जैविक कृषि उत्पाद: शकरकंद की उन्नत क़िस्म के जनक रावलचंद हैं किसानों के लिए मिसाल

अपने खेत पर जैविक कृषि उत्पाद का उत्पादन करने से लेकर शकरकंद की नई किस्म विकसित करने तक, रावलचंद खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।

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प्रस्तावना

जोधपुर में रहने वाले रावलचंद जैविक पद्धति से खेती करते हैं, जिन्होंने पिछले दस सालों से जैविक खेती के क्षेत्र में नवाचार किए हैं। अपने खेत पर जैविक कृषि उत्पाद का उत्पादन करने से लेकर शकरकंद की नई किस्म विकसित करने तक, रावलचंद खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। इस लेख में हम उनके जीवन, खेती के अनुभव और नवाचारों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

जैविक खेती में दस साल का अनुभव 

रावलचंद पिछले 10 साल से जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपने खेत को एक पूरी तरह जैविक खेत में तब्दील कर दिया है, जहां कई तरह के जैविक कृषि उत्पाद बनाए जाते हैं। वो उर्वरकता बढ़ाने के लिए जैविक खादों का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही जल संरक्षण और टिकाऊ खेती के लिए सौर ऊर्जा और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों का भी सहारा लेते हैं। रावलचंद कहते हैं-

“जैविक खेती पर्यावरण के अनुकूल होती है और इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। मैंने इस दिशा में कई नवाचार किए हैं, जिनमें जैविक खाद बनाना, ग्रीन हाउस और सोलर सिस्टम का उपयोग प्रमुख है।” 

शकरकंद में नवाचार: नई किस्म का विकास 

रावलचंद ने शकरकंद की एक नई और विशेष क़िस्म तैयार की है। उन्होंने शकरकंद के पुराने और सामान्य प्रकार की जगह ऐसी वरायटी बनाई, जिसमें कोई दाग-धब्बे नहीं होते। उनका कहना है-

“पहले शकरकंद की फसल में कई बार दाग होते थे, जिससे उसका स्वाद और गुणवत्ता प्रभावित होती थी। मैंने शकरकंद का सेलेक्शन करके एक नई वरायटी तैयार की है, जो बिना दाग-धब्बे वाली है और इसका स्वाद भी बेहतर है।” 

रावलचंद की शकरकंद की नई वरायटी का रंग क्रीम और सफेद होता है, जो बाजार में बहुत आकर्षक है। इसके अलावा, उन्होंने एक और वरायटी विकसित की है, जिसमें शकरकंद को काटने पर गुलाबी रंग दिखाई देता है। ये वरायटी उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो कम शुगर सामग्री वाला आहार लेना चाहते हैं। रावलचंद के अनुसार, “ये वरायटी उन लोगों के लिए है, जिन्हें डायबिटीज की समस्या है। वे इसे बिना किसी चिंता के खा सकते हैं।” 

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शकरकंद के चिप्स और पाउडर: एक नया व्यवसाय 

रावलचंद ने शकरकंद से केवल फसल उत्पादन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने इससे शकरकंद के चिप्स और पाउडर भी तैयार करना शुरू किया। उन्होंने अपने खेत पर सोलर ड्रायर लगाया है, जिसमें शकरकंद को सुखाया जाता है और उसका पाउडर तैयार किया जाता है। ये पाउडर बाजार में एक हेल्दी स्नैक के रूप में बेचा जाता है। रावलचंद बताते हैं-

“हम शकरकंद को सुखाकर उसका पाउडर बनाते हैं, जिसे लोग अपने भोजन में उपयोग कर सकते हैं। ये न केवल स्वाद में अच्छा है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।” 

वर्मीकम्पोस्टिंग और जैविक खाद का उत्पादन 

रावलचंद के फार्म पर जैविक खाद और वर्मीकम्पोस्ट भी तैयार की जाती है। उन्होंने अपने खेत में वर्मीकंपोस्टिंग यूनिट स्थापित की है, जहां पर गोबर, पत्ते और दूसरे जैविक पदार्थों का उपयोग कर उच्च गुणवत्ता वाली खाद बनाई जाती है। उनके फार्म पर एक बड़ा सीमेंट का टैंक बना है, जिसमें बकरी के गोबर से खाद बनाई जाती है। 

वे बताते हैं, “हमने एक दस बाई दस का टैंक बना रखा है, जिसमें मिंगनी (बकरी की खाद) से एक विशेष अर्क निकालते हैं। ये खाद दस बीघे तक के खेत के लिए काफी होती है और इसके उपयोग से खरपतवार भी नहीं उगती है।” 

सोलर एनर्जी और ग्रीन हाउस का उपयोग 

रावलचंद के खेत पर सोलर एनर्जी और ग्रीन हाउस का भी उपयोग होता है। उन्होंने सोलर पैनल्स और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से अपने खेत को सुसज्जित किया है, जिससे वे पानी की बचत करते हैं और ऊर्जा का कुशल उपयोग कर रहे हैं। उनका खेत पूरी तरह से स्वावलंबी है और किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की ज़रूरत नहीं होती है। 

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प्रत्यक्ष ग्राहकों तक पहुंच: प्रोसेसिंग यूनिट का लाभ 

रावलचंद ने अपने खेत पर एक प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की है, जहां सभी जैविक कृषि उत्पाद को प्रोसेस किया जाता है और सीधे ग्राहकों को बेचा जाता है। इससे न केवल उन्हें अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य मिलता है, बल्कि ग्राहक भी सीधे जैविक और ताजे उत्पादों का आनंद ले सकते हैं।

सरकारी योजनाओं से मिली मदद: खेती में नवाचार को प्रोत्साहन 

रावलचंद ने अपनी खेती को उन्नत बनाने और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया है। खासकर सोलर एनर्जी और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के लिए उन्होंने सरकारी सहायता ली। रावलचंद बताते हैं-

“मैंने सोलर पैनल्स और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाने के लिए कृषि उद्यान विभाग की योजनाओं का लाभ लिया है। ये योजनाएं किसानों को उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और इसके जरिए हमें सब्सिडी भी मिलती है। इससे न केवल हमारे खेत में पानी की बचत होती है, बल्कि हम ऊर्जा की भी बचत कर पाते हैं।”

सम्मान और पुरस्कार 

रावलचंद की मेहनत और नवाचार को सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सराहा गया है। उन्हें 2022 में जोधपुर जिला प्रशासन और ऑर्गेनिक इंडिया द्वारा “धरती मित्र अवार्ड” से सम्मानित किया गया। ये सम्मान उन्हें उनके जैविक खेती में किए गए उत्कृष्ट योगदान और पर्यावरण के प्रति उनके समर्पण के लिए दिया गया।

जैविक खेती में नवाचार करेगा किसानों का विकास 

रावलचंद की कहानी न केवल एक सफल किसान की है, बल्कि ये उन किसानों के लिए प्रेरणा भी है, जो पारंपरिक खेती से हटकर जैविक और टिकाऊ खेती की दिशा में काम करना चाहते हैं। शकरकंद की नई वरायटी विकसित करना, वर्मीकंपोस्टिंग का उपयोग करना, और सोलर एनर्जी का उपयोग कर अपने खेत को स्वावलंबी बनाना, ये सभी उनके नवाचारों के उदाहरण हैं।

उनकी यात्रा सिखाती है कि अगर हम नई तकनीकों और नवाचारों को अपनाते हैं, तो खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हो सकती है, बल्कि ये किसानों के लिए जैविक कृषि उत्पाद के माध्यम से एक लाभदायक व्यवसाय भी बन सकती है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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