बॉलीवुड का एक मशहूर डॉयलाग है “भगवान हर जगह नहीं हो सकता इसलिए उसने मां बनाई है” इस डॉयलाग को चरितार्थ करती हैं उत्तर प्रदेश के जिले ललितपुर की रहने वाली लक्ष्मीबाई कुशवाहा। पति की मौत के बाद बच्चों को पालने की ज़िम्मेदारी लक्ष्मीबाई पर आ गई, पढ़ी लिखी ना होने की वजह से कहीं काम मिलना भी मुश्किक था लेकिन बच्चों को पालने के लिए कुछ तो करना था। फिर लक्ष्मीबाई ने समाज की परवाह किए बिना कन्नी उठाई और मिस्त्री का काम करने लगीं।
शुरुआत में लोगों ने लक्ष्मीबाई का मज़ाक उड़ाया और काम भी देने से मना किया लेकिन धीरे धीरे अपनी मेहनत और लगन से लक्ष्मीबाई मिस्त्री के काम में पारंगत हो गईं। पहले तो लोग लक्ष्मीबाई को मिस्त्री का काम करते हुए देखकर हंसते थे। आने जाने वाले लोग रुककर लक्ष्मीबाई को काम करते देखते फिर उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन अब लक्ष्मीबाई ने अपने काम से लोगों के दिलों में इज़्ज़त बना ली है। और अब लोग उन्हें सम्मान से कारीगर बुलाते हैं।
लक्ष्मीबाई कहतीं हैं कि मजदूरी का काम करके मुश्किल से 150 रुपये मिलते थे जिससे घर चलना मुश्किल होता था फिर उन्होंने मिस्त्री का काम करना प्रारंभ किया और इस काम में उन्हें प्रतिदिन 300 से 350 रुपये मिल जाते हैं।
घर बनाना बहुत मेहनत का काम है इसलिए इसे पुरुष करते हैं पर लक्ष्मीबाई ने इस धारणा को तोड़ा। ये अपने क्षेत्र की पहली महिला हैं जो रानी मिस्त्री का काम करती हैं। लक्ष्मीबाई कुशवाहा ललितपुर जिला मुख्यालय से पूर्व दिशा में 65 किमी दूर महरौनी तहसील के गौना गाँव की रहने वाली हैं। इनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। पति के देहान्त के बाद इन्होंने अपने एक बेटे और दो बेटियों की शादी दूसरों के घरों को बनाकर की है।
आत्मविश्वास से ओतप्रोत लक्ष्मीबाई कहतीं हैं कि काम करते-करते काफी अनुभव हो गया है और अब लोग उन्हें स्कूल, सड़क, पुलिया आदि बनाने का ठेका भी दे देते हैं। वह अपने दिमाग का इस्तेमाल कर खुद ही नक्शा भी तैयार कर लेती हैं।
लक्ष्मीबाई कहतीं हैं कि पति की मौत के बाद रिश्तेदार दूसरी शादी का दबाव बना रहे थे लेकिन अपने बच्चों को छोड़कर उन्हें दूसरी शादी करना मंजूर नहीं था। विपरीत हालातों से लड़ कर अपने लिए नई राह बनाने वाली लक्ष्मीबाई देश की लाखों महिलाओं के लिए एक उदाहरण हैं।