे ने।
कैसे आया गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन का आइडिया?
कार्तिक का कहना है कि 2014 में इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वो चारा काटने की मशीन बनाते थे। एक मशीन की डिलीवरी के लिए वो गौशाला के पास गए और वहां लगे गोबर के ढेर को देखकर उन्होंने इसके सही मैनेजमेंट के बारे में सोचा। कई गौशाला मालिकों और किसानों को उन्होंने गोबर के ढेर के कारण परेशान देखा। फिर उन्होंने सोचा क्यों नहीं इससे कोई ऐसी चीज़ बनाई जाए, जो उपयोगी हो और जिससे किसानों को भी फ़ायदा हो। उनकी इसी सोच का नतीजा गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन है।
10,000 बेची गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन
कार्तिक पाल बताते हैं कि उनके दिमाग में आया कि जिस तरह से सेवई बनाने की मशीन होती है, जिसमें आटा डालने के बाद सेवइयां निकलती हैं, तो क्यों न इसी तरह की मशीन बनाई जाए जिसमें गोबर डालने पर कोई नया प्रॉडक्ट निकले और फिर 2018 में उन्होंने गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन बनाई।
मगर शुरुआत में गौशाला वालों ने इस मशीन में दिलचस्पी नहीं दिखाई, तो कार्तिक ने उन्हें इस्तेमाल करने की सलाह दी। फिर धीरे-धीरे लोगों को इसकी उपयोगिता समझ आ गई और कार्तिक के प्रॉडक्ट की डिमांड बढ़ने लगी। कार्तिक कहते हैं कि वो अभी तक 10,000 मशीने बेच चुके हैं।
गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन: लकड़ी का इस्तेमाल
कार्तिक का कहना है कि गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल पूजा, हवन, श्मशान वगैरह में होता है। मशीन से गोल और चौकोर लकड़ी बनाई जा सकती है। उनका कहना है कि अगर आप चाहे तो हवन के इस्तेमाल के लिए बनाई जाने वाली लकड़ी में कपूर, फूल के पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे जलाते समय अच्छी खुशबू आएगी। अगर कोई कमर्शियल इस्तेमाल के लिए लकड़ी बनाना चाहता है, तो 70 प्रतिशत गोबर और 30 प्रतिशत कोयले का पाउडर, लकड़ी का पाउडर या चावल की भूसी का इस्तेमाल कर सकता है, जिससे लकड़ी की जलावन शक्ति बढ़ जाती है। कार्तिक कहते हैं कि ये लकड़ी पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाती।
कैसे काम करती है गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन?
कार्तिक ने बताया कि मशीन में 3-4 दिन पुराना गोबर डाला जाता है और मशीन की नली से लकड़ी के शेप का प्रॉडक्ट बनकर बाहर आता है। इसमें पुराने गोबर का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि लकड़ी की शेप सही आए और वो आसानी से सूख जाए। कार्तिक कहते हैं ताज़े गोबर का इस्तेमाल इसमें नहीं करना चाहिए। लकड़ी बनाने के बाद उसे धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है।
गोबर सुखाने की मशीन
कार्तिक ने गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन के साथ ही गोबर सुखाने की मशीन भी बनाई है। दरअसल, किसानों को गीले गोबर को 2-3 दिन तक रखना मुश्किल हो जाता था, इसलिए 2021 में उन्होंने गोबर ड्रायर मशीन बनाई जो गोबर से पानी अलग करके उसे पाउडर के रूप में बदल देती है। गोबर के पानी का इस्तेमाल खेतों में स्प्रे के रूप में किया जा सकता है और इसके पाउडर का इस्तेमाल खाद के रूप में किया जाता है, साथ ही इससे अगरबत्ती भी बनाई जा सकती है।
गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन: कितनी है कीमत?
कार्तिक का कहना है कि एक गाय एक दिन में करीब 10 किलो गोबर देती है, जिसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता। ऐसे में इस मशीन से लकड़ी बनाकर किसान आसानी से अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। लकड़ी बनाने का खर्च बहुत ज़्यादा नहीं आता, बस एक बार मशीन खरीदने के लिए आपको कुछ खर्च करना होता है। मशीन की कीमत 65,000 रुपए है और 18 फ़ीसदी जीएसटी लगती है। इसे चलाने के लिए दो लोगों की ज़रूरत पड़ती है। मशीन के रखरखाव पर भी कोई खर्च नहीं होता। बस इस्तेमाल के बाद इसे अच्छी तरह साफ़ कर लें। एक किलो लकड़ी बनाने का खर्च 2.5 रुपये आता है और ये 5 रुपए प्रति किलो के हिसाब से आसानी से बिक जाती है।