कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (Karnataka Industrial Area Development Board) द्वारा बेंगलुरू से लगभग 100 किलोमीटर दूर नागमंगला तालुक के चार गांवों में किए जा रहे भूमि अधिग्रहण का किसान विरोध कर रहे हैं। आज उनके विरोध को 25 दिन हो चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि बोर्ड किसानों की 1277 एकड़ कृषि भूमि का अधिग्रहण कर रहा है। इस भूमि पर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट का कार्य किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर विरोध कर रहे किसानों के अनुसार यह उपजाऊ कृषि भूमि है जिस पर नारियल, सुपारी और सब्जियों से लेकर धान और बाजरा तक उपजाया जाता है।
विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे एक किसान के अनुसार किसानों ने अधिग्रहण के लिए अपनी भूमि देने कसे मना कर दिया है। इसके बावजूद भी जबरन उनकी भूमि छीनी जा रही है। किसानों ने बताया कि उनकी एक ही मांग है, “हमारी जमीन हमें लौटाओ।”
इस संबंध में अगस्त 2020 में राज्य सरकार ने चार गांव चन्नपुरा, हटना, बिलागुंडा और बेचनहल्ली में 1,277 एकड़ भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अधिसूचित करते हुए ग्रामीणों को नोटिस दिया था। इस पर ग्रामीणों ने अधिकारियों से संपर्क कर असहमति जताई। उस समय राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि इस पूरे मामले में कोई भी जल्दबाजी नहीं की जाएगी परन्तु सरकारी अधिकारी काम में लग गए और भूमि का सर्वेक्षण करने गांवों में पहुंच गए।
एक सामाजिक कार्यकर्ता वी. गायत्री के अनुसार यह पूरा क्षेत्र आदिचुंचनगिरी मयूर अभयारण्य और मार्कोनाहल्ली बांध के निकट है तथा इसका अपना पारिस्थितिक महत्व है। यहां पर एक प्रोजेक्ट भी चल रहा है। जबकि अधिकारी किसी भी तरह से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगे हुए हैं।
भूमि का सर्वेक्षण करने वाली टीम में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि कई मापदंडों के आधार पर ही भूमि की पहचान कर उसे अधिगृहीत करने का निर्णय लिया जाता है। अभी इस भूमि पर राज्य सरकार का कोई भी आदेश नहीं आया है। हालांकि उन्होंने किसानों के विरोध तथा उसके पीछे के कारणों को अपने उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही।