दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक वो जो आपदा आने पर हालात के आगे घुटने टेक देते हैं और दूसरे वो तो आपदा को अवसर में तब्दील कर न केवल अपनी स्थिति मजबूत कर लेते हैं, बल्कि दूसरों का भी सहारा बन जाते हैं। हम बात कर रहे हैं कि केरल के एर्नाकुलम जिले में जन्मी सामाजिक उद्यमी लक्ष्मी मेनन की।
कोरोना संकट आने के बाद जब सब घरों में कैद थे, उस समय लक्ष्मी ने गरीब और निशक्त महिलाओं को रोजगार देने का बीड़ा उठाया और आज अपने इस काम से लाखों की कमाई कर रही हैं।
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बनाए कागज के डिस्पोजेबल पेन, जो फेंकने के बाद बन जाते हैं पौधे
उन्होंने खास तरीके से यूज एंड थ्रो पेन बनाकर पर्यावरण पर खतरों से निपटना सीखा। इसके बाद कागज के डिस्पोजेबल पेन बनाने वाले सामाजिक उद्यम की शुरुआत की। इस पेन को इस्तेमाल के बाद जब लोग इसे फेंक देते हैं तो इसमें छिपे बीज से पौधे उग जाते हैं। पेन बनाने के लिए प्रिंटिग प्रेस से कागज उठाने वाला यह उद्यम अब कई गरीबों के रोजगार का जरिया बन गया है। हालांकि उन्होंने कोई पेटेंट नहीं लिया है।
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लक्ष्मी के मुताबिक केरल की अपनी यात्राओं के दौरान वे अनाथ बच्चों को क्राफ्ट सिखाती थीं। इस दौरान उन्होंने बच्चों को कागज रोल कर पेन बनाना सिखाया। इसे उन्होंने सेन फ्रांसिस्को की आर्ट गैलरी में भेजा और इससे पैसे भी कमाए। इसी के बाद उन्हें पेन में बीज डालने का विचार आया, ताकि प्लास्टिक पेन से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सके।
चेकुट्टी गुड़िया बना गांव वालों को दिया सहारा
इसी तरह लक्ष्मी को केरल की विनाशकारी बाढ़ के बाद चेकुट्टी गुडिय़ा बनाने का विचार आया। बाढ़ आने के बाद बुनकरों का गांव चेंउमंगलम एक सप्ताह तक पानी में डूबा रहा। इससे टनों कपड़े भीगकर चिंदी बन गए। उन्होंने इसी चिंदी से गुडिय़ा बनाने का काम शुरू किया और आज केरल के लगभग हर घर में आपको चेकुट्टी गुडिय़ा मिल जाएगी।
लॉकडाउन के दौरान लक्ष्मी मेनन ने एक परियोजना शुरू की। कोवीड (COVEED) उनके सामाजिक उद्यम प्योर लिविंग के जरिये कोविड-19 के लिए चल रही परियोजना का शीर्षक है।
उन्होंने www.covid.in वेबसाइट पर घर का एक मिनी मॉडल बनाया, जिससे पिज्जा बॉक्स की तरह डाउनलोड, प्रिंट और असेंबल किया जा सकता है। लोग इनका इस्तेमाल अनाज या दालों को स्टोर करने के लिए कर सकते हैं।