पशुपालन में महिलाओं की बहुत अहम भूमिका है। अधिकांश पशुपालन गतिविधियां जैसे कि चारा-पानी देना,स्वास्थ्य देखभाल, प्रबंधन, दूध दोहना, घरेलू स्तर पर दूध से दही पनीर मट्ठा तैयार करना महिलाओं द्वारा किया जाता है। इन सब के बावजूद उनके काम को उतना सराहा नहीं जाता। अब स्थितियां ज़रूर बदली हैं। अब महिलाएं डेयरी के क्षेत्र में एक उद्यमी के रूप में सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक महिला हैं केरल के कोट्टायम की रहने वाली एशली जॉन। उन्होंने शिक्षक के पेशे को छोड़कर डेयरी व्यवसाय को चुना।
आसान नहीं था सफर
कई साल तक हाई स्कूल में बतौर शिक्षिका काम करने के बाद एशली जॉन ने अपनी पसंद के काम को ही पेशा बनाने की सोची और डेयरी उद्योग में कदम रखा। हालांकि, उनकी राह आसान नहीं थी। शुरुआत में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन कभी हार न मानने के जज़्बे के साथ वह लगातार आगे बढ़ती गईं।
5 गायों से की थी शुरुआत
एशली जॉन ने 2013 में 5 गायों के साथ डेयरी व्यवसाय में कदम रखा। डेयरी, कृषि, पशु चिकित्सा और अन्य संबंधित विभागों ने उन्हें पूरा सहयोग किया। आज की तारीख में उनके पास करीबन 65 गायें हैं। वो दूध के साथ-साथ दही, घी जैसे दूध से बनने वाले उत्पाद भी बेचती हैं। इससे उनकी आमदनी में अच्छा इज़ाफ़ा हुआ।
कड़ी मेहनत का फल
एशली जॉन को सफलता आसानी से नहीं मिली। इसके पीछे उनका समर्पण और कड़ी मेहनत हैं। सुबह के तीन बजे से उनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है। सुबह करीब सवा तीन बजे वो अपने फ़ार्म पर पहुंच जाती हैं। कमर्शियल वाहन चलाने से लेकर फ़ार्म की कई गतिविधियां वह खुद करती हैं। उनकी सफलता के किस्से कई अखबार और चैनलों पर प्रसारित हो चुके हैं और महिलाओं के लिए वह प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।
मिल चुके हैं कई पुरस्कार
2013-14 में उन्हें ग्राम पंचायत सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार, प्रखंड पंचायत सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार, 2015-16 में सर्वश्रेष्ठ महिला उद्यमी के लिए कोट्टायम जिला पुरस्कार और 2016-17 में सर्वश्रेष्ठ महिला उद्यमी के लिए केरल राज्य पुरस्कार मिल चुका है।
डेयरी उद्योग में महिलाओं की भूमिका
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और डीआरडब्लूए (DRWA) ने पशुपालन में महिलाओं की भागीदारी जानने के लिए 9 राज्यों में एक शोध किया। इससे पता चला कि पशुपालन में महिलाओं की भागीदारी करीब 58 प्रतिशत और मछली पालन में 95 प्रतिशत तक है। इतना ही नहीं, नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) के आंकड़ों के मुताबिक, 23 राज्यों में कृषि, वानिकी और मछली पालन में कुल श्रम में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और बिहार में तो ग्रामीण महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत तक है।
डेयरी व्यवसाय ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का अच्छा ज़रिया है। हालांकि, इसके लिए उन्हें सही ट्रेनिंग देने की ज़रूरत हैं। जहां महिलाओं को पशुओं की देखभाल, नस्ल का चुनाव, प्रबंधन आदि से जुड़ा सही प्रशिक्षण मिला है, वहाँ डेयरी उद्योग में महिलाएं सफलता के नए कीर्तिमान रच रही हैं।
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