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मनेन्द्र सिंह का परिचय (Introduction)
मनेन्द्र सिंह तेवतिया उत्तर प्रदेश के खंडेरा गांव के निवासी हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा PCM (भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित) से की है, लेकिन उनका हमेशा से कृषि से गहरा जुड़ाव रहा। मनेन्द्र जी के परिवार में पहले पारंपरिक तरीके से खेती होती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, उन्हें यह महसूस हुआ कि कृषि में आधुनिक तकनीक का उपयोग भी किया जा सकता है।
मनेन्द्र जी बताते हैं कि पारंपरिक तरीकों से खेती करने के बावजूद फ़सल का उत्पादन सीमित था। उन्होंने कृषि में आधुनिक तकनीक की आवश्यकता को समझा और पारंपरिक खेती के अलावा नई तकनीकों को अपनाने का फैसला किया। इस सोच के साथ उन्होंने अपनी खेती को आधुनिक तकनीक से लैस किया, जिससे न केवल उनकी उपज में वृद्धि हुई, बल्कि उन्होंने कृषि में बेहतर परिणाम भी प्राप्त किए।
फ़सल और सब्जियों का उत्पादन (Crop and vegetable production)
मनेन्द्र सिंह अपने खेतों में विविध प्रकार की फ़सलें और सब्जियां उगाते हैं। उनकी मुख्य फ़सलें धान, गेहूं और मौसमी सब्जियां जैसे लौकी, आलू, बैंगन, टमाटर, और हरी मिर्च हैं। ये सब्जियां वह विशेष रूप से मांग के हिसाब से उगाते हैं, ताकि उनकी बिक्री में कोई परेशानी न हो। इसके अलावा, मनेन्द्र जी बागवानी में भी सक्रिय रूप से काम करते हैं, और उन्होंने नींबू और आंवला जैसी फ़सलें उगाई हैं। कृषि में आधुनिक तकनीक से उन्हें इन फ़सलों की अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त हुई है।
मनेन्द्र जी का कुल खेत 16 एकड़ है, जिसमें से 1 एकड़ ज़मीन पर वह बागवानी करते हैं। इस 1 एकड़ में नींबू और आंवला के पौधों की देखभाल वह विशेष ध्यान से करते हैं, क्योंकि यह पौधे ज़्यादा समय तक उत्पादन करते हैं और लंबी अवधि तक फल देते हैं। कृषि में आधुनिक तकनीक के कारण अब उन्हें न केवल ताजे फल मिलते हैं, बल्कि बागवानी से भी अच्छी आय होती है।
खाद और सिंचाई के तरीके (Fertilizer and irrigation Methods)
मनेन्द्र सिंह अपनी फ़सलों की बेहतर वृद्धि और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जैविक खादों का उपयोग करते हैं। इनमें वर्मीकंपोस्ट और गोबर की खाद प्रमुख हैं। यह जैविक खादें न केवल भूमि की उर्वरता को बढ़ाती हैं, बल्कि पौधों को आवश्यक पोषण भी प्रदान करती हैं, जिससे फ़सलें स्वस्थ और उत्पादक होती हैं। रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग वह बहुत ही कम करते हैं, क्योंकि वह मानते हैं कि प्राकृतिक तरीकों से कृषि करने से भूमि और पर्यावरण दोनों को फ़ायदा होता है।
सिंचाई के मामले में भी मनेन्द्र सिंह ने कृषि में आधुनिक तकनीक का सहारा लिया है। उनके पास नहर का पानी, सोलर पंप और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का संयोजन है, जो उनके खेतों के लिए बहुत कारगर साबित हो रहा है। सोलर पंप के द्वारा बिजली की खपत कम होती है, जबकि ड्रिप इरिगेशन तकनीक पानी की बचत करती है और फ़सलों तक सही मात्रा में पानी पहुंचाती है। इस प्रकार, उन्होंने सिंचाई के पारंपरिक तरीकों को बदलकर एक सुविधाजनक और पर्यावरण के अनुकूल तरीका अपनाया है, जिससे उनकी खेती अधिक लाभकारी और स्थिर हो गई है।
कृषि में नई तकनीकों का उपयोग (Use of new technologies in agriculture)
मनेन्द्र सिंह ने अपनी खेती को और अधिक प्रभावी और लाभकारी बनाने के लिए उन्नत और कृषि में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया है। उनकी खेतों में ड्रिप इरिगेशन, सोलर पंप और रोटावेटर जैसी तकनीकों का उपयोग होता है, जो उनकी कृषि प्रक्रिया को बेहद आसान और कारगर बनाती हैं। ड्रिप इरिगेशन प्रणाली के माध्यम से पानी की बर्बादी को रोका जाता है और हर पौधे को सही मात्रा में पानी मिलता है, जिससे फ़सलें स्वस्थ और ज़्यादा उत्पादक होती हैं।
