मोटे अनाज की खेती millets farmingआमतौर पर देखा गया है कि देश में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद बहुत से युवा बेहतर भविष्य की चाह में विदेशों का रूख कर लेते हैं, मगर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो विदेश की सुख-सविधाएं त्यागकर अपनी मिट्टी से जुड़ना चाहते हैं और यहां के किसान साथियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहते हैं। ऐसी ही एक महत्वकांक्षी और जिंदादिल महिला हैं बेसिलिया ऑर्गेनिक्स की मैनेजिंग डायरेक्टर शर्मिला ओसवाल। जैविक खेती को बढ़ावा देने और लोगों के बीच ऑर्गेनिक व हेल्दी फ़ूड पहुंचाने के लिए उन्होंने बेसिलिया ऑर्गेनिक्स कंपनी बनाई और वन ऑर्गेनिक्स ब्रांड के तहत यह अपने उत्पाद बाज़ार में बेचती हैं। यही नहीं शर्मिला किसानों की ज़िंदगी बेहतर बनाने की दिशा में भी लगातार काम कर रही हैं। शर्मिला ओसवाल ने किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत के दौरान अपने विदेश से देश के सफर और किसानों के साथ जुड़ाव के बारे में बताया।
20 सालों से किसानों के साथ कर रहीं काम
इंग्लैंड और कनाडा में सालों रहने के बाद भी शर्मिला दिल से देसी ही रहीं और देश की मिट्टी की खुशबू व किसानों के लिए कुछ करने का जज़्बा उन्हें भारत खींच लाया। शर्मिला करीबन 20 साल से किसानों के साथ पानी, एग्रीकल्चर, उनकी क्षमता बढ़ाने, फूड सिक्योरिटी, बीज में सुधार आदि मुद्दों पर काम करने के साथ ही किसानों को ट्रेनिंग देने का भी काम कर रही हैं।
क्यों किसानों के साथ काम करना चुना?
शर्मिला कहती हैं, “मैं खुद को ‘डॉटर ऑफ़ सॉइल’ यानी कि मिट्टी की बेटी मानती हूं। मैं मूल रूप से राजस्थान की हूं और जन्म कोंकण (महाराष्ट्र) में हुआ। मैं बहुत साल विदेश में रहीं, कनाडा की नागरिकता भी थी जिसे मैंने सरेंडर कर दिया। मैं अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी, इसलिए देश लौटकर किसानों के साथ काम करना शुरू किया। मैंने महाराष्ट्र के विदर्भ ज़िले के किसानों के साथ भी काम किया, जहां के किसान आत्महत्या कर रहे थे। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान के किसानों के साथ काम किया। मेघालय में एग्रीकल्चर बहुत असंगठित सेक्टर रहा है, हमने यहां भी काम किया और ख़ासतौर पर महिला किसानों को जागरुक किया और खेती में उनकी भागदारी बढ़ाने पर ज़ोर दिया।
मिलेट किसानों के लिए फ़ायदेमंद
शर्मिला ओसवाल कहती हैं कि मिलेट यानी रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाजों की खेती किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद हैं, क्योंकि यह हर मौसम में आसानी से उगा सकते हैं। बारिश, सूखे आदि की टेंशन नहीं रहती और इन अनाजों के मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाकर किसान अपनी आमदनी में इज़ाफा कर सकते हैं।
मिलेट के मूल्य संवर्धन उत्पाद (Value Addition Crops)
रागी के बिस्किट, लड्डू, नूडल्स, ज्वार की नमकीन, पॉपकॉर्न, चिप्स और बाजरा से भी चिप्स, नमकीन आदि बनाकर किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। शर्मिला कहती हैं कि ये सारे अनाज बहुत पौष्टिक है और हर कोई अपने परिवार को पौष्टिक चीज़ें खिलाना चाहता है। ऐसे में प्रोसेसिंग के ज़रिए मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाकर किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सकती हैं। उन्होंने कई कोऑपरेटिव्स बनाए हैं जहां महिलाओं को फ़ूड पैकेजिंग, ग्रेडिंग आदि सिखाई जाती है। महिला किसानों की क्षमता का विकास किया जाता है, जिससे वह अतिरिक्त आय प्राप्त करके अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकें।
शर्मिला ओसवाल कहती हैं कि आज के युवा पौष्टिक आहार में अगर मॉर्डन फ्लेवर और टेस्ट जोड़ दिया जाते है तो वो उसे पसंद करते हैं। वो जो उत्पाद तैयार करती हैं उसमें उन्होंने ज्वार के पॉपकॉर्न में मैक्सिकन पिज्ज़ा चीज़ एंड जेलिपेनो फ्लेवर इस्तेमाल किया है। मिलेट से नूडल्स व पास्ता बनाएं, जो बच्चों का पसंदीदा फूड है। उनका मानना है कि आज की जनरेशन के हिसाब से फ्लेवर डालने पर युवाओं को यह हेल्दी चीज़ें टेस्टी भी लगेंगी। उनके सारे उत्पाद लगभग सभी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर वन ऑर्गेनिक नाम से उपलब्ध हैं।
जैविक खेती को दे रहीं बढ़ावा
किसानों की क्षमता विकास और उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही शर्मिला जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम कर रही हैं। उनका कहना है कि गुड़ व छाछ के अर्क का इस्तेमाल करके जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए इस पर वह काम कर रही हैं। फिलहाल उनके साथ 7 हज़ार किसान जुड़े हैं। किसानों को जोड़ने के लिए उन्होंने अलग-अलग क्लस्टर बनाए हैं।
शर्मिला मानती हैं कि मिलेट हमारी प्राकृतिक संपदा हैं, जो बहुत ही समृद्ध है और विदेशी भी जिसके कायल हो चुके हैं। ऐसे में हमें इसके उत्पादों को बढ़ावा देने की ज़रूरत है। उनके मिलेट उत्पाद विदेश में भी अपनी पहचान बना चुके हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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