अरब सागर में पिछले हफ़्ते बने भीषण चक्रवाती तूफ़ान ‘ताउते’ का असर अभी थमा भी नहीं है कि बंगाल की खाड़ी में एक नया चक्रवाती तूफ़ान ‘यास’ (Cyclone Yaas) के पनपने की ख़बर आ रही है। भारत मौसम विभाग (IMD) में चक्रवात विभाग का पूर्वानुमान है कि अगले हफ़्ते पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस ज़्यादा हो जाने की वजह से कम वायुमंडलीय दबाव का एक सिस्टम विकसित हो गया है। 23-24 मई तक इसके चक्रवाती तूफ़ान में तब्दील होकर 26 मई की शाम तक ओडीशा और पश्चिम बंगाल के तटों की ओर आने के आसार हैं।
‘यास’ (Yaas) एक ओमानी शब्द है। इसका मतलब है निराशा। ये बंगाल की खाड़ी में बनने वाला साल का पहला चक्रवाती तूफ़ान होगा। बंगाल की खाड़ी में मई से अक्टूबर के दौरान अलग-अलग तीब्रता का चक्रवात विकसित होता है। हाल के वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव बढ़ने की वजह से हिन्द महासागर में समुद्र की सतह के औसत तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस का इज़ाफ़ा पाया गया है। यही वो सबसे बड़ी वजह है जिसकी वजह से समुद्री तूफ़ान ज़्यादा भीषण और विनाशकारी बन रहे हैं।
भारत मौसम विभाग के चक्रवात विभाग के मुताबिक, अगले हफ्ते पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का इलाक़ा बनने और इसके तेज़ी से सघन होने के आसार हैं। इन दिनों बंगाल की खाड़ी के ऊपर समुद्री सतह का तापमान यानी sea surface temperature (SST) 31 डिग्री दर्ज़ हो रहा है। ये सामान्य औसत से 1-2 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा है। इसके अलावा अन्य समुद्रीय और वायुमंडलीय परिस्थितियाँ भी चक्रवाती तूफ़ान को विकसित करने के अनुकूल बन रही हैं।
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दक्षिणी और उत्तरी बंगाल की खाड़ी और दक्षिण अंडमान सागर पर बिखरे हुए निम्न और मध्यम नमी वाले बादलों का जमावड़ा बन जाने की वजह से उत्तरी अंडमान सागर और उससे सटे पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी पर 22 मई के आसपास एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की बहुत सम्भावना है। अगले 72 घंटों के दौरान धीरे-धीरे इसी वायुमंडलीय चक्र (सिस्टम) के एक चक्रवाती तूफ़ान का रूप धारण करने की सम्भावना है। इसके बाद ये उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने लगेगा और 26 मई की शाम के आसपास इस चक्रवाती तूफ़ान के ओडिशा-पश्चिम बंगाल के तटों तक पहुँचने की सम्भावना है।
दक्षिण पश्चिम मानसून के 21 मई के आसपास दक्षिण अंडमान सागर और उससे सटे बंगाल की दक्षिण-पूर्वी खाड़ी में आगे बढ़ने की सम्भावना है। इसके सहयोग से 21-24 मई के दौरान दक्षिण-पश्चिमी हवा के क्रॉस इक्वेटोरियल प्रवाह (cross equatorial flow) के मज़बूत होने और अंडमान के समुद्र और इससे सटे पूर्वी-मध्य बंगाल की खाड़ी पर चक्रवाती नमी वाले बादलों के भँवर के बढ़ने की भी सम्भावना है।
मौसम के पूर्वानुमान से जुड़े ज़्यादातर वैज्ञानिक मॉडल भी बता रहे हैं कि 22 और 23 मई के आसपास उत्तरी अंडमान समुद्र और उससे सटे पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी पर एक कम दबाव क्षेत्र का गठन होने वाला है। अगले 72 घंटे में इसके उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हुए 26 मई की शाम के आसपास पश्चिम बंगाल-ओडिशा के तटों तक पहुँचने की सम्भावना है।
तूफ़ान के नामकरण की रोचक कहानी
भारतीय तट से टकराने वाला ‘ताउते’ इस साल का पहला चक्रवाती समुद्री तूफ़ान है। इसका नामकरण म्याँमार ने किया है। वहाँ अत्यधिक आवाज़ करने वाली एक छिपकिली का नाम ‘ताउते’ है। दरअसल, समुद्री तूफ़ान का नाम पहले से निर्धारित रहता है। हरेक तूफ़ान को जनता और वैज्ञानिकों के बीच ख़ास पहचान देने का सिलसिला हिन्द महासागर के देशों ने 2004 में अपनाया। हालाँकि, अटलांटिक महासागर में बनने वाले चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत साल 1953 में हुई थी। कटरीना, लीजा, लैरी, हिकाका, बुलबुल, पैलिन, हुदहुद, फैनी, निसर्ग, निवार और अम्फान जैसे तबाही के अनेक नामों से हम परिचित हैं। इसीलिए आइए लगे हाथ से जानते चलें कि आख़िर कैसे होता है तूफ़ानों का नामकरण? और, भविष्य के तूफ़ान के नाम क्या होंगे?
साल 2004 में भारत की पहल पर हिन्द महासागर क्षेत्र के आठ देशों – भारत, बाँग्लादेश, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका ने अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाले तूफ़ानों के लिए नामकरण की व्यवस्था अपनायी। कालान्तर में, 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन भी इस समूह से जुड़ गये। तूफ़ान के नामकरण के लिए यही 13 देश अपने-अपने प्रस्तावित नामों की एक सूची देते हैं। इन्हें देशों के नाम के वर्णक्रम (अल्फाबेट) के हिसाब से क्रमबद्ध किया जाता है। इसी क्रम से हरेक नये तूफ़ान को नया नाम दिया जाता है।
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पिछले साल बनी 25 साल की सूची
पिछले साल अप्रैल में 25 सालों के लिए देशों से नाम लेकर जो नयी सूची बनायी गयी, उसके मुताबिक, ‘ताउते’ के बाद के तूफ़ानों के अगले नाम होंगे – मालदीव से बुरेवी, ओमान से यास, पाकिस्तान से ग़ुलाब। पुरानी सूची में अम्फान नाम आख़िरी था। नयी सूची के लिए भारत ने ‘गति, तेज, मुरासु (तमिल वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अम्बुद, जलाधि और वेग’ नाम दिये हैं। जबकि बाँग्लादेश ने अर्नब, कतर ने शाहीन और बहार, पाकिस्तान ने लुलु तथा म्याँमार ने पिंकू नाम भी दिया है।
नामों की सूची बनाते वक़्त ये माना गया कि हर साल कम से कम 5 चक्रवाती तूफ़ान तो आएँगे। इसी आधार पर सूची में नामों की संख्या तय होती है। इससे पहले तूफ़ान हेलेन का नाम बाँग्लादेश ने, नानुक का म्याँमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी में उठे तूफ़ान तितली का नाम पाकिस्तान ने दिया था।