मध्यप्रदेश के बासमती को भले ही जीआई टैग का तमगा न मिला हो, लेकिन यहां का पूसा और सुगंधा बासमती अपनी नई पहचान के साथ देश के कई शहरों में अपनी खुशबू बिखेरेगा। श्योपुर में काम करने वाली स्व सहायता समूह की महिलाएं मिलर मशीन से धान की ग्रेडिंग कर इन्हें श्योपुर पूसा बासमती-सुगंधा बासमती नाम से पैक करेंगी। इन पैकेटों को गुरूग्राम के ओडीसी ग्रुप के आउटलेट पर बेचा जाएगा। इसके अलावा कई और शहरों में सप्लाई की बात की जा रही है।
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धान की मिलिंग के लिए छोटी-छोटी मशीनें बुलाई जा रही हैं। इसके साथ ही ब्रांडिंग की प्लानिंग भी की जा रही है। श्योपुर में करीब 42 हजार हेक्टेयर में धान की पैदावार होती है। इसमें बासमती और सुगंधा धान किसान बड़ी मात्रा में उगाते हैं। यहां धान मिल न होने की वजह से किसान धान की पैदावार राजस्थान के कोटा में बेचते हैं।
आजीविका मिशन स्व सहायता समूह गठित कर यहां मिलिंग की छोटी मशीने लगाने जा रही है। यहां के चावल को गुरूग्राम के ओडीसी ग्रुप से अनुबंध किया गया है। स्व सहायता समूह की महिलाएं चावल को ग्रेडिंग करेंगी और इसके बाद उनकी पैकिंग की जाएगी। गौरतलब है कि पूसा बासमती और सुगंधा बासमती चावल की सबसे ज्यादा डिमांड बिरयानी और पुलाव बनाने में होती है।