खेती की पारंपरिक तकनीक से किसानों को बहुत अधिक फायदा नहीं होता है। लेकिन आधुनिक मशीनें और वैज्ञानिक पद्धित का इस्तेमाल करके अपनी आमदनी को कई गुणा बढ़ाया जा सकता है। खेती और संबंधित गतिविधियों में मशीनों के इस्तेमाल से श्रम और समय दोनों की बचत होती है। इसके साथ ही काम की लागत कम होने से मुनाफ़ा ज़्यादा होता है। किसान खेती के साथ ही सहायक गतिविधियों में शामिल होकर चिक्कमगलुरु जिले की महिला किसान श्रीमती वनश्री की तरह अपनी नई पहचान बना सकते हैं।
अंतर फसल और आधुनिक मशीनें
कर्नाटक के चिकमगलूर जिले के श्रृंगेरिक तालुका की रहने श्रीमती वनश्री, किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उच्च शिक्षित होने के बाद भी उन्होंने खेती की राह चुनी। उनके पास तीन एकड़ भूमि है जिसमें एक एकड़ में सुपारी के बाग है। इनके बीच में वह केले और काली मिर्च की खेती भी करती हैं। इसके साथ ही बाकी बची भूमि पर फल, सब्ज़ियां और चारा उगाती हैं।
खेत में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल और तालाब हैं। इसके अलावा कई आधुनिक मशीने हैं जैसे चैफ कटर (चारा काटने की मशीन), मैकेनाइज्ड मिल्किंग इक्विपमेंट (दूध निकालने की मशीन), सोलर ड्रायर, मैकेनाइज्ड डेयरी फीड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (पशु चारा बनाने की मशीन) और मैकेनाइज्ड ऑर्गेनिक खाद मिक्सिंग एंड बैगिंग यूनिट (प्राकृतिक खाद मिलाने की मशीन)। वनश्री ने आधुनिक मशीनों को चलाने के लिए ट्रैनिंग भी ली।
फार्म की खासियत
- यहाँ ऑफ सीज़न में हरे चारे की सप्लाई के लिए उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक अपनाई है। दूध निकालने की ऑटोमैटिक मशीन है जिससे न सिर्फ सफाई से दूध निकलता है, बल्कि श्रम और समय की भी बचत होती है। उनके पास वर्मींकंपोस्ट बनाने के लिए भी ऑटोमैटिक मशीन है।
- वह पुशओं के लिए किफायती चारा भी बनाती हैं जिसमें कई अनाज के आटे, खनिज मिश्रण और बायो एंजाइम्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसे वह स्थानीय डेयरी किसानों को बेचती हैं। स्वस्थ मधुमक्खियों के उत्पादन के लिए भी उन्होंने वैज्ञानिक तकनीक अपनाई है।
- सभी मौसमी फलों और खेत के उत्पादों को स्वच्छता के साथ सुखाने के लिए वह सोलर या बिजली से चलने वाले ड्रायर का इस्तेमाल करती हैं।
- स्थानीय फलों का मूल्य संवर्धन करती हैं जिसमें केला, कटहल, अनानास, आम, अमेटेकाई, बिंबली हुली, चूना, कोकम। इनके इस्तेमाल से फिर जेली, स्क्वैश, जूस, अचार, सिरप आदि बनाया जाता है। इसके अलावा वह सुपारी, कालीमिर्च और फूलों के पौधे तैयार करके बेचती हैं। इसके अलावा अपनी खपत के लिए मौसमी सब्ज़ियां भी उगाती हैं।
खाद, चारा और मूल्यसंवर्धन उत्पाद की ऑनलाईन बिक्री से हुई अच्छी कमाई
पिछले साल मूल्य संवर्धन उत्पाद की ऑनलाईन बिक्री से उन्हें 45000 रुपए, पौष्टिक तत्वों से भरपूर 100 टन खाद बेचन पर 10 लाख रुपए और पशु चारा बनाकर 12 लाख रुपए का लाभ हुआ। वनश्री के खेती के काम में उनके पति और बेटी तो सहयोग करते ही हैं, साथ ही कृषि और संबंधित विभागों से उन्हें तकनीकी सहायता भी मिलती है। वनश्री की तरह ही आप भी विविध कृषि गतिविधियों में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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