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बिहार के वैशाली जिले के नामिदीह, घातरो गांव के निवासी जितेंद्र कुमार सिंह ने जैविक खेती (Organic Farming) में नवाचार और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से एक नई पहचान बनाई है। 25 अक्टूबर 1960 को जन्मे जितेंद्र न केवल एक सफल किसान हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक नेतृत्वकर्ता भी हैं, जिन्होंने अन्य किसानों को भी उन्नत कृषि तकनीकों की ओर प्रेरित किया है।
जैविक खेती की शुरुआत
जितेंद्र कुमार सिंह ने अपनी खेती की यात्रा पारंपरिक तरीकों से शुरू की, लेकिन उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि उन्नत तकनीकों को अपनाए बिना अधिक उत्पादन संभव नहीं है। वे बताते हैं:
“पहले हमारे खेतों की उत्पादकता बहुत कम थी। पारंपरिक तरीकों से गेहूं, चावल और अन्य फसलों की पैदावार में सीमित लाभ हो रहा था। मैंने नई तकनीकों को अपनाने का निर्णय लिया, और परिणामस्वरूप, उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई।”
जितेंद्र ने उच्च घनत्व वाली पौधारोपण तकनीक को अपनाया, जिसमें एक एकड़ भूमि में 16-18 किलोग्राम बीजों का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक ने उत्पादन को 200 किलोग्राम से बढ़ाकर 550-600 किलोग्राम कर दिया।
जैविक खेती में तकनीकों का समावेश
जितेंद्र ने जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने के लिए कई नवाचार किए:
- बोरोपेस्ट और मल्चिंग का उपयोग – आम और लीची की बेहतर पैदावार के लिए।
- कैनोपी प्रबंधन – पौधों के विकास और गुणवत्तापूर्ण फल उत्पादन के लिए।
- श्री (SRI) और डीएसआर (DSR) विधि – धान की अधिक पैदावार के लिए।
- वर्मी कंपोस्ट इकाई की स्थापना – जैविक खाद तैयार करने और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए।
जितेंद्र बताते हैं, “जैविक खाद का इस्तेमाल करने से न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ी, बल्कि फसलों की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ।”
उन्नत तकनीक और उपकरणों का उपयोग
जितेंद्र ने अपनी खेती में आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों का समावेश किया, जिससे उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हुई। उन्होंने शून्य जुताई (Zero Tillage) तकनीक को अपनाया, जिससे गेहूं की बुवाई में समय और लागत की बचत हुई। वे कहते हैं:
“शून्य जुताई तकनीक से उत्पादन लागत में 20% की कमी आई और समय की भी बचत हुई। इससे अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिली।”
किसान उत्पादक संगठन (FPO) की स्थापना
जितेंद्र ने 2019 में “घातरो एग्री प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड” नामक एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) की स्थापना की। इसके जरिए 60 से अधिक किसान एक साथ काम कर रहे हैं। यह संगठन किसानों को आधुनिक तकनीकों, उन्नत बीजों, और जैविक खेती (Organic Farming) की तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। वे बताते हैं:
“हमारा उद्देश्य किसानों को एकजुट करना और उन्हें जैविक खेती (Organic Farming) के फायदों के प्रति जागरूक करना है। हमारे संगठन ने अब तक सैकड़ों किसानों की मदद की है।”
पुरस्कार और सम्मान
जितेंद्र की मेहनत और नवाचार को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनके प्रमुख पुरस्कार हैं:
- आईएआरआई फेलो फार्मर अवॉर्ड (2021) – केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा सम्मानित।
- किसान गौरव पुरस्कार (2019) – बिहार सरकार द्वारा।
- जगजीवन राम इनोवेटिव फार्मर अवॉर्ड (2015) – भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा।
- महिंद्रा समृद्धि इंडिया एग्रो अवॉर्ड (2012) – केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार द्वारा।
- बिहार दिवस समारोह पुरस्कार – बिहार सरकार द्वारा।
जितेंद्र बताते हैं, “इन पुरस्कारों ने न केवल मेरी मेहनत को पहचान दिलाई, बल्कि मुझे और बेहतर करने की प्रेरणा भी दी।”
सरकारी योजनाओं का लाभ
जितेंद्र ने विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया, जिससे उनकी खेती को आधुनिक बनाने में मदद मिली। इनमें शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना – आर्थिक सहायता के लिए।
- मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना – सिंचाई के लिए।
- माइक्रो इरिगेशन योजना – ड्रिप इरिगेशन तकनीक के लिए सब्सिडी।
जितेंद्र का मानना है कि सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करके किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सकता है।
अन्य किसानों को प्रेरणा
जितेंद्र ने अपने अनुभवों को साझा करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन किया। उन्होंने आम, लीची, धान और गेहूं की खेती में आधुनिक तकनीकों को अपनाने के फायदों के बारे में अन्य किसानों को जागरूक किया। वे कहते हैं:
“मेरे खेत में आने वाले किसान जब मेरी सफलताओं को देखते हैं, तो वे भी नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।”
चुनौतियां और उनका समाधान
जितेंद्र की यात्रा आसान नहीं थी। उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे:
- शुरुआती निवेश की कमी – आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए।
- कृषि उपकरणों की उच्च लागत।
- किसानों में जागरूकता की कमी।
इन चुनौतियों का समाधान उन्होंने सरकारी योजनाओं, एफपीओ के सहयोग और अपनी मेहनत से किया।
जैविक खेती का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
जितेंद्र की जैविक खेती (Organic Farming) से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई, बल्कि उनके गांव के अन्य किसानों की भी आय में वृद्धि हुई। उनकी पहल ने गांव में जैविक खेती (Organic Farming) की दिशा में एक नई शुरुआत की। वे बताते हैं:
“मेरी सालाना आय अब 10 लाख रुपये से अधिक है। इससे मैं अपने परिवार और समुदाय की भलाई के लिए काम कर पा रहा हूं।”
भविष्य की योजनाएं
जितेंद्र की योजना अपने एफपीओ का विस्तार करने और किसानों को नए बाजारों तक पहुंचाने की है। वे कहते हैं:
“हम जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाना चाहते हैं।”
इसके अलावा, वे जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए और अधिक प्रयास करना चाहते हैं।
निष्कर्ष
जितेंद्र कुमार सिंह की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बनाना चाहते हैं। उनकी मेहनत, नवाचार और नेतृत्व क्षमता ने न केवल उनकी जिंदगी को बदला, बल्कि उनके समुदाय को भी सशक्त किया। उनकी यात्रा यह दिखाती है कि अगर किसान नई तकनीकों और जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाएं, तो वे न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।
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