बारिश के मौसम में भूस्खलन (landslide) और सडक़ के क्षतिग्रस्त होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 75 के शिरडी घाट खंड को बनाए रखना मुश्किल होता जा रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब शिरडी घाट से एक टनल मार्ग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, इससे शहर से बेंगलुरू के बीच की दूरी तो कम होगी ही साथ ही पेट्रोल की खपत में भी गिरावट आएगी।
इस काम को शुरू करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भूमि अधिग्रहण अधिसूचना का इंतजार है।
टनल को साकलेशपुर में अडाहोले से हेगड़े तक बिछाया जाएगा। टनल की दूरी 23.57 कि.मी होगी। इस योजना में काम में ली जाने वाली लगभग 70 प्रतिशत भूमि का स्वामित्व सरकार के पास है इसलिए भूमि अधिग्रहण मुश्किल नहीं है। भूमि अधिग्रहण के बाद एक निविदा जारी की जाएगी।
टनल का रास्ता अडाहोले, गुडिया, येदकुमारी, कादारावल्ली और मरनाहल्ली से होकर गुजरेगा। इसमें छह टनल और दस पुल होंगे। सात साल पहले परियोजना की लागत 10,015 करोड़ रुपये आंकी गई थी और अब यह लगभग 12,000 करोड़ रुपये हो सकती है। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एजेंसी (JICA) ने परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की थी। पहले JICA को इस परियोजना में भागीदार बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब यह टनल जापान की तकनीकी सहायता से सरकार की सागर माला परियोजना का हिस्सा होगी।
इस टनल को बनाने का एक बड़ा फायदा यह होगा कि चेन्नई बंदरगाह से जो निर्यात कारोबार किया जाता है उसका बड़ा हिस्सा मंगलुरू की ओर मोड़ा जा सकता है। इसके बाद भारी माल का परिवहन सुचारू रूप से किया जा सकेगा। चेन्नई बंदरगाह के लिए मुश्किल हो सकती है, क्योंकि ओडिशा भी इस पर निर्भर है। पहले से ही, बेंगलरू और चेन्नई के बीच 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाले 262 किलोमीटर के एक्सप्रेस हार्ईवे के लिए निविदा जारी की जस चुकी है। मंगलुरू-बेंगलुरू राष्ट्रीय राजमार्ग को एक्सप्रेस राजमार्ग और टनल में बदलने से इन पर प्रभाव पड़ेगा।