छोटे और ऐसे किसान जिनके पास कम भूमि है वह भी एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। दरअसल, इसके तहत फसल के साथ ही फल, सब्ज़ियों की खेती, गाय, बकरी, मुर्गी पालन आदि किया जाता है। गाय के गोबर से खेती के लिए खाद तैयार हो जाती है और पशुओं को आसानी से हरा चारा उपलब्ध हो जाता है यानी यह किसानों के लिए हर तरह से फ़ायदेमंद है। केरल की महिला किसान स्वप्ना जेम्स ने एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) के लाभों से प्रभावित होकर इसे अपनाया है और आज वह अपने क्षेत्र के लिए आदर्श बन चुकी हैं। स्वप्ना जेम्स 19 एकड़ की ज़मीन पर खेती कर रही हैं।
कौन हैं स्वप्ना जेम्स?
स्वप्ना पलक्कड़ ज़िले के श्रीकृष्णपुरम कुलक्कट्टुकुरिसी गांव की रहने वाली हैं। उनके एग्री फ़ार्म को केरल का सर्वश्रेष्ठ फ़ार्म भी घोषित किया जा चुका है। किसान परिवार में शादी होने के बाद से ही उनकी खेती में दिलचस्पी बढ़ी। खेती-बाड़ी के कामों पर हाथ बंटाने लगीं। बाद में उन्होंने ट्रेनिंग भी ली। कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होकर उन्होंने खेती से जुड़ी हर तरह की जानकारी जुटाई।
हर तरह के फसल, फल और सब्ज़ियां उगाती हैं
19 एकड़ में फैला उनका खेत थूथापुझा नदी से घिरा हुआ है। आधी भूमि पर वह रबड़ की खेती करती हैं, जबकि 9 एकड़ में हर तरह की फसल लगाती हैं जैसे नारियल, सुपारी, कोको, जायफल, कॉफी और काली मिर्च आदि। खेती के चारों ओर सागौन, महोगनी, जैकट्री और मत्ती जैसे पेड़ लगे हुए हैं। फ़ार्म की आधी एकड़ ज़मीन पर कई तरह के फल और सब्ज़ियां उगाती हैं, जिसमें टैपिओका, केला, अदरक, हल्दी, रतालू, करेला, मिर्च, लौकी, छोटी लौकी, विविध कंद फसलें शामिल हैं। इसके अलावा, उनके पास वेचुरे नस्ल की 3 गायें (केरल के कोट्टायम ज़िले की देसी गाय) मुर्गी, बत्तख, बटेर और बकरी की विभिन्न नस्लें भी हैं।
खुद तैयार करती हैं जैविक खाद
स्वप्ना कृषि से जुड़ी सभी चीज़ें खुद तैयार करती हैं। ज़ीरो बजट खेती के लिए जीवामृत, बीजामृत घाना, जीवामृत पंचगव्य और थंबोर्मुझी और एरोबिक खाद बनाती हैं। जीवित और मृत शहतूत के सहयोग से मिट्टी स्वस्थ और उपजाऊ बनती है। उनके खेत में सोलर लाइट ट्रैप, जैव-कीट नियंत्रण उपाय और जैव-विविधता संतुलन बनाने के लिए तमाम साधन हैं। चूजें, बत्तख, बटेर और बकरियां का वेस्ट मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में मददगार होते हैं।
उपलब्धियां
- अपनी मेहनत और परिवार की मदद से मॉडल ऑर्गेनिक एकीकृत फार्म तैयार किया।
- खेत में दुलर्भ प्रजाति की फसल और सब्ज़ियां उगाकर इसे जैव विवधता मॉडल का केंद्र बनाया।
- खेत में बारिश का पानी सरंक्षण करने की व्यवस्था के साथ ही मछली पालन भी वो करती हैं।
- मछली पालन से अच्छी आमदनी होती है और सूखा पड़ने पर जमा पानी से सिंचाई की ज़रूरत पूरी होती है।
- उनके खेत में फसलों की विविधता में शामिल हैं आम की 45 किस्में, कटहल की 33, सुपारी की 26, अमरूद की 14, नींबू की 8, दर्जनों हरी पत्तेदार सब्ज़ियां और भिंडी की कई किस्में उनके खेत में लगी हैं।
- उनके पास औषधीय गुणों से भरपूर पौधे भी हैं, जिसमें तुलसी, ब्राह्मी, भद्राक्षका, गिलोय, पनीकूर्का आदि है।
एकीकृत कृषि से बढ़ा मुनाफ़ा
खेती में स्वप्ना का कुल खर्च करीबन 4 लाख पड़ता है, जिसमें आमदनी करीबन 21 लाख होती है। इस तरह 4.75 एकड़ में उनका शुद्ध मुनाफ़ा करीबन 17 लाख के आसपास रहता है। जबकि प्रति एकड़ करीबन साढ़े तीन लाख रुपये होता है।
सर्वश्रेष्ठ किसान महिला
2018 में उन्हें राज्य सरकार की ओर से सर्वश्रेष्ठ किसान महिला पुरस्कार ‘कर्शकथिलकम’ मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें मलयाला मनोरमा द्वारा करशाकाश्री पुरस्कार, कैराली पीपल टेलीविजन द्वारा दिया गया कथिर पुरस्कार, देशबिमानी समाचार पत्र द्वारा दिया गया देशाभिमानी जया कर्षक पुरस्कार और 2019 में रोटरी इंटरनेशनल द्वारा दिया गया व्यावसायिक उत्कृष्टता पुरस्कार जैसे कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड मिल चुके हैं।स्वप्ना न सिर्फ़ अन्य किसानों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं, बल्कि अपने अनुभव व जानकारी उनके साथ साझा करके ज़मीनी स्तर पर उनकी मदद भी कर रही हैं।
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