कहते हैं अगर जज्बा जीत का हो तो फिर बड़ी से बड़ी मुसीबतें भी आपकी सफलता में रोड़ा नहीं बन सकती हैं। ये लाइन भारतीय क्रिकेट के उभरते हुए सितारे तेज गेंदबाज नवदीप सैनी पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। नवदीप सैनी हरियाणा के करनाल से ताल्लुक रखते हैं। नवदीप सैनी का जन्म 23 नवंबर 1992 को हुआ था।
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गरीबी भी हौसले को कम नहीं कर पाई
नवदीप सैनी की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। उनके पिता हरियाणा सरकार में ड्राइवर थे। नवदीप के एक बड़े भाई हैं। नवदीप की शिक्षा करनाल के दयाल सिंह स्कूल से हुई। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में बीटेक की पढ़ाई पूरी की। घर में गरीबी थी लेकिन नवदीप क्रिकेटर बनना चाहते थे। ऐसे में उन्हें प्रैक्टिस भी करनी थी। अब प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त संसाधन के लिए पैसे भी नहीं थे।
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दिक्कत बहुत थीं लेकिन नवदीप ने हार नहीं मानी। और घर के गमले को ही स्टम्प बनाकर प्रेक्टिस किया करते थे। नवदीप ने अपने घर के गमलों को स्टैंप बनाकर प्रैक्चिस शुरु कर दी। इसी तरह नवदीप रोज प्रैक्टिस किया करते थे। इसी का ही नतीजा है कि आज नवदीप भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाजों में गिने जाते हैं। नवदीप 150 की रफ्तार से तेज गेंदबाजी कर बल्लेबाज को अपने हथियार डालने पर मजबूर कर देता है। वो 150 किमी/घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकते हैं।
गौतम गंभीर ने दिया करियर को मुकाम
बात दिसंबर 2013 की है। दिल्ली के रोशनारा क्रिकेट ग्राउंड में एक अभ्यास सत्र के लिए नवदीप गए, वहां दिल्ली की रणजी टीम उस समय प्रैक्टिस कर रही थी। उसी समय वहां सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की नजर नवदीप की बॉलिंग पर पड़ी। उन्होंने नवदीप को नेट प्रेक्टिस करने का मौका दिया। नवदीप की तेज गेंदबाजी के कौशल से गौतम बेहद इंप्रेस हुए। बाद में उन्होंने दिल्ली क्रिकेट बोर्ड के चयनकर्ताओं को नवदीप सैनी को टीम में चुनने के लिए सिफारिश की।
दिल्ली के लिए आउटसाइडर होने के बावजूद अपनी कड़ी मेहनत और शानदार गेंदबाजी कौशल की वजह से नवदीप को टीम में जगह मिली। फिर तो कारवां चलता रहा और नवदीप मुकाम हासिल करते रहे। और आज तेज गेंदबाजों में शुमार हैं।