Milky Mushroom Farming Success Story: दूधिया मशरूम की खेती में सफलता कैसे मिली इस किसान को, पढ़िए कहानी

BCT कृषि विज्ञान केंद्र, हरिपुरम के STRY Program द्वारा कालापूरेड्डी गणेश को दूधिया मशरूम की खेती को अपनी आमदनी का मुख्य तरीका बनाने का हौसला मिला।

दूधिया मशरूम की खेती Milky Mushroom Farming

दूधिया मशरूम की खेती : आंध्र प्रदेश के अनकपल्ली ज़िले में एक छोटा सा गांव है वाकापाडू। यहीं के रहने वाले हैं कालापूरेड्डी गणेश जी। बोर्ड की परीक्षा पूरी करने के बाद कालापूरेड्डी गणेश ने सोचा कि वो अपने पिता के साथ खेती में हाथ बंटाएंगे। लेकिन खेती के बारे में ज़्यादा जानकारी न होने की वज़ह से उन्हें मनचाहा फ़ायदा नहीं मिल पाया।

इस अनुभव के बाद कालापूरेड्डी गणेश ने तय किया कि वो खेती से संबंधित कोई नया काम करेंगे जिससे अच्छी कमाई हो सके। तो, उन्होंने यूट्यूब पर खेती करने की कई वीडियोज़ देखीं और उन्हें लगा कि मशरूम की खेती करने में अच्छी संभावनाएं हैं। हालांकि सिर्फ़ वीडियो देखकर काम शुरू करने से उन्हें सफलता नहीं मिली। कुछ समय बाद उन्हें ये एहसास हुआ कि इस क्षेत्र में सफल होने के लिए गहरी जानकारी और व्यावहारिक अनुभव की ज़रूरत है। तो, उन्होंने मशरूम की खेती सीखने के लिए ट्रेनिंग लेने का सोचा। 

मशरूम की खेती के लिए ली ट्रेनिंग (Took training for Mushroom Farming)

कालापूरेड्डी गणेश ने मशरूम की खेती के बारे में सही जानकारी पाने की कोशिश की। उन्हें BCT कृषि विज्ञान केंद्र, हरिपुरम के STRY Program के अंतर्गत मशरूम की ट्रेनिंग का एक विज्ञापन मिला। उन्होंने फ़ोन करके इस ट्रेनिंग के बारे में जानकारी ली और 18 से 24 दिसंबर 2021 तक वहां “मशरूम उगाने के तरीके” पर एक हफ्ते की ट्रेनिंग ली। 

इस ट्रेनिंग में उन्होंने कई बातें सीखीं जैसे:

– मशरूम कैसे उगाएं?

– मशरूम के लिए सही माहौल कैसे बनाएं?

– मशरूम से और भी फ़ायदेमंद चीजें कैसे बनाएं?

– मशरूम की किस्म दूधिया मशरूम की खेती कैसे की जाती है?

तब, उन्होंने दूधिया मशरूम की खेती करने का विचार किया।   

दूधिया मशरूम की खेती में क्या-क्या है ज़रूरी (What is important in the Farming of milky mushroom?) 

इस ट्रेनिंग ने कालापूरेड्डी गणेश को सिखाया कि दूधिया मशरूम की खेती के लिए सही पर्यावरणीय परिस्थितियां समझनी कितनी ज़रूरी हैं। उन्होंने ये भी सीखा कि साफ़-सफ़ाई बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है और मशरूम की खेती के लिए सही धान की पुआल सामग्री और मशरूम स्पॉन कैसे चुनें। इसके साथ ही, उन्होंने दूधिया मशरूम की खेती के लिए आवश्यक आर्द्रता और तापमान को कैसे कंट्रोल और बनाए रखें, इस पर भी कौशल (Skill) प्राप्त किया।

ट्रेनिंग में क्या-क्या सिखाया गया? (What was taught in the training) 

कालापूरेड्डी गणेश को ट्रेनिंग में मशरूम के बारे में सब कुछ सिखाया गया। सबसे पहले उन्हें बताया गया कि मशरूम कैसे उगाया जाता है, इसके पीछे का विज्ञान क्या है। फिर अलग-अलग तरह के मशरूम के बारे में उन्हें बताया गया – कौन से खाने के लिए अच्छे हैं, कौन से दवा के काम आते हैं, और कौन से ख़तरनाक हो सकते हैं। उन्हें ये भी सिखाया गया कि मशरूम की खेती को कैसे एक अच्छा बिज़नेस बनाया जा सकता है।

दूधिया मशरूम की खेती पर ख़ास ध्यान दिया गया। इसमें बताया गया कि मशरूम के लिए कमरा कैसे तैयार करें, जगह कैसे चुनें, सामान कहां से खरीदें, और मशरूम को कैसे सहेज कर रखें। मशरूम के बीज यानी स्पॉन को कैसे बनाया जाता है, ये भी सिखाया गया। आख़िर में, मशरूम को होने वाली बीमारियों और कीड़ों से कैसे बचाया जाए, इस पर भी बात की गई। ये ट्रेनिंग कालापूरेड्डी गणेश के लिए बेहद फ़ायदेमंद साबित हुई। 

दूधिया मशरूम की खेती से बदली कालापूरेड्डी गणेश की ज़िंदगी (Milky Mushroom farming changed the life of Kalapureddy Ganesh)

STRY (Skill Training of Rural Youth) के इस प्रोग्राम ने कालापूरेड्डी गणेश को मशरूम उगाने की जानकारी और कौशल (Skill) सिखाने में जो मदद की। उससे उन्हें मशरूम की खेती को अपनी आमदनी का मुख्य तरीका बनाने का हौसला मिला।

थोड़े समय बाद, दूधिया मशरूम की खेती ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। कालापूरेड्डी गणेश ने अपना खुद का काम शुरू किया, जिसका नाम “महालक्ष्मी मिल्की मशरूम” रखा। अब वे अपने द्वारा उगाए गए मशरूम को शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रमों, छोटी दुकानों और बड़े सुपरमार्केट में बेचते हैं। पहले कालापूरेड्डी गणेश साल भर में सिर्फ़ 1.5 लाख रुपये कमाते थे। लेकिन ट्रेनिंग के बाद, जैसे खेत में पानी आने से फ़सल लहलहाती है, वैसे ही उनकी कमाई बढ़कर 3.5 लाख रुपये से ज़्यादा हो गई।

कालापूरेड्डी गणेश दूसरे किसानों की भी करते हैं मदद (Kalapureddy Ganesh now helps other farmers too)

कालापूरेड्डी गणेश की सफलता देखकर आसपास के किसान और दुकानदार भी उत्साहित हो गए। वे अक्सर कालापूरेड्डी गणेश के पास आते और मशरूम की खेती के नए तरीके सीखते। कालापूरेड्डी ने अपने इलाके के 25 से ज़्यादा किसानों और दुकानदारों को अपना ज्ञान बांटा। जैसे एक दीपक से कई दीपक जलते हैं, वैसे ही कालापूरेड्डी गणेश का ज्ञान फैलता गया। अब वे BCT, KVK के प्रोग्रामों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। जिससे वे नए लोगों की भी मशरूम की खेती में मदद कर सकें।

ये भी पढ़ें: मशरूम की खेती की शुरुआत कैसे करें और कहां है बाज़ार? 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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