भारत में श्वेत क्रांति के जनक कहे जाने वाले डॉ. वर्गीज़ कुरियन की आज 100वीं जयंती है। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनाने में डॉ. कुरियन ने बड़ा योगदान दिया है। वर्गीज़ कुरियन देश के सबसे मशहूर ब्रांड अमूल (AMUL) के फाउंडर थे। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे वर्गीज़ कुरियन ने गुजरात के आणंद में सिर्फ़ दो दूध उत्पादक किसानों से शुरुआत कर देश में श्वेत क्रांति की नींव रख डाली और कैसे बने ‘मिल्कमैन ऑफ़ इंडिया’।
26 नवंबर, 1921 में केरल के कोझिकोड में जन्में डॉ. वर्गीज़ कुरियन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 1944 में टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी (TISCO) में नौकरी भी की। उनकी डेयरी विभाग में रुचि थी, जिसकी पढ़ाई के लिए वो अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी चले गए। भारत वापस आने के बाद गुजरात के आणंद में सरकारी अनुसंधान क्रीमरी में डेयरी इंजीनियर के पद पर उनकी नियुक्ति हो गई। वहां उनकी मुलाकात त्रिभुवनदास पटेल से हुई, जो कैरा ज़िला सहकारिता दुग्ध उत्पादक संघ के संस्थापक थे। 1949 में डॉ. कुरियन ने त्रिभुवनदास पटेल के साथ मिलकर गुजरात में दो दूध उत्पादक किसानों को सदस्य बनाकर डेयरी सहकारिता संघ की स्थापना की।
एक ‘बिलियन लीटर आइडिया’ ने बनाया अमूल (Amul) को जाना-माना ब्रांड
1949 में अमूल डेयरी की शुरुआत हुई। उस समय इसका नाम कैरा डेयरी था। वर्गीज़ कुरियन ने बॉम्बे मिल्क स्कीम के ज़रिए छोटे-छोटे किसानों से 1 से 2 लीटर दूध लेना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में खपत क्षमता से ज़्यादा दूध इकट्ठा होने लगा। फिर वर्गीज़ ने मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का फ़ैसला किया। साथ ही उस समय कहीं भी भैंस के दूध का पाउडर नहीं बनता था। इसके लिए 1954 में उन्होंने अपने दोस्त एच.एम. दलाया के साथ मिलकर एक ऐसी तकनीक को विकसित किया, जो उस समय असंभव मानी जाती थी। ये तकनीक एक ‘बिलियन लीटर आइडिया’ के रूप में तब्दील हो गई। इसके साथ ही उन्होंने भैंस के दूध से मक्खन बनाना भी शुरू कर दिया। उस समय इसके ब्रांड नेम की तलाश शुरू हुई। डेयरी प्लांट के एक केमिस्ट ने अमूल (Amul ) नाम सुझाया। ‘अमूल्य’ शब्द से अमूल ले लिया। ‘अमूल्य’ का अर्थ है मूल्यवान। इस तरह 1957 में ‘अमूल’ नाम से ब्रांड रजिस्टर हुआ।
दूध उत्पादन में हुई बढ़ोतरी
1960 में भारत में दूध उत्पादन 2 करोड़ टन था, जो डॉ. वर्गीज़ कुरियन के कार्यकाल के दौरान 2011 तक 12.2 करोड़ टन तक पहुँच गया। शुरुआत में कंपनी की क्षमता 250 लीटर प्रति दिन की थी। इस समय अमूल कंपनी के कुल 7.64 लाख मेंबर्स हैं। आज की तारीख में अमूल कंपनी रोज़ाना 33 लाख लीटर दूध का कलेक्शन करती है। साथ ही 50 लाख लीटर की हैंडलिंग क्षमता भी है। पूरी दुनिया के दूध उत्पादन में अमूल की 1.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। दुनिया के मिल्क प्रोसेसर रैंकिंग में अमूल 8वें पायदान पर है।
‘ऑपरेशन फ़्लड’ की शुरुआत
अमूल की सफ़लता को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को दूसरी जगहों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (NDDB) का गठन किया। डॉ. वर्गीज़ कुरियन को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। NDDB ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ़्लड’ की शुरुआत की। कुरियन की मैनेजमेंट स्किल्स इतनी कमाल की थी कि उन्होंने देश के गाँव से गाँव को जोड़कर भारत का सबसे बड़ा डेयरी उद्योग खड़ा कर दिया।
‘श्वेत क्रांति’ के जनक, कई पुरस्कारों से सम्मानित
कई देशों ने डॉ. वर्गीज़ कुरियन को अपने यहां आमंत्रित किया। डॉ. कुरियन को लोग ‘श्वेत क्रांति का जनक’ पुकारने लगे। किसानों के जीवन में आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए डॉ. कुरियन कई पुरस्कारों से नवाज़े गए। उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण मिल चुका है। सामुदायिक नेतृत्व के लिए उन्हें ‘ रेमन मैग्सेसे’ (Ramon Magsaysay Award) पुरस्कार मिला। कार्नेगी बटलर विश्व शांति पुरस्कार के साथ वो अमेरिका के ‘इंटरनेशनल पर्सन ऑफ़ द ईयर’ सम्मान से नवाज़े गए। वो ‘कृषि रत्न सम्मान’ और ‘वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़’ जैसे पुरस्कारों से भी सम्मानित किये जा चुके हैं।
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