प्रगतिशील किसान गुरप्रीत सिंह शेरगिल बने खेती और खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार की मिसाल

गुरप्रीत सिंह शेरगिल ने खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार कर 'शेरगिल फार्म फ्रेश' ब्रांड शुरू किया, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देता है।

खाद्य प्रसंस्करण

गुरप्रीत सिंह शेरगिल, पंजाब के पटियाला जिले के मझाल खुर्द गांव के निवासी, भारतीय कृषि में नवाचार और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। 1971 में जन्मे गुरप्रीत ने 1996 में बागवानी से अपने करियर की शुरुआत की। आज वे न केवल एक सफल किसान हैं, बल्कि “शेरगिल फार्म फ्रेश” ब्रांड के जरिए खाद्य प्रसंस्करण में एक नई पहचान बना चुके हैं। उनकी कहानी किसानों को आत्मनिर्भर बनने और अपनी उपज से अधिकतम लाभ कमाने की प्रेरणा देती है।

खाद्य प्रसंस्करण की दिशा में पहला कदम: गुलाब शरबत की शुरुआत

गुरप्रीत ने 1996 में बागवानी की शुरुआत केवल 1 एकड़ जमीन से की। धीरे-धीरे उन्होंने इसे 15 एकड़ तक बढ़ा लिया। 2013 में, जब गुलाब के अत्यधिक उत्पादन और कम मांग के कारण भारी आर्थिक नुकसान हुआ, तो उन्होंने अपनी उपज को मूल्यवर्धित (Value Addition) करने का निर्णय लिया। इस संकट से उबरने के लिए उन्होंने गुलाब के फूलों से खाद्य प्रसंस्करण के जरिए “गुलाब शरबत” बनाना शुरू किया।

गुरप्रीत बताते हैं, “हमने महसूस किया कि बाजार में उपलब्ध अधिकतर शरबत कृत्रिम स्वाद और रंगों से बने होते हैं। हमारा उद्देश्य एक ऐसा उत्पाद बनाना था जो पूरी तरह से प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक हो।”

गुलाब शरबत की विशेषताएं और खाद्य प्रसंस्करण की अहमियत

गुलाब शरबत की खासियतें:

  1. शरबत को ताजे गुलाब की पंखुड़ियों से तैयार किया जाता है।
  2. इसमें कृत्रिम रंग, फ्लेवर, और अतिरिक्त चीनी का उपयोग नहीं किया जाता।
  3. शरबत के प्राकृतिक शीतलन गुण इसे गर्मियों के लिए आदर्श बनाते हैं।

गुरप्रीत और उनके भाई ने किसान मेलों में अपने गुलाब शरबत का प्रचार किया। लोगों को यह उत्पाद पसंद आया क्योंकि यह न केवल स्वादिष्ट था, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद था।

शेरगिल फार्म फ्रेश ब्रांड की शुरुआत

गुलाब शरबत की सफलता के बाद, गुरप्रीत ने “शेरगिल फार्म फ्रेश” ब्रांड लॉन्च किया। इस ब्रांड के तहत उन्होंने अन्य उत्पाद जैसे एलोवेरा जूस, आंवला जूस और गुलाब जल भी पेश किए। उनके उत्पादों की खासियत यह है कि वे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं और उपभोक्ताओं की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।

गुरप्रीत कहते हैं, “किसानों को केवल फसलों की खेती तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्हें खाद्य प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और विपणन में भी कदम रखना चाहिए ताकि वे अपनी आय बढ़ा सकें।”

खाद्य प्रसंस्करण से आय में वृद्धि

गुरप्रीत का वार्षिक आय वर्ग 21-30 लाख रुपये है। उनके अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण ने उनकी आय को स्थिरता प्रदान की है।

वे बताते हैं, “पहले हम केवल गुलाब उगाते थे और इसकी बिक्री पर निर्भर रहते थे। लेकिन अब, खाद्य प्रसंस्करण के जरिए हम अपनी उपज से 3-4 गुना अधिक लाभ कमा रहे हैं।”

उनका उत्पाद स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों बाजारों में बेचा जाता है। उनकी मार्केटिंग रणनीतियों और उत्पाद की गुणवत्ता ने उन्हें उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बना दिया है।

सरकारी योजनाओं से खाद्य प्रसंस्करण को मिली मदद

गुरप्रीत ने खाद्य प्रसंस्करण और बागवानी में सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया।

  1. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): इसके तहत उन्हें कोल्ड रूम, पॉलीहाउस और खाद्य प्रसंस्करण इकाई के लिए सब्सिडी मिली।
  2. वर्मीकंपोस्ट यूनिट: जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वर्मीकंपोस्ट यूनिट पर भी सरकारी सहायता प्राप्त हुई।

वे बताते हैं, “सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करके किसान अपने संसाधनों का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।”

पुरस्कार और मान्यताएं: खाद्य प्रसंस्करण में उत्कृष्टता

गुरप्रीत के नवाचार और मेहनत को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सराहा गया है। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. एनजी रंगा किसान राष्ट्रीय पुरस्कार (2015): कृषि में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
  2. जगजीवन राम इनोवेटिव किसान जोनल पुरस्कार (2012): कृषि नवाचारों के लिए।
  3. आईएआरआई फैलोफार्मर पुरस्कार: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा।
  4. मुख्यमंत्री पुरस्कार, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU): उत्कृष्ट कृषि प्रथाओं के लिए।

गुरप्रीत राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कृषि संगठनों के सलाहकार पैनल में भी शामिल हैं। उन्होंने कृषि अनुसंधान और नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

किसानों के लिए प्रेरणा: खाद्य प्रसंस्करण की शक्ति

गुरप्रीत का मानना है कि भारतीय किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर नई तकनीकों और खाद्य प्रसंस्करण विधियों को अपनाना चाहिए। वे स्थानीय किसानों को नियमित रूप से प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण के फायदों के बारे में जागरूक करते हैं। “हमारे गांव में कई किसानों ने अब गुलाब की खेती शुरू कर दी है और वे अपने उत्पादों को मूल्यवर्धित करने के तरीके सीख रहे हैं।”

भविष्य की योजनाएं: खाद्य प्रसंस्करण को वैश्विक स्तर पर ले जाना

गुरप्रीत की योजना “शेरगिल फार्म फ्रेश” ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ले जाने की है। वे अपने उत्पादों की मांग को देखते हुए उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और नई तकनीकों को अपनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
वे कहते हैं, “हमारा उद्देश्य न केवल भारतीय उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद प्रदान करना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय कृषि की पहचान बनाना भी है।”

निष्कर्ष

गुरप्रीत सिंह शेरगिल की कहानी यह दिखाती है कि कैसे एक किसान, सही दृष्टिकोण और मेहनत के साथ, न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बदलाव ला सकता है। उनके नवाचार और खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों ने भारतीय किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।

उनकी सफलता का संदेश स्पष्ट है:

 “किसानों को अपनी फसलों से अधिकतम लाभ उठाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और विपणन में कदम रखना चाहिए। यह न केवल उनकी आय बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाएगा।”

गुरप्रीत की कहानी हर किसान के लिए एक प्रेरणा है, जो अपनी मेहनत और नवाचार के दम पर कृषि के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाना चाहता है।

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