अरब सागर में 12 मई को मालदीव और लक्षद्वीप की ओर जो कम वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र बना था, वो इस साल के पहले चक्रवाती तूफ़ान ‘ताउते’ या Cyclone Tauktae (pronounced as Tau’Te) के रूप में 18-19 मई को गुजरात तट से टकराएगा। इसकी वजह से पश्चिमी तट के सभी राज्यों में तूफ़ान हवा के साथ भारी से लेकर बहुत भारी बारिश के हालात बन गये हैं। ‘ताउते’ के लगातार विकराल और भयावह होता देख केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, गुजरात, दमन और दीव के तटवर्ती इलाकों में हाई एलर्ट लागू है।
केरल में ‘तौकती’ ने मचायी तबाही
अरब सागर के तटीय इलाकों ख़ासकर केरल में चक्रवात ‘ताउते’ की वजह से मूसलाधार बारिश और तेज़ हवा ने तबाही मचायी है। कासरगोड, कन्नूर, कोझीकोड, त्रिशूर, एर्नाकुलम और अलाप्पुझा ज़िलों में समुद्र के नज़दीक बसे सैकड़ों धर आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं। केरल में नदियाँ उफान पर हैं। वहाँ बाँधों के गेट खोल दिये गये हैं। केन्द्रीय जल आयोग (CWC) ने मणिमाला और अचनकोविल नदियों के दोनों किनारों पर बसे लोगों से बाढ़ की दशा के प्रति सतर्क रहने को कहा है।
जल जमाव और बाढ़ की चुनौती
उत्तर केरल के पाँच ज़िलों कासरगोड, कन्नूर, कोझीकोड, वायनाड और मलप्पुरम में रेड अलर्ट लागू है। कोच्चि, कोझीकोड और तिरुअनन्तपुरम् जैसे शहरों में नालों और नहरों के ओवरफ्लो होने के कारण जलभराव की व्यापक खबरें हैं। पेड़ों और बिजली के खम्भों के टूटने से बिजली गुल हो गयी है। वाहनों को भी नुकसान हुआ है। केरल फायर एंड रेस्क्यू सर्विसेज और केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड की ओर से सड़कों पर गिरे पेड़ों को हटाने और बिजली बहाल करने की कोशिश की जा रही है।
‘ताउते’ बना दोहरी आफ़त
तमिलनाडु में भी कोडइयार नदी उफान पर है। तूफ़ान के केरल और कर्नाटक से महाराष्ट्र और गुजरात की ओर जाने का अनुमान है। विमानन कम्पनियों ने चेन्नई, तिरुअनन्तपुरम, कोच्चि, बेंगलुरू, मुम्बई, पुणे, गोवा और अहमदाबाद से आवागमन करने वाली उड़ानों को आगाह किया है। कोरोना की भयावहता की मार झेल रहे पश्चिमी तट पर बसे सभी राज्यों के लिए ‘ताउते’ दोहरी आफ़त बनकर आ रहा है। इसीलिए केरल सरकार ने अस्पतालों में ऑक्सीजन भंडार बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों से कम से कम 300 मीट्रिक ट्रन ऑक्सीजन तत्काल भेजने की अपील की है। ‘ताउते’ की वजह से मुम्बई में 15 और 16 मई को टीके नहीं लगाये जाएँगे।
राहत तथा बचाव की तैयारियाँ
सभी तटवर्ती राज्यों के मछुआरों को 18 मई तक अरब सागर में नहीं जाने को कहा गया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि तट से टकराते वक़्त ‘ताउते’ की रफ़्तार 150-175 किलोमीटर प्रति घंटा की होगी। ज़ाहिर है, इससे भारी नुकसान होने की आशंका है। इसीलिए प्रादेशिक और राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन राहत बल (NDRF) की सैकड़ों टीमों और नौसेना के जहाज़, विमान, हेलीकॉप्टर और गोताखोरी को भी चौकन्ना रखा गया है। सरकारों ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा है और राहत तथा बचाव के लिए तैयारियाँ की हैं।
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तूफ़ान के नामकरण की रोचक कहानी
भारतीय तट से टकराने वाला ‘ताउते’ इस साल का पहला चक्रवाती समुद्री तूफ़ान है। इसका नामकरण म्याँमार ने किया है। वहाँ अत्यधिक आवाज़ करने वाली एक छिपकिली का नाम ‘ताउते’ है। दरअसल, समुद्री तूफ़ान का नाम पहले से निर्धारित रहता है। हरेक तूफ़ान को जनता और वैज्ञानिकों के बीच ख़ास पहचान देने का सिलसिला हिन्द महासागर के देशों ने 2004 में अपनाया। हालाँकि, अटलांटिक महासागर में बनने वाले चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत साल 1953 में हुई थी। कटरीना, लीजा, लैरी, हिकाका, बुलबुल, पैलिन, हुदहुद, फैनी, निसर्ग, निवार और अम्फान जैसे तबाही के अनेक नामों से हम परिचित हैं। इसीलिए आइए लगे हाथ से जानते चलें कि आख़िर कैसे होता है तूफ़ानों का नामकरण? और, भविष्य के तूफ़ान के नाम क्या होंगे?
साल 2004 में हिन्द महासागर क्षेत्र के आठ देशों – भारत, बाँग्लादेश, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका ने भारत की पहल पर अपने क्षेत्र में आने वाले तूफ़ानों के लिए नामकरण की व्यवस्था अपनायी। कालान्तर में, 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन भी इस समूह से जुड़ गये। तूफ़ान के नामकरण के लिए यही 13 देश नामों की एक सूची देते हैं। इन्हें देशों के नाम के वर्णक्रम (अल्फाबेट) के हिसाब से क्रमबद्ध किया जाता है। इसी क्रम से हरेक नये तूफ़ान को नया नाम दिया जाता है।
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पिछले साल बनी 25 साल की सूची
पिछले साल अप्रैल में 25 सालों के लिए देशों से नाम लेकर जो नयी सूची बनायी गयी, उसके मुताबिक, ‘ताउते’ के बाद के तूफ़ानों के अगले नाम होंगे – मालदीव से बुरेवी, ओमान से यास, पाकिस्तान से ग़ुलाब। पुरानी सूची में अम्फान नाम आख़िरी था। नयी सूची के लिए भारत ने ‘गति, तेज, मुरासु (तमिल वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अम्बुद, जलाधि और वेग’ नाम दिये हैं। जबकि बाँग्लादेश ने अर्नब, कतर ने शाहीन और बहार, पाकिस्तान ने लुलु तथा म्याँमार ने पिंकू नाम भी दिया है। नामों की सूची बनाते वक़्त ये माना गया कि हर साल कम से कम 5 चक्रवाती तूफ़ान तो आएँगे। इसी आधार पर सूची में नामों की संख्या तय होती है। इससे पहले तूफ़ान हेलेन का नाम बाँग्लादेश ने, नानुक का म्याँमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी में उठे तूफ़ान तितली का नाम पाकिस्तान ने दिया था।