आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने महिलाओं की मदद करने के लिए अपना आईटी सेक्टर का जॉब छोड़ दिया और फिर मशरूम की खेती करना शुरू किया । अपनी कड़ी मेहनत और आगे बढ़ने के जुनून की बदौलत मशरूम से उन्होंने अपनी नई पहचान बनाई है । उन्हें आज पूरा उत्तराखंड ‘मशरूम लेडी’ के नाम से जानता है।
उत्तराखंड के हरिद्वार में मशकॉन अंतरराष्ट्रीय मशरूम फेस्टिवल (Mushcon International Mushroom Festival) का आयोजन हुआ जहाँ किसान ऑफ इंडिया ने ‘मशरूम लेडी’ हिरेशा वर्मा से खास बातचीत की। आइये जानते हैं उनकी सफलता के मंत्र।
मशरूम की खेती करने का कैसे लिया फैसला ?
हिरेशा वर्मा बताती हैं कि 2013 में जब केदारनाथ में बादल फटने से भयानक आपदा आई तो उन्हें एक NGO के साथ जुड़ कर पहाड़ों पर लोगों के लिए काम करने और उनसे मिलने का मौका मिला। वहां उन्होंने देखा कि कई जगहों पर परिवार में सिर्फ़ महिलायें और बच्चे ही रह गए थे। इसीलिए उन्होंने महिलाओं को इस संकट से उबारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की ठानी । उन्होंने देखा कि उत्तराखंड का मौसम मशरूम की खेती के लिए अनुकूल है। इसके बाद उन्होंने मशरुम की खेती की ट्रेनिंग ली और मशरूम उगाना शुरू कर दिया। साथ ही दूसरी महिलाओं को भी वो ट्रेनिंग देने लगीं।
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कैसे मिली मशरूम के बिज़नेस में सफलता ?
हिरेशा वर्मा बताती हैं कि पहले उन्होंने 2000 रुपये की लागत से एक छोटे से कमरे में मशरुम उगाना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने अच्छे मुनाफे के लिए तीन हट्स लगाईं और हर हट में करीब 500 बैग रखे। धीरे-धीरे उनका बिज़नेस आगे बढ़ता चल गया। अब उन्होंने देहरादून में पूरा AC प्लांट बनाया है और इसमें हर दिन करीब 1 टन मशरूम का उत्पादन होता है। इतना ही नहीं, अब तक 2,500 से भी ज़्यादा महिलायें उनके साथ जुड़ चुकी हैं।
क्या मैदानी जगह पर भी कर सकते हैं मशरूम की खेती ?
हिरेशा वर्मा बताती हैं कि ये सिर्फ एक भ्रम है कि मशरुम की खेती सिर्फ पहाड़ों पर ही हो सकती है, क्योंकि मशरूम की अलग-अलग किस्में हैं जो गर्म से लेकर ठंडे जलवायु में आप उगा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर हम राजस्थान को ले सकते हैं जहाँ गैनोडर्मा (Ganoderma) की खेती करना अनुकूल है, क्योंकि उसके लिए तापमान 30-40 डिग्री के बीच होना चाहिए। राजस्थान में ये तापमान आसानी से मिल जाता है।
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क्यों मशरूम की मांग देशभर में ज़्यादा बढ़ रही है ?
वो बताती हैं कि कोविड से बचाव में मशरूम को इम्युनिटी फूड के रूप में देखा गया है क्योंकि इसमें प्रोटीन, फाइबर और अलग-अलग विटामिन पाये जाते हैं। साथ ही औषधीय मशरूम में एंटी-कैंसर, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-वायरल गुणों के कारण इसकी मांग बढ़ रही है। उनका ये भी कहना है कि मशरूम से बनी कई दूसरी चीजों जैसे अचार, पाउडर, सूप आदि का भी लोग बहुत इस्तेमाल कर रहे हैं।
उत्तराखंड और भारत को आने वाले समय में मशरूम उत्पादन में कहाँ पर देखती हैं ?
“मैं उत्तराखंड को मशरुम उत्पादन में नंबर 1 राज्य देखती हूँ क्योंकि बहुत से लोग अब इसको आगे बढ़ाने के लिए इसमें जुड़ रहे हैं और मेहनत कर रहे हैं। भारत भी आने वाले 3-4 सालों में चीन को पीछे छोड़ देगा।” – हिरेशा वर्मा
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