मध्य प्रदेश की बंजर भूमि पर फलदार पौधे लहलहाने की उम्मीद जाग गई है। धार के कृषि विज्ञान केन्द्र में जापानी तकनीक से रोपे गए दो हजार फलदार पौधे तेजी से बढ़ रहे हैं। वर्तमान में इनकी ऊंचाई 5 से 10 फीट तक हो गई है। जिला पंचायत और विज्ञान केन्द्र द्वारा बंजर भूमि पर किया गया यह प्रदेश का पहला प्रयोग है। दस जिलों के किसान अब इस तकनीक को समझ रहे हैं। मध्य प्रदेश के 55 विज्ञान केन्द्रों में संभवतः धार पहला विज्ञान केन्द्र है, जहां इस तरह का सफल प्रयोग हुआ है।
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कैसे किया जाता है पौधारोपण
जापान के डॉ. अकीरा मियावाकी ने इस पद्धति की खोज की थी, इसलिए इस पद्धति को मियावाकी नाम से जाना जाता है। जुलाई महीने में इस पद्धति से पौधों को लगाने की पहल की गई थी। इसके तहत एक मीटर गहरा गड्डा खोदकर मिट्टी अलग की जाती है। इस गड्ढे में भूसा डाला जाता है। भूसे के ऊपर फिर मिट्टी डाली जाती है। इसके बाद फिर पुवाल यानी धान आदि के सूखे डंठल जिसमें से निकाल लिए जाते हैं, को डाला जाता है। सबसे ऊपर तालाब की मिट्टी डाली जाती है। इस तरह 5 बाय 20 और 10 बाय 30 मीटर की जगह में बैड तैयार किए गए जीवामृत डालकर नियमित पानी दियाा गया वर्तमान में पौधे पांच से 10 फीट बड़े हो गए हैं।
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10 जिलों के किसान पहुंचे देखने
विज्ञान केंद्र में जापान की तकनीक से फलदार में आम, अमरूद, जामुन, कटहल, सीताफल, चीकू और बिना फलदार में शीशम, सागौन, गुलमोहर, नीम के पौधे लगाए गए हैं, जिन्हें देखने के लिए इंदौर, देवास, उज्जैन, बड़वानी, खरगोन, अलीराजपुर, रतलाम, झाबुआ के किसान विज्ञान केंद्र पहुंचे।
बंजर पहाड़ियों पर इसी पद्धति से पौधे लगाए जाएंगे
विज्ञान केंद्र से शुरू किया गया यह प्रयोग अब बड़े पैमाने पर किए जाने की तैयारी की जा रही है धार के अलावा अन्य जिलों की बंजर पहाड़ियों पर जापान की तकनीक से ही पौधारोपण किया जाएगा इसके लिए एक 1 ग्राम पंचायत से 10000 वर्ग फीट की बंजर जमीन का रिकॉर्ड मांगा गया है वहां भी पौधारोपण की यही पद्धति अपनाई जाएगी।