सोलर पंप का उपयोग कर वह बिना किसी अतिरिक्त ख़र्च के सिंचाई करते हैं, जिससे बिजली की खपत में कमी आई है और पर्यावरण को भी लाभ हुआ है। रूटरवेटर जैसी तकनीकें मिट्टी के कंप्रेशन को कम करती हैं, जिससे जड़ें आसानी से फैलती हैं और पौधों की वृद्धि में तेजी आती है।
मनेन्द्र जी बताते हैं कि इन सभी उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए उन्हें सरकार से सब्सिडी प्राप्त हुई है, जो उनकी खेती की लागत को कम करने में बहुत मददगार साबित हुई है। इन सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर उन्होंने अपनी कृषि में आधुनिक तकनीक से खेती को अधिक पर्यावरण मित्र और आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
कमाई और लागत (Earnings and costs)
मनेन्द्र सिंह का कहना है कि अगर बाज़ार की स्थिति सही हो और मौसम अनुकूल रहे, तो उनकी सालाना कमाई 8-10 लाख रुपये तक आराम से हो सकती है। वह मानते हैं कि कृषि में आधुनिक तकनीक का सही इस्तेमाल और बाज़ार की स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए, उनकी आय में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है।
इसके साथ ही, मनेन्द्र यह भी बताते हैं कि खेती की लागत भी समय-समय पर बदलती रहती है, ख़ासकर जब नई तकनीकों और उन्नत कृषि में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। यद्यपि इन तकनीकों की शुरुआत में कुछ निवेश करना पड़ता है, लेकिन इनका लाभ लंबे समय में उन्हें अधिक मिलता है, जिससे उनकी कमाई भी बढ़ती है। कुल मिलाकर, उनका मानना है कि कृषि में आधुनिक तकनीक से काम करने और बाज़ार के हिसाब से योजना बनाने से अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
सम्मान और पुरस्कार (Honours and Awards)
मनेन्द्र सिंह ने अपनी मेहनत, संघर्ष और कृषि में नवाचार के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं। उनके कुछ प्रमुख पुरस्कार और सम्मान निम्नलिखित हैं:
- 2005 में किसान सम्मान दिवस पर 23 दिसम्बर को धान उत्पादन में प्रथम स्थान (प्रथम पुरस्कार) प्राप्त किया।
- 2008 में किसान सम्मान दिवस पर 23 दिसम्बर को जैविक उत्पादों के उपयोग के लिए सम्मानित किया गया।
- 2011 में कृषि विज्ञान केंद्र, गौतमबुद्ध नगर द्वारा 23 दिसम्बर को उनके कृषि कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
- 2012 में रवि किसान मेला, केंद्रीय मृदा लवणता संस्थान, करनाल में उनकी मेहनत और समर्पण को सम्मानित किया गया।
- 2012 में किसान सम्मान दिवस पर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें प्रगतिशील कृषक सम्मान से नवाजा गया।
- 2013 में किसान सम्मान दिवस पर गेहूं उत्पादन में प्रथम स्थान (प्रथम पुरस्कार) प्राप्त किया।
- 2017 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली द्वारा उन्हें नवोन्मेषी (इनोवेटिव) किसान के रूप में सम्मानित किया गया।
- 2020 में किसान सम्मान दिवस पर गौतमबुद्ध नगर में शंकर फूल गोभी उत्पादन में द्वितीय स्थान (द्वितीय पुरस्कार) प्राप्त किया।
इन पुरस्कारों और सम्मानों से मनेन्द्र सिंह को न केवल समाज में सम्मान मिला है, बल्कि इनसे उनके काम को और अधिक प्रेरणा मिली है। उनके द्वारा की गई मेहनत और कृषि में आधुनिक तकनीक को लेकर किए गए नवाचारों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है, जो अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं।
चुनौतियां और मार्केटिंग (Challenges and Marketing)
