न्यूट्रास्यूटिकल के रूप में जल ब्राह्मी का इस्तेमाल, किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकती है इसकी खेती

जल ब्राह्मी औषधीय गुणों वाला पौधा है, जो महत्वपूर्ण हर्बल न्यूट्रास्यूटिकल भी है। ब्राह्मी की फसल रोपाई के 5-6 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। एक साल में 2-3 कटाई की जा सकती है। ये एक हर्बल न्यूट्रास्यूटिक है, जो न सिर्फ़ शरीर को पोषण देता है, बल्कि बीमारियों की रोकथाम और मानसिक रोगों के इलाज में भी मददगार है।

जल ब्राह्मी (Bramhi Jalneem)

जल ब्राह्मी का उपयोग (Jal Brahmi or Brahmi Jalneem Uses): आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान पिछले कुछ सालों में काफ़ी बढ़ा है। अब वो भी समझ रहे हैं कि किसी बीमारी के इलाज से बेहतर है कि उसकी रोकथाम की जाए और इसमें आयुर्वेद बहुत मददगार साबित होता है। इसलिए बाज़ार में आयुर्वेदिक उत्पादों की भरमार हो गई है। आयुर्वेद में बहुत सी जड़ी-बूटियां है, जिनका इस्तेमाल रोज़मर्रा के जीवन में करने से कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है जल ब्राह्मी (Jal Brahmi or Brahmi Jalneem), जो एक बहुत ही अहम न्यूट्रास्यूटिकल (Nutraceutical) के रूप में उभर रहा है। ऐसे में जल ब्राह्मी की खेती किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकती है, क्योंकि आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ेगी।

क्या है न्यूट्रास्यूटिकल?

न्यूट्रास्यूटिकल (Nutraceutical) भोजन का वो हिस्सा है जिससे किसी बीमारी को रोकथाम या उपचार कर सकते हैं। आसान शब्दों में कहें तो न्यूट्रास्यूटिकल (Nutraceutical) ऐसे उत्पाद हैं, जिनका उपयोग पोषण के साथ ही दवा के रूप में भी किया जाता है। ये कुदरती रूप से पाए जाने वाले बायोएक्टिल यौगिक हैं, जो विभिन्न खाद्य पदार्थों, फूड सप्लीमेंट्स और हर्बल उत्पादों में पाए जाते हैं। जल ब्राह्मी एक बारहमासी बेल वाला पौधा है, जो गीले, नम और दलदली वाले इलाकों में मुख्य रूप से पाया जाता है।

इसके पूरे पौधे का औषधीय उपयोग किया जाता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी इसका ज़िक्र है और इसे बुद्धि को तेज़ करने और मानसिक विकार को दूर करने के लिए जाना जाता है।

जल ब्राह्मी (Bramhi Jalneem)

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जल ब्राह्मी वाले उत्पाद

देश में जल ब्राह्मी से बनें कई उत्पाद बाज़ार में उपलब्ध हैं, जिसमें शामिल हैं- ब्राह्मी प्राकृतिक रस, जूनियर प्राश- खासतौर से बच्चों के लिए बनाया गया च्वनप्राश, ब्राह्मी ग्रेन्यूल्स, ब्राह्मी बादाम ड्राई फ्रूट सिरप, हेल्थ ड्रिंक, ब्राह्मी बादाम सिरप, आयुर्वेदिक हेल्थ प्राश, फ्रूट जेली, सोना-चांदी च्वनप्राश, ब्राह्मी शरबत, ब्राह्मी पावर टेबलेट, मेमरी मिल्क बिस्किट, मूसली युक्त एनर्जी ड्रिंक, हेल्थ मिक्स आदि। इसके अलावा जल ब्राह्मी आधारित हर्बल चाय भी बाज़ार में उपलब्ध हैं।

इतने सारे उत्पाद बताते हैं कि किसान अगर ब्राह्मी की खेती करते हैं, तो यकीनन इससे अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं, क्योंकि इन उत्पादों की मांग दिनों-दिन बढ़ने ही वाली है, जिससे उत्पाद बनाने के लिए ब्राह्मी की मांग भी बढ़ेगी और किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिलेगी। ब्राह्मी के बीज, जड़ें, पत्ते, गांठे आदि का इस्तेमाल अलग-अलग तरह की दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। इसकी पत्तियों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है।

जल ब्राह्मी (Bramhi Jalneem)

 

ब्राह्मी की खेती

ब्राह्मी की खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के निचले पहाड़ी इलाकों में की जाती है। इसके तने और पत्तियां मुलायम, गूदेदार होते हैं, जबकि फूल सफ़ेद होते हैं। ब्राह्मी के फूल आकार में छोटे होते हैं और ये दिसंबर-मई महीने में आते हैं।

जल ब्राह्मी (Bramhi Jalneem)

मिट्टी और जलवायु

ब्राह्मी की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है। यहां तक कि खराब जल निकासी वाली मिट्टी में भी। सैलाबी दलदली मिट्टी में इसकी पैदावार अच्छी होती है। इसे दलदली इलाकों, नहरों और अन्य जल स्त्रोतों के पास भी उगाया जा सकता है। ब्राह्मी की बुवाई जुलाई महीने में की जाती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए तापमान 33-44 डिग्री सेल्सियस तक और आर्द्रता 60 से 65 फ़ीसदी होनी चाहिए।

जहां तक सिंचाई का सवाल है तो इसे पानी की अधिक ज़रूरत होती है। इसलिए बरसात के तुरंत बाद सिंचाई की जानी चाहिए। सर्दियों के मौसम में 20 दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।

उत्पादन कितना होता है?

ब्राह्मी की फसल रोपाई के 5-6 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। एक साल में 2-3 कटाई की जा सकती है। इसके तने को जड़ से 4-5 सेंटीमीटर ऊपर तक काटा जाता है। बाकी बचे हुए तने को दोबारा फसल आती है। ब्राह्मी के पत्ते और जड़ें बिकती हैं। प्रति एकड़ करीबन 45 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है।

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