आधुनिक खेती में कृषि उपकरण की अहम भूमिका है। खेती के काम को आसान बनाने के साथ ही मशीनें किसानों का मुनाफ़ा भी बढ़ाती हैं। इसलिए पारंपरिक तरीके छोड़कर अब अधिकांश किसान खेती में वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में हुए पूसा कृषि विज्ञान मेले में कई कृषि उपकरणों की प्रदर्शनी लगी। ऐसी ही कुछ मशीनों के बारे में ICAR-Indian Agricultural Research Institute के वैज्ञानिक डॉ. पी.के. साहू से बात की किसान ऑफ़ इंडिया ने।
यूरिया अमोनियम नाइट्रेट एप्लीकेटर मशीन
डॉ. पी.के. साहू ने बताया कि पौधों में आमतौर पर सॉलिड यूरिया डाला जाता है, जो पानी के संपर्क में आने के बाद धीरे-धीरे पौधों की जड़ों में पहुंचता है। उनका कहना है कि सॉलिड यूरिया के मुकाबले लिक्विड यूरिया पौधों के लिए अधिक फ़ायदेमंद है क्योंकि इसे पौधे जल्दी ग्रहण कर लेते हैं। लिक्विड अमोनिया का खेती में कैसे इस्तेमाल किया जाए इसके लिए नेशनल फर्टिलाइज़र लिमिटेड कंपनी ने IARI को रिसर्च करने के लिए एक करोड़ का प्रोजेक्ट दिया और रिसर्च के बाद IARI के अभियांत्रिकी विभाग ने यूरिया अमोनियम नाइट्रेट एप्लीकेटर मशीन बनाई। इसमें बीज और यूरिया दोनों डाल सकते हैं। लिक्विड अमोनिया को डायल्यूशन के साथ दिया जाता है। मशीन बीज को एक गहराई में डालती है और साइड में लिक्विड घोल डालती है। परीक्षण में इस कृषि उपकरण के इस्तेमाल के अच्छे परिणाम मिले हैं।
System Wheat Intensification प्लांटर
डॉ. पी.के. साहू ने बताया कि खेत में बीजों को निश्चित दूरी पर बोने के लिए भी मशीन बनाई गई है, जो अधिक पैदावार के साथ ही मिट्टी के पोषक तत्वों को भी बरकरार रखती है। इस कृषि उपकरण का नाम है System Wheat Intensification प्लांटर। उनका कहना है कि पौधों के बीज ज़्यादा दूरी होने पर आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि पैदावार कम होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। इस मशीन की बदौलत बीज की बुवाई के साथ ही मिट्टी के पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश आदि भी बने रहते हैं। इससे उपज अधिक होती है यानी एक ही पौधे में अधिक फसल होती है।
खाद का घोल बनाने वाली मशीन
कुछ खाद ऐसी होती हैं, जिन्हें पानी में मिलाकर खेत में डाला जाता है। डॉ. पी.के. साहू ने बताया कि इसके लिए भी एक कृषि उपकरण बनाया गया है। इस मशीन में खाद के घोल के साथ ही बीज भी डाला जाता है। यह कृषि उपकरण खासतौर पर शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। बरसात से पहले ही खाद के घोल के साथ यदि बीज की बुवाई कर दी जाए तो बारिश तक बीज अंकुरित हो जाते हैं और उसमें कुछ पत्ते भी हो जाते हैं। ऐसे में जब बारिश होगी तो पौधे बरसात के पानी का पूरा इस्तेमाल कर सकते हैं।
डॉ. पी. के साहू का कहना है कि खेती में कृषि उपकरणों के इस्तेमाल से खेती में समय और श्रम की बचत और लागत कम आती है। इससे किसानों को अच्छी कमाई होगी। साथ ही कई मशीनों पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे किसान इसे आसानी से खरीद सकें।
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