यूपी के किसान अब खेती के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं। वाराणसी शहर में किसान अब बीज बोने के लिए ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। कृषि विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के निदेशक रमेश चंद के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में खेती के दौरान ड्रोन के उपयोग का प्रदर्शन करने के लिए खुटहन गांव का दौरा किया।
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उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि किसान इस प्रयोग से काफी संतुष्ट हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी किसानों को खेती की लागत को कम करने और उनकी दक्षता बढ़ाने में मदद करेगी।
चंद ने बताया कि चावल और गेहूं की खेती के लिए अलग-अलग मिट्टियों की आवश्यकता होती है। अगर चावल को स्थिर पानी की आवश्यकता होती है, तो गेहूं को नमी, हवा और थर्मल रिजाइम के साथ अच्छी तरह से चूर्णित मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके कारण ‘राइस-व्हीट क्रॉपिंग सिस्टम’ की एक प्रमुख विशेषता एरोबिक से अनएरोबिक और फिर वापस एरोबिक स्थितियों में मिट्टी का वार्षिक रूपांतरण है। ड्रोन्स का इस्तेमाल ‘राइस-व्हीट क्रॉपिंग सिस्टम’ के खेतों में किया जा रहा है, जहां गीली मिट्टी के कारण ट्रैक्टरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था।
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टीम ने बताया कि खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और रिमोट सेंसिंग फीचर्स से लैस ड्रोन तकनीक की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है। आधुनिक तकनीक के प्रयोग से खेती में लगने वाला समय व श्रम कम हो गया है और किसानों को फायदा हुआ है।