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प्रस्तावना
क्या आप जानते हैं कि पुलिस की नौकरी छोड़कर भी कोई किसान सफल हो सकता है? आज हम आपको बताएंगे पंजाब के एक ऐसे किसान की कहानी, जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) में अपना भविष्य देखा। फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने परिवार के सहयोग से शुरू किया यह काम आज उनकी पहचान बन चुका है। पिछले 24 सालों से वे डेयरी फ़ार्मिंग में लगे हुए हैं और आज के समय में अपने क्षेत्र के सफल किसानों में गिने जाते हैं। आइए जानते हैं उनकी कहानी कि कैसे उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) में सफलता हासिल की।
जगदीप सिंह जी का परिचय (Introduction)
जगदीप सिंह जी आज 51 वर्ष के हैं, उनका जीवन बेहद प्रेरणादायक है। वह पिछले 24 वर्षों से डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) कर रहे हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पंजाब पुलिस में भर्ती होने का निर्णय लिया। वहां उन्होंने लगभग 10 साल तक सेवा दी। इस दौरान, उनके छोटे भाई और परिवार के अन्य सदस्य खेती के काम को संभालते रहे।
यह पारिवारिक सहयोग उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने का अवसर मिला। जगदीप सिंह की मेहनत और परिवार का सहयोग उनकी सफलता की कुंजी है। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि कैसे अपने सपनों को साकार किया जा सकता है, चाहे राह में कितनी भी चुनौतियां क्यों न हों।
डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत (Start of Dairy Farming)
जब उनके छोटे भाई उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चले गए, तब जगदीप सिंह ने 2001 में अपनी नौकरी छोड़कर मशरूम और सब्जियों की खेती शुरू की। हालांकि, इस काम में उन्हें आशाजनक लाभ नहीं मिला, जिसके कारण उन्होंने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) की ओर रुख़ किया। उन्होंने सबसे पहले एक भैंस खरीदी, और 2004 तक डेयरी फ़ार्मिंग में पशुओं की संख्या बढ़कर 10-15 तक पहुंच गई।
2004 में, जगदीप सिंह ने नेस्ले कंपनी से जुड़कर अपने व्यवसाय को और मज़बूत किया। शुरुआत में, वे साइकिल पर दूध लेकर जाते थे और फिर मोटरसाइकिल का सहारा लिया। यह दूरी लगभग 4 किलोमीटर थी, लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें सफल बनाया। 2006 में, उन्होंने 36 गायें खरीदकर अपने डेयरी फ़ार्म को एक व्यावसायिक रूप दिया। उस समय उनके फ़ार्म से प्रतिदिन 900 लीटर दूध का उत्पादन होने लगा।
2011 में, उन्होंने 2.5 करोड़ का बैंक लोन लेकर अपने फ़ार्म का और विस्तार किया। इस निवेश के बाद, उनकी गायों की संख्या बढ़कर 350 तक पहुंच गई, और उनका दैनिक दूध उत्पादन 3600 लीटर तक पहुंच गया। यह उनकी मेहनत और समर्पण का नतीजा था, जिसने उन्हें डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
लंपी रोग का संकट और वापसी (Lumpy Disease Crisis)
लंपी रोग के कारण जगदीप सिंह के 270 पशुओं की मृत्यु हो गई, जिससे उनका व्यवसाय लगभग समाप्त होने की कगार पर आ गया। यह एक बहुत ही कठिन समय था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। संकट के बावजूद, उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा और फिर से शुरुआत करने का निर्णय लिया।
आज, उनके पास 150 पशु हैं, जिनमें गाय, भैंस, बछिया और बछड़े शामिल हैं। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें इस मुश्किल से उबरने में मदद की। हाल ही में, उन्होंने हरियाणा से 30 और पशु खरीदे हैं, जिससे उनके व्यवसाय में नयापन और विकास हुआ है। जगदीप सिंह जी की कहानी वास्तव में एक प्रेरणा है कि कैसे कठिनाइयों का सामना करते हुए भी आगे बढ़ा जा सकता है।
फ़ार्म का प्रबंधन (Management of the farm)