मनेन्द्र सिंह का कहना है कि कृषि में उन्हें कोई बड़ी समस्या नहीं आती, लेकिन कभी-कभी छोटे-मोटे मुद्दे सामने आते हैं, जैसे फ़सल में किसी तरह की बीमारी या मौसम की असमानता। ऐसे समय में वह जल्दी से समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैं। वह कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग से नियमित संपर्क में रहते हैं, जहां से उन्हें जल्दी सहायता मिल जाती है। इन संस्थाओं से मार्गदर्शन लेकर वह अपनी फ़सलें बेहतर तरीके से उगाने में सफल रहते हैं।
मार्केटिंग के मामले में मनेन्द्र का कहना है कि यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने अपनी खेती में कृषि में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया, जिससे उत्पाद का मूल्य बेहतर हो सकता है। उनकी खेती के अधिकांश उत्पाद नजदीकी मंडी में बिकते हैं, जो उनके खेत से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। इस मंडी में जाकर वह अपनी उपज को अच्छे दामों पर बेचते हैं। इसके अलावा, वह स्थानीय बाज़ारों में भी अपनी फ़सलें बेचते हैं, जहां उन्हें ताजे और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद के लिए अच्छा लाभ मिलता है। मनेन्द्र का मानना है कि यदि किसान अपनी फ़सलों की मार्केटिंग सही तरीके से करें, तो उन्हें अधिक लाभ मिल सकता है।
उन्होंने बताया कि कभी-कभी, स्थानीय बाज़ार में अच्छे दाम नहीं मिलते, तब वह अपनी उपज को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, जिससे न केवल उन्हें अच्छा लाभ मिलता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी ताजे और शुद्ध उत्पाद मिलते हैं। इस प्रकार, मनेन्द्र सिंह ने अपनी मार्केटिंग की रणनीति को भी बहुत सोच-समझकर और सही तरीके से लागू किया है।
अन्य किसानों के लिए संदेश (Message for other farmers)
मनेन्द्र सिंह अन्य किसानों को यह महत्वपूर्ण सलाह देते हैं कि वे सबसे पहले अपनी खेती के तरीकों में सुधार करें। उनका मानना है कि अगर किसान पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर कृषि में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें, तो उन्हें कम लागत में ज़्यादा और बेहतर उत्पादन मिल सकता है। वह कहते हैं कि आजकल कृषि में आधुनिक उपकरण और तकनीकों का उपयोग करके किसानों को अपनी उत्पादकता बढ़ाने का बेहतरीन मौका मिला है।
इसके अलावा, मनेन्द्र यह भी सलाह देते हैं कि किसान अपनी फ़सलों के साथ-साथ बागवानी या अन्य उपजाऊ गतिविधियाँ अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। जैसे उन्होंने नींबू और आंवला जैसी बागवानी फ़सलें उगाकर अपनी आय को विविध रूप से बढ़ाया है। इस तरह, कृषि के साथ-साथ बागवानी या अन्य फ़सलें उगाकर किसान अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं।
वह यह भी मानते हैं कि खेती की सफलता केवल अच्छे तरीकों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह भूमि, जलवायु और स्थान की स्थिति पर भी निर्भर करती है। इसलिए, किसान को अपनी ज़मीन, पर्यावरण और मौसम के अनुसार खेती की योजना बनानी चाहिए। मनेन्द्र सिंह का यह मानना है कि यदि किसान इन सभी पहलुओं का ध्यान रखकर खेती करें, तो वह न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि कृषि में सफलता भी हासिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
मनेन्द्र सिंह की सफलता की कहानी यह दिखाती है कि जब कृषि में नवाचार, मेहनत और सही दिशा में काम किया जाता है, तो अच्छे परिणाम मिलते हैं। उनकी मेहनत और कृषि में आधुनिक तकनीक का सही उपयोग न केवल उनकी खेती को लाभकारी बना रहा है, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। वह साबित करते हैं कि कृषि में आधुनिक तकनीक और सुधार अपनाकर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं और बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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