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मैं किसानों यानी आपके लिए खेती से जुड़ी काम की जानकारी तलाशने उत्तर प्रदेश के मेरठ गया था। वहीं मेरी अमित त्यागी से मुलाकात हुई जो वर्मीकम्पोस्टिंग के गुरु माने जाते हैं। पहले दो पार्ट में हमने उनसे कई अहम सवाल पूछे जो आप ऊपर दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं। इस पार्ट में हम वर्मीकम्पोस्ट बेड लगाना और उसकी लागत के बार में जानेंगे।
कैसे बनायें वर्मीकम्पोस्ट बेड?
अमित त्यागी ने बताया कि इसका फॉर्मूला बहुत आसान है। इसके लिए सबसे पहले आपको जगह सुनिश्चित करनी है। उसके बाद आपको ईठें, पानी, बिजली, गोबर और जाने-आने के लिए रस्ता होना चाहिए। इसके बाद पूरी जगह की डिजाइनिंग की जाती है। इसमें ये देखा जाता है कि कितने साइज का आपका बेड होगा, कहां पानी की सप्लाई होगी, कितनी जगह आप बेड के बीच में छोड़ेंगे। उन्होंने लगभग 3 एकड़ जगह में 350 वर्मीकम्पोस्ट बेड लगायें हैं।
उनके यहां करीब 400 टन प्रति महिना वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन होता है। उदाहरण के तौर पर आप 30 फ़ीट के साइज़ का बेड बना सकते हैं। लेकिन बेड की लंबाई कभी भी 50 फ़ीट से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। इसमें सबसे पहले बेड के नाप के हिसाब से चारों तरह ईठें लगती है फिर लेवेलिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि एक 30 फ़ीट बेड बनाने में 2.5 किलो 18A नाम की प्लास्टिक शीट लगती है। इसमें फिर 71 ईठें लगती हैं। प्लास्टिक शीट कम से कम 5-6 साल तक चलती है। इसमें फिर 1500 किलो गोबर डलती है। इसके बाद इसमें 30 किलो केंचुआ दल जाता है।
कितनी आती है एक वर्मीकम्पोस्ट बेड बनाने में लागत और कितना होता है उत्पादन ?
उन्होंने बताया कि सभी चीजों की लागत मिलाकर देखें तो लगभग वर्मीकम्पोस्ट बेड बनाने में 10 हज़ार 500 रुपये की लागत आती है। इससे पहली बार में आपको कम से कम 40 प्रतिशत खाद का उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि इस बिजनेस में हमेशा लागत ज़्यादा लेकर चलनी चाहिए और उत्पादन को कम से कम देखना चाहिए। इससे लगभग दो से तीन महीने के बीच 600 किलो खाद बनकर तैयार हो जाती है। उन्होंने ये भी बताया कि पहली बार केंचुआ दो गुना से लेकर चार गुना तक पहुँच सकता है अगर हम सही से उनका ध्यान रखते हैं।
कैसे करते हैं वर्मीकम्पोस्ट यूनिट का मैनेजमेंट?
अमित त्यागी ने बताया कि उनके यहां जितने भी लोग काम करते हैं वो हर चीज के लिए एक्सपर्ट हैं। लेकिन हर किसी को एक काम सबसे अच्छा करना आता है कोई बेड जल्दी बना सकता है, कोई छनाई की मशीन चलाने में एक्सपर्ट है। उनकी टीम के हर कर्मचारी का काम पहले से निश्चित रहता है। हर कर्मचारी के काम पर खाद का उत्पादन निर्भर करता है। वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय में टीम एफर्ट की अहम भूमिका है।
इसके अलावा बेड चेक करने का सही वक्त पता होना चाहिए। सर्दी में अगर शाम के समय जब ठंड रहती है तब बेड को चेक किया तो उस जगह का माइक्रो-क्लाइमेट बदल जाता है, इसलिए शाम को नहीं चेक करना चाहिए। वहीं गर्मी में धूप के समय में बेड नहीं चेक करना चाहिए।
वर्मीकम्पोस्ट बेड चेक करते समय किन चीजों का रखें ध्यान?
उन्होंने बताया कि बेड चेक करते समय सबसे पहले खाद की बनावट देखनी चाहिए। फिर ये देखना चाहिए कि केंचुआ कहां-कहां पर खा रहा है। ये भी देखना चाहिए कि केंचुआ बेड के बीच में है या फिर किनारों पर मौजूद है। केंचुआ हमेशा ऊपर से नीचे की ओर ज़मीन पर गोबर को खाते हुए जाता है। केंचुआ उस तरफ जाता है जहां ज़्यादा पानी होता है।
वर्मीकम्पोस्ट यूनिट के साथ और क्या-क्या लगा सकते हैं और उसके फ़ायदे?
उन्होंने बताया कि हमारी यूनिट में चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ हैं लेकिन उनको इन्होंने लगाया नहीं है। ये पेड़ अपने आप बढ़कर स्वस्थ हैं। इसके अलावा उन्होंने कुछ 5 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से खजूर के पेड़ (Washingtonia Tree) लगाए थे। आज एक पेड़ की कीमत 20 से 25 हज़ार रुपये है। यूनिट लगाने के साथ आप फलों और सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं। पेड़ में अच्छे पोषक तत्व उन्हें यहां आसानी से मिलते हैं।
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