वर्तमान में, 4 एकड़ में फैले उनके डेयरी फ़ार्म से रोज़ाना 600 लीटर दूध का उत्पादन होता है। इस उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए, पशुओं को विशेष आहार दिया जाता है, जिसमें मक्का और अन्य पोषक तत्व शामिल होते हैं। यह ध्यान रखा जाता है कि उनके आहार में सभी ज़रूरी तत्व मौजूद हों, ताकि वे स्वस्थ और उत्पादन में सक्षम रहें।
जगदीप सिंह अपने पशुओं की सेहत का विशेष ध्यान रखते हैं। साल में दो बार सभी पशुओं का टीकाकरण किया जाता है, जिससे वे बीमारियों से सुरक्षित रह सकें। फ़ार्म में पशुओं के लिए विशेष आवास की व्यवस्था की गई है, जहां गर्मी के मौसम में पंखे और कूलर की सुविधा है। बरसात में, उन्हें शेड में सुरक्षित रखा जाता है, ताकि वे मौसम की कठोरता से बच सकें। इस प्रकार, उनके फ़ार्म का प्रबंधन न केवल दूध उत्पादन को बढ़ाता है, बल्कि पशुओं की भलाई को भी सुनिश्चित करता है।
आय और सम्मान (Income and Honours)
वर्तमान में, जगदीप सिंह के डेयरी फ़ार्म से 21-30 लाख रुपये की वार्षिक आय होती है, जिसमें 25-30% शुद्ध लाभ शामिल होता है। यह उनके मेहनत और सही प्रबंधन का परिणाम है। इसके साथ ही, उन्हें सरकार से बायोगैस प्लांट के लिए 12 लाख रुपये की सब्सिडी मिली है। इसके अतिरिक्त, दूध विक्रय मशीन, साइलेज मशीन और पशु बीमा पर भी उन्हें सब्सिडी मिली है, जिससे उनके व्यवसाय को और मज़बूती मिली है।
जगदीप सिंह जी को उनके काम के लिए कई सम्मान मिले हैं। 2012 में, उन्हें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) से एकीकृत खेती के लिए मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2013 में, गडवासु से डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पुरस्कार मिला। 2014 में, उन्होंने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से 51,000 रुपये के साथ सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार प्राप्त किया। हाल ही में, 2021 में सोलन विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से उन्हें सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान पुरस्कार मिला। ये सभी पुरस्कार उनके काम की पहचान हैं और उनके प्रति समाज की मान्यता को दर्शाते हैं।
भविष्य की योजना और सुझाव (Future Plans and Suggestions)
जगदीप सिंह जी का लक्ष्य अपने फ़ार्म का विस्तार करना और इसके माध्यम से अधिक रोज़गार के अवसर पैदा करना है। वे अपने दुग्ध उत्पादों की स्वयं मार्केटिंग करने की योजना भी बना रहे हैं, ताकि वे सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकें और अपने उत्पादों की क़ीमत बेहतर तरीके से निर्धारित कर सकें। नए किसानों के लिए, वे हमेशा सलाह देते हैं कि छोटे स्तर से शुरुआत करें। 5 पशुओं से शुरुआत करना एक अच्छा विकल्प है, और साथ ही भैंस जैसे पशुओं को शामिल करने की सलाह देते हैं। यह विविधता उनके व्यवसाय को स्थिरता प्रदान कर सकती है।
इसके साथ ही, वे नए किसानों को चेतावनी देते हैं कि देसी नस्ल के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी से सावधान रहें। बाज़ार में कई बार फ़र्जी उत्पादों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से ही ख़रीदारी करने की सलाह देते हैं। उनका अनुभव नए किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक साबित हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
जगदीप सिंह की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है। उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए न केवल अपने व्यवसाय को सफल बनाया, बल्कि नए किसानों के लिए एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया। उनकी मेहनत, समर्पण, और सही मार्गदर्शन से यह साबित होता है कि सही योजना और प्रयास से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। भविष्य की योजनाओं के साथ, वे न केवल अपने फ़ार्म का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करने का कार्य कर रहे हैं। उनके अनुभव और सलाह नए उद्यमियों के लिए अनमोल हैं।
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