हरियाणा के राहुल दहिया ने कैसे पाई बागवानी में सफलता? इन उन्नत तकनीकों और सरकारी योजनाओं का उठाया लाभ

राहुल दहिया ने अमरूद की खेती के साथ बागवानी के सफर की शुरुआत की थी। उन्होंने फलों की नर्सरी भी बनाई हुई है। उनकी ये नर्सरी हरियाणा बागवानी बोर्ड व राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है।  

बागवानी फसलों की खेती fruits cultivation horticulture crops

हरियाणा के फ़तेहाबाद ज़िले के रहने वाले राहुल दहिया ने बागवानी क्षेत्र में खेती की उन्नत तकनीकों को अपनाया है। वो 23 एकड़ क्षेत्र में कई फलों की बागवानी कर रहे हैं। इसमें 13 एकड़ ज़मीन उनकी ख़ुद की है और बाकी 10 एकड़ लीज़ पर ली हुई है। उन्होंने 2 एकड़ में अमरूद की खेती के साथ बागवानी की शुरुआत की थी। आज अमरूद के अलावा, उन्होंने आलूबुखारा, आड़ू, केला, माल्टा, कीनू, पपीता, मौसमी आदि फलों की उपज भी अपने बागों में लगाई हुई है।

दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की फल मंडियों में बेची उपज

देहमण गाँव के रहने वाले राहुल दहिया ने 4 एकड़ में अमरूद की किस्म हिसार सफेदा, 5 एकड़ में आडू की किस्म शाने पंजाब, 5 एकड़ में आलूबुखारा की किस्म सतलुज पर्पल, ढाई एकड़ में केले की किस्म जी-9 लगाई हुई है। बाकी ज़मीन में   पपीता, मौसमी, माल्टा और  कीनू की खेती के साथ ही मुर्गी पालन भी करते हैं।

राहुल दहिया ने बागवानी की शुरुआत करने से पहले ICAR-इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट, डिवीज़न ऑफ़ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स और फ़तेहाबाद स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से जानकारी जुटाई। राहुल दहिया कृषि वैज्ञानिकों के लगातार संपर्क में रहते हैं। उनकी सलाह पर उन्नत तकनीकों को अपनी खेती में अपनाते हैं। राहुल का कहना है कि खेती अच्छा मुनाफ़ा देने का माद्दा रखती है। बस थोड़ा अलग सोचने और थोड़ा समझदारी से काम लेने की ज़रूरत होती है।

राहुल दहिया को खेती का तरीका बदलने में शुरुआती खर्च ज़रूर आया पर धीरे-धीरे मुनाफ़ा बढ़ता गया। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की फल मंडियों में अपनी उपज बेचनी शुरू की। इससे उन्हें मुनाफ़ा हुआ और वो सफलता की पायदान पर चढ़ते चले गए।

बागवानी फसलों की खेती fruits cultivation horticulture crops
तस्वीर साभार: ICAR

सरकारी योजनाओं का उठाया लाभ

राहुल दहिया ने सरकार की कई योजनाओं का लाभ लेकर खेती में लगने वाली लागत को भी कम किया है। सरकार की कई तरह की सब्सिडियों का भी लाभ लिया है। ड्रिप सिंचाई पर दी जा रही 90 फ़ीसदी सब्सिडी का लाभ लेते हुए, इस विधि का इस्तेमाल बागवानी में किया। राहुल दहिया के क्षेत्र का पानी नमकीन है। इसलिए ड्रिप सिंचाई के लिए तालाब बनाना जरूरी था। उन्होंने राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission) के तहत सामुदायिक तालाब का निर्माण भी करवाया।

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अमरूद के बागान में ड्रिप पद्धति के ज़रिए सिंचाई ( सांकेतिक तस्वीर साभार: agrifarming)

इंटरक्रॉपिंग तकनीक भी अपनाई

राहुल दहिया ने इंटरक्रॉपिंग तकनीक को भी अपनी बागवानी में शामिल किया है। एक ही क्षेत्र में दो या दो से अधिक फसलों को अलग-अलग कतारों में एक साथ एक समय में करना इंटरक्रॉपिंग कहलाता है। इंटरक्रॉपिंग से बरसात के दिनों में मिट्टी का कटाव रोकने में मदद मिलती है। इंटरक्रॉपिंग तकनीक से किसानों का जोखिम भी कम होता है। एक फसल के नष्ट हो जाने के बाद भी सहायक फसल से उपज मिल जाती है।  फसलों में विविधता होने के कारण रोग और कीटों का प्रभाव भी कम होता है। इंटरक्रॉपिंग में ऐसी फसलों का चुनाव करना चाहिए जो एक-दूसरे के लिए सहायक हों।

राहुल का कहना है कि इंटरक्रॉपिंग तकनीक के साथ-साथ मुर्गीपालन, मछली पालन और गौपालन को अपनाकर किसान अपनी लागत को कम कर मुनाफ़े के प्रतिशत को बढ़ा सकते हैं। इस तरह से खेतों के लिए प्राकृतिक खाद भी मिल जाती है।

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सांकेतिक तस्वीर (तस्वीर साभार: agrifarming)

हरियाणा के राहुल दहिया ने कैसे पाई बागवानी में सफलता? इन उन्नत तकनीकों और सरकारी योजनाओं का उठाया लाभफलों की नर्सरी तैयार की

राहुल दहिया ने फलों की नर्सरी भी बनाई हुई है। उनकी ये नर्सरी हरियाणा बागवानी बोर्ड व राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। इसमें आड़ू की किस्म शाने पंजाब, आलूबुखारा की किस्म सतलुज पर्पल और अमरूद की किस्म हिसार सफेदा के पौधों की सबसे ज़्यादा मांग रहती है। राहुल दहिया इन सभी फलों के पौधों को सब्सिडी मूल्य पर ही बेचते हैं।

बागवानी में ज़्यादा मुनाफ़ा

राहुल दहिया का मानना है कि किसानों द्वारा उत्पादित पारंपरिक फसलों की तुलना में बागवानी फसलें ज़्यादा मुनाफ़ा देती हैं। धान, गेहूं या सब्ज़ियों  की तुलना में बागवानी से 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक आमदनी होती है। किसान फ़ूड प्रोसेसिंग से जुड़कर अपने मुनाफ़े को और बढ़ा सकते हैं। बागवानी रोज़गार के अवसर पैदा करने की भी क्षमता रखती है। उन्होंने ख़ुद 30 से 35 ग्रामीण युवाओं को अपने साथ जोड़ा है।

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सांकेतिक तस्वीर (तस्वीर साभार: 101reporters)

आज की तारीख में राहुल दहिया दूसरे किसानों के लिये भी प्रेरणा का स्रोत बनकर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। उनके गाँव देहमण में कुल 450 एकड़ क्षेत्र में और भी किसान इन पद्धतियों को अपनाकर खेती कर रहे हैं और मुनाफ़ा कमा रहे हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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