जैविक खेती में अग्रणी किसान जयकरण का सफर और खेती में किए गए बदलाव

हरियाणा के जयकरण जैविक खेती के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं, जो यूट्यूब चैनल के जरिए किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से प्रेरित कर रहे हैं।

जैविक खेती Organic Farming

प्रस्तावना

हरियाणा के रोहतक जिले के खरक जतान गांव के निवासी जयकरण जैविक खेती के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम बन गए हैं। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें इस क्षेत्र में एक पहचान दिलाई है। जयकरण अपने यूट्यूब चैनल ‘म्हारी खेती म्हारे पशु’ के जरिए न केवल जैविक खेती का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, बल्कि इस चैनल के माध्यम से वे हजारों किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से प्रेरित भी कर चुके हैं। उनका उद्देश्य है कि किसान प्राकृतिक और पर्यावरण-friendly तरीके से खेती करें, ताकि न केवल उनकी फसलें बेहतर हों, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।

जयकरण की यह पहल किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि वे अपने अनुभवों और तकनीकों को सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं, जिससे किसान उन्हें आसानी से समझ सकते हैं और अपनी खेती में सुधार ला सकते हैं।

प्रेरणा और शुरुआत (Inspiration and beginnings)

जयकरण का मानना है:

“खेती केवल फसल उगाने का काम नहीं, बल्कि पर्यावरण और समाज की भलाई का माध्यम है।”

उनकी जैविक खेती (Organic Farming) की यात्रा इस विचार से शुरू हुई कि किस तरह खेती की लागत को कम किया जाए, उपज की गुणवत्ता बढ़ाई जाए और साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा भी की जाए। उन्होंने देखा कि पारंपरिक खेती के तरीकों से न केवल फसल की गुणवत्ता में गिरावट आ रही थी, बल्कि पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा था। इस समस्या का समाधान उन्होंने जैविक खेती में पाया।

वर्मीकंपोस्ट के महत्व को समझकर उन्होंने इसे अपने खेतों में लागू किया, जिससे न केवल खेत की मिट्टी की सेहत बेहतर हुई, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बढ़ी। जयकरण ने जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया को खुद सीखा और आज वे अपनी तैयार की हुई जैविक खाद अन्य किसानों को भी उपलब्ध कराते हैं। इसके माध्यम से वे किसानों को यह समझाते हैं कि जैविक खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण के लिए भी बहुत अच्छा है। उनकी यह पहल किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है, जो जैविक खेती को अपनाकर अपने खेतों में बेहतर परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं।

जैविक खाद और वर्मीकंपोस्ट (Organic fertilizer and Vermicompost)

जयकरण की वर्मीकंपोस्ट विधि ने किसानों को एक नई दिशा दी है। वे कहते हैं:

“जब तक किसान अपने खेतों के लिए खाद स्वयं नहीं बनाएगा, तब तक खेती में लाभ संभव नहीं है।”

वर्मीकंपोस्ट के प्रमुख लाभ:

  • मिट्टी की उर्वरता में सुधार: जैविक खाद से मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ते हैं।
  • लागत में कमी: रासायनिक खाद पर निर्भरता घटती है।
  • पर्यावरण संरक्षण: रसायनों के कम उपयोग से भूमि और जल प्रदूषण कम होता है।

अब तक जयकरण ने 500 से अधिक बेरोजगार युवाओं को वर्मीकंपोस्ट बनाने और जैविक खेती (Organic Farming) शुरू करने के लिए प्रेरित किया है।

जहर मुक्त भोजन की ओर कदम (Steps towards a poison-free diet)

जयकरण का मुख्य उद्देश्य है हर घर तक जहर मुक्त भोजन पहुंचाना। वे कहते हैं:

“रासायनिक खेती ने हमारे भोजन और पर्यावरण को जहरीला बना दिया है। जैविक खेती ही इसका समाधान है।”

उनका मानना है कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से न केवल हमारी फसलें प्रभावित हो रही हैं, बल्कि हमारे भोजन में भी जहर घुल रहा है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इस समस्या का समाधान वे जैविक खेती (Organic Farming) में देखते हैं, जो न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखती है, बल्कि हमारे शरीर के लिए भी फायदेमंद होती है।

उनके खेत की फसलें पूरी तरह जैविक होती हैं। वे नीम ऑयल, जैविक फफूंदनाशक और देसी खाद जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं, ताकि फसलें स्वस्थ रहें और किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थ का उपयोग न हो। इसके साथ ही, वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनके खेतों में हर कदम पर पर्यावरण की सुरक्षा और मिट्टी की सेहत का ध्यान रखा जाए। इस तरीके से वे जैविक खेती (Organic Farming) के जरिए जहर मुक्त भोजन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहे हैं।

कृषि में नवाचार (Innovation in Agriculture)

जयकरण ने जैविक खेती में कई अनूठे नवाचारों को अपनाया है:

  1. गाय और भैंस का योगदान: गोबर और मूत्र से खाद और कीटनाशक तैयार कर रसायनों पर निर्भरता घटाते हैं।
  2. सह-फसली खेती: हल्दी, दाल, सब्जियां और मसाले उगाकर अतिरिक्त आय और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं।
  3. फसल अवशेष प्रबंधन: अवशेष को जलाने की बजाय जैविक खाद बनाते हैं।
  4. फेरोमोन ट्रैप्स और जैविक फफूंदनाशक: सस्ते और पर्यावरण-अनुकूल कीटनियंत्रण के उपाय।
  5. जल प्रबंधन: ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत और निरंतर सिंचाई।

वे कहते हैं:

“इन तकनीकों ने मेरे उत्पादन को बढ़ाया और लागत को 30% तक कम किया। यह अन्य किसानों के लिए भी उपयोगी हो सकता है।”

सम्मान और उपलब्धियां (Honours and achievements)

जयकरण को उनके नवाचार और समर्पण के लिए कई पुरस्कार मिले हैं:

  • नेशनल अवार्ड
  • स्टेट अवार्ड
  • कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से सम्मान
  • वर्मीकंपोस्ट विशेषज्ञ के रूप में पहचान

उनका यूट्यूब चैनल 9,000 से अधिक किसानों को लाभ पहुंचा रहा है।

आर्थिक प्रभाव (Economic impact)

जयकरण की जैविक खेती से उनकी वार्षिक आय 1 से 10 लाख रुपये है। जैविक खेती (Organic Farming) ने उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की है और समुदाय के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं।

सरकारी योजनाओं का लाभ

हालांकि उन्होंने खुद सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लिया, वे अन्य किसानों को योजनाओं की जानकारी और उनके लाभ दिलाने में सहायता करते हैं। उनका मानना है कि सही तकनीकों और योजनाओं से खेती को लाभदायक बनाया जा सकता है।

भविष्य की योजनाएं (Future Plans)

जयकरण का लक्ष्य है:

  • वर्मीकंपोस्ट उत्पादन को बड़े पैमाने पर ले जाना।
  • जैविक उत्पादों के लिए मार्केटिंग नेटवर्क स्थापित करना।

    “हर किसान जैविक खेती अपनाएं और देश को रसायन मुक्त बनाए।”

निष्कर्ष (Conclusion)

जयकरण की कहानी इस बात का प्रमाण है कि समर्पण और सही दिशा में मेहनत से खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाया जा सकता है। उनकी पहल पर्यावरण संरक्षण, रोजगार और आर्थिक विकास में योगदान देती है।

ये भी पढ़ें: जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलाव 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top