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आज के वक्त में हज़ारों-लाखों युवा सरकारी और प्राइवेट दोनों ही तरह की नौकरियों के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं एक युवा इस दौड़ से अलग अपना मुकाम बना रहा है। उसने खेती-बाड़ी को अपने करियर के तौर पर चुना है।
उत्तर प्रदेश के कौशांबी ज़िले के गांव टेंगाई के रहने वाले रवींद्र कुमार ने 2016 से सुपर फ़ूड यानि कि ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की खेती शुरू कर दी थी। रवींद्र ने किसान ऑफ़ इंडिया से इस संबंध में ख़ास बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि साल 2016 में उनके पिता जी को न्यूज़पेपर के एक विज्ञापन के ज़रिए इसकी जानकारी मिली थी।
रवींद्र कुमार बताते हैं कि कौशाम्बी में गन्ना और केले का उत्पादन बहुत ज़्यादा मात्रा में होता है। इसकी वजह से पानी की कमी हो गई और 6 ब्लॉक रेड जोन हो गये। जल स्तर बढ़ाने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी ड्रैगन फ्रूट की खेती को ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर लेकर आये थे।
ड्रैगन फ्रूट के लिए भूमि
रवींद्र कुमार बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती ऐसी जमीन पर की जा सकती है जिसमें आलू का उत्पादन होता हो, मतलब कि अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट या बलुई मिट्टी में जिसमें पानी का भराव न होता हो इसकी खेती की जा सकती है। ड्रैगन फ्रूट कैक्टस प्रजाति का पौधा है जिसे बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। कम पानी में ये पौधा अच्छा उत्पादन देता है। जल भराव वाली भूमि पर इसका उत्पादन करना मुमकिन नहीं है।
ऐसे लगाएं ड्रैगन फ्रूट का पौधा
रवीन्द्र कुमार बताते हैं कि जब हमने 2016 में इसकी खेती शुरू की तो ये हमारे लिए ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और देश के लिए भी नया फल था। हम सभी जानते हैं कि ये कैक्टस प्रजाति का पौधा है तो इसकी कटिंग से ही हम पौधे बना सकते हैं और अपने खेत में पौधरोपण कर सकते हैं। इसके पौधरोपण के लिए 20 – 25 सेंटीमीटर की कलम का इस्तेमाल किया जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रैगन फ्रूट का फल सूरज की रोशनी में ज्यादा ग्रोथ करता है इसलिए इसका पौध रोपण खुले मैदान में करना चाहिए। सामान्य रूप से पौधरोपण लिए 1.5 से 2 मीटर लंबे खंभों की जरूरत होती है प्रति खंभा 2 से 4 पौधों की रोपाई करना चाहिए। इसके पौध की रोपाई साल भर कर सकते हैं, लेकिन सबसे अच्छा समय फरवरी का माना जाता है।
रवीन्द्र कुमार किसान ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए बताते हैं कि किसान पौध रोपण के लिए लकड़ी, लोहे या कंक्रीट के खंभे का इस्तेमाल कर सकते हैं, खंभे के ऊपरी हिस्से में एक रिंग बनाई जाती है जिसके लिए हम खराब टायरों का उपयोग करते हैं क्योंकि ये सस्ता पड़ता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में खाद और उर्वरक का इस्तेमाल
ड्रैगन फ्रूट की खेती में बहुत किफायती खाद और उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। इसकी रोपाई करते वक्त 10 से 15 किलोग्राम गोबर की खाद और 100 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट प्रति पौध की जरूरत होती है। पहले दो सालों में 500 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम फास्फोरस और 300 ग्राम पोटाश का प्रयोग प्रति वर्ष करना चाहिए। खाद की इस मात्रा को चार भागों में बांट कर हर एक पोल में तीन महीनों के अंतराल में इस्तेमाल करना चाहिए।
रवीन्द्र कुमार बताते हैं कि वो जैविक ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं जिसमें वो किसी भी प्रकार के केमिकल खाद या दवा का उपयोग नहीं करते हैं। खाद के रूप में गोबर की सड़ी खाद का प्रयोग करते हैं और दवा के रूप में नीम ऑयल का उपयोग करते हैं।
ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन का समय
भारतीय जलवायु के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट में जून से अक्टूबर के बीच फूल निकलते हैं। इसके फूल उभयलिंगी होते हैं, इसलिए इसमें स्व-परागण होता है। फूल आने के 30 से 35 दिनों के बाद इसका फल पक कर तैयार हो जाता है। फल पकने पर इसका रंग हरे से लाल रंग में बदल जाता है। सामान्य रूप से फलों की पांच तुड़ाइयां की जाती हैं।
ड्रैगन फ्रूट में लगने वाले रोग-कीट और रोकथाम
रवीन्द्र कुमार आगे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के गर्म इलाकों में ह्यूमिडिटी वाली गर्मी अच्छी होती है। ऐसी ऐसी स्थिति में किसानों को इंटर क्रॉप के रूप में ऐसी फसल का उत्पादन करना चाहिए। ड्रैगन फ्रूट को छाया देनी चाहिए ताकि पेड़ डी-हाइड्रेट न हो सकें। पौधा डी-हाइड्रेट होने पर फल पीला पड़ने लगता है ऐसी स्थित होने पर गाय के गोबर का घोल बनाकर 2 से 2.5 महीने के अंतराल में स्प्रे करते रहना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में लागत और मुनाफ़ा
रवींद्र बताते हैं कि एक एकड़ भूमि में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए लगभग 3 से 4 लाख रुपये लागत आती है क्योंकि पहले साल में पोल/खंभे बनवाने में लागत मूल्य ज्यादा होता है। दूसरे साल से लागत मूल्य में कमी आ जाती है और फल उत्पादन से कमाई होना शुरू हो जाती है। तीन से चार साल में पेड़ पूरी तरह से डेवलप हो जाते हैं जिससे लगभग 7-8 टन प्रति एकड़ का उत्पादन होता जाता है। किसान अगर वैज्ञानिक तरीके से देखरेख करता है तो पेड़ एक बार लगाने पर लगभग 20 साल तक फल देता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए यहां करवाएं रजिस्ट्रेशन
किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अपने जिले के उद्यान विभाग में रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं, जिससे की किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती से संबंधित सभी प्रकार की योजनाओं का लाभ मिल सके।
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