खेती के साथ इससे जुड़ी अन्य कृषि गतिविधियों मछली पालन, मोती उत्पादन, पुशपालन, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन, मुर्गी पालन आदि करने को ही एकीकृत कृषि प्रणाली कहा जाता है। इससे किसान भी अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। बेगूसराय के डंडारी ब्लॉक के टेटारी गाँव के किसान जय शंकर कुमार कभी महीने का सिर्फ़ 27 हजार रुपये ही कमाते थे, लेकिन अब उनकी आमदनी प्रति माह एक लाख रुपये से अधिक हो गई है और ऐसा हुआ एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर।
केमेस्ट्री विषय से पोस्ट ग्रेजुएट 48 साल के जय शंकर कुमार के पास 4 हेक्टेयर भूमि है, जिस पर वह पहले चावल, मक्का, गेहूं और मोटे अनाज जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे, लेकिन इससे उन्हें पर्याप्त आमदनी नहीं होती थी। वह दूसरे विकल्पों की तलाश में लग गए। उन्होंने कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कैंपों में हिस्सा लिया, जहां उनकी मुलाकात कृषि विज्ञान केन्द्र के कई वैज्ञानिकों से हुई। उनकी सलाह पर जय शंकर कुमार ने एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming Method) अपनाने का फैसला किया।
खेती के कई सेक्टरों को अपनाया
कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी सहयोग की बदौलत वह एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत मत्स्य पालन, बागवानी, पशुपालन, वर्मीकम्पोस्ट, पक्षी पालन और कृषि फसलों की खेती करने लगे। उन्होंने लगभग 0.5 हेक्टेयर क्षेत्र में एक तालाब बनाकर मछली पालन शुरु किया। इसके साथ ही वह ताजे पानी में मोती की खेती भी करने लगें। उनके काम की लगन को देखकर बिहार के कृषि विभाग ने उन्हें बड़े पैमाने पर वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन करने के लिए 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी। वर्तमान में वह 3 हज़ार मेट्रिक टन सालाना वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं।
पॉलीहाउस बनाने में मिला कृषि विज्ञान केन्द्र का सहयोग
ऑफ़ सीज़न में सब्ज़ियों की खेती के लिए बागवानी विभाग ने पॉलीहाउस बनाने में मदद करने और पौध तैयार करने में उनका सहयोग किया। साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र बेगूसराय ने उन्हें हर तरह की तकनीकी सहायता भी प्रदान की और समय-समय पर उन्हें अपनी तकनीक अपडेट करने की सलाह भी देते रहते हैं।
सालाना करीब 12 लाख रुपये की आमदनी
एकीकृत कृष प्रणाली अपनाने से पहले वह सालाना करीबन 3.24 लाख रुपये की ही कमाई कर पाते थे, लेकिन अब मछली पालन, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन, बागवानी, मोती की खेती, पक्षी पालन आदि से उन्हें प्रति माह करीब 1.08 लाख रुपये और सालाना तकरीबन 12.96 लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
साथी किसानों के लिए बने मेंटर ट्रेनर
आज की तारीख में वह कृषि विज्ञान केन्द्र, बेगूसराय के लिए एक मेंटर ट्रेनर के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनका फ़ार्म दूसरे किसानों के लिए मॉडल फ़ार्म बन गया है, जिसे देखकर अन्य किसान प्रेरित हो रहे हैं। जय शंकर का मानना है कि एक किसान का काम के प्रति समर्पण ही उसे दूसरों से अलग बनाता है।
एकीकृत कृषि प्रणाली के फ़ायदे
एकीकृत कृषि प्रणाली के कई फ़ायदे हैं और इससे खेती का लागत भी कम होती है। पशुओं के गोबर से खेती के लिए खाद प्राप्त हो जाती है तो खाद नहीं खरीदनी पड़ती और गोबर की खाद खेती के लिए सबसे अच्छी होती है। जबकि पशुओं के लिए हरा चारा खेतों से ही प्राप्त हो जाता है, जिससे उनका दूध उत्पादन बढ़ता है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक छोटे व सीमांत किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने की सलाह देते हैं।
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