संजीव कुमार का परिचय (Introduction)
संजीव कुमार उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के रूपवास दादरी गांव के निवासी हैं। उनके परिवार में 4 भाई हैं, जो खेती से अलग-अलग काम करते हैं, लेकिन संजीव कुमार ही 16 एकड़ ज़मीन पर पूरे परिवार की खेती करते हैं। संजीव कुमार ने अपनी शिक्षा में बीए किया है और 10वीं कक्षा के बाद से ही खेती में हाथ बटाने लगे थे। उनका कहना है कि खेती से उनका लगाव बचपन से ही था। उनके पिता पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन संजीव कुमार ने खेती को ही अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। वह पिछले 20 साल से खेती कर रहे हैं और अब जैविक खेती के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर चुके हैं।
जैविक खेती की शुरुआत (Starting of Organic Farming)
संजीव कुमार बताते हैं कि शुरुआत में वह पारंपरिक तरीके से खेती करते थे, जैसे उनके घर और आसपास के गांवों में लोग करते थे। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने कृषि विभाग से जुड़ने का निर्णय लिया, जहां उन्होंने खेती के नए तरीकों पर प्रशिक्षण लिया। कृषि विभाग ने उन्हें विभिन्न विश्वविद्यालयों का दौरा भी कराया, जिससे उनकी रुचि जैविक खेती की दिशा में बढ़ी। इस अनुभव ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर किया कि पारंपरिक खेती से बेहतर जैविक पद्धतियां अपनाई जाएं।
संजीव कुमार का कहना है कि जैविक खेती में सही मार्गदर्शन उन्हें सन 2000 में डॉक्टर जे. पी. शर्मा से मिला था, जो उस समय पूसा संस्थान के प्रभारी थे। इसके पहले वह कई कृषि मेलों में भाग ले चुके थे और पूसा संस्थान जाकर जैविक खेती के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके थे। इन अनुभवों के बाद उन्होंने इस पद्धति की ओर कदम बढ़ाया और 7-8 साल तक इसे अपनाया। हालांकि कुछ कारणों से वह दो साल तक इस पद्धति से दूर रहे, लेकिन फिर उन्होंने पतंजलि और अन्य कृषि संस्थानों से जुड़कर फिर से जैविक खेती शुरू की और इस बार सफलता प्राप्त की।
जैविक खेती में उत्पादन (Production in Organic Farming)
संजीव कुमार पिछले 14 सालों से जैविक खेती कर रहे हैं और इस दौरान उन्होंने कई तरह की फ़सलों का उत्पादन किया है। वह चावल, सरसों का तेल, गेहूं, मूंग, उड़द, मसूर, और विभिन्न प्रकार की सीजनल सब्जियां जैसे बैंगन, लौकी, करेला, भिंडी, तुरई, सरसों, पालक, मेथी आदि उगाते हैं। उनका मानना है कि जैविक पद्धतियों से उगाए गए उत्पाद न केवल अच्छे और गुणवत्ता वाले होते हैं, बल्कि पर्यावरण पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता। इसके अलावा, मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से भी बचाव होता है।
संजीव कुमार का कहना है कि जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग न होने से उत्पाद स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं, जो बाज़ार में अच्छा मूल्य प्राप्त करते हैं। इस प्रकार, जैविक पद्धतियों से खेती न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी लाभ पहुंचाती है।
पतंजलि से लिया विशेष प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट (Special training and Certificate from Patanjali)
संजीव कुमार ने पतंजलि से विशेष जैविक खेती की मास्टर ट्रेनिंग ली थी, जिसमें उनके साथ 16 अन्य किसानों ने भी भाग लिया। यह प्रशिक्षण उन्हें जैविक खेती के बेहतर और प्रभावी तरीकों को समझने में मददगार साबित हुआ। आज भी वह इन किसानों के संपर्क में हैं और एक-दूसरे से अपने अनुभवों का आदान-प्रदान करते रहते हैं। कुछ किसान अब पॉलीहाउस में खेती कर रहे हैं, जबकि अन्य किसान विभिन्न प्रकार की खेती की विधियों का पालन कर रहे हैं।
संजीव कुमार और उनके साथी किसान मिलकर अपने उत्पादों की मार्केटिंग करते हैं, जिससे उनकी फ़सलों को अच्छे दामों पर बेचा जा रहा है। इस सहयोग से सभी किसानों को फ़ायदा हो रहा है, और वे सामूहिक रूप से अपने उत्पादों को बाज़ार में एक मज़बूत पहचान दिला पा रहे हैं। संजीव कुमार का मानना है कि इस प्रकार की साझेदारी से किसानों को न केवल बेहतर मूल्य मिलता है, बल्कि वे अपनी खेती की क्षमता और लाभ को भी बढ़ा सकते हैं।
मार्केटिंग और कमाई (Marketing and Earnings)
संजीव कुमार का कहना है कि उन्हें अपने जैविक उत्पादों को बेचने में कभी कोई परेशानी नहीं होती। इसके पीछे उनका मज़बूत नेटवर्क है, जो उन्होंने सालों की मेहनत और भरोसेमंद रिश्तों से बनाया है। उनका कहना है कि जब भी उनके पास जैविक उत्पाद तैयार होते हैं, उनका नेटवर्क तुरंत उन्हें ग्राहकों तक पहुंचा देता है, जिससे उत्पाद बहुत जल्दी बिक जाते हैं।
इसके परिणामस्वरूप, वह साल भर में 17-18 लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं। उनका मानना है कि मार्केटिंग के लिए सही संपर्क और नेटवर्किंग बेहद महत्वपूर्ण है, और यही कारण है कि उन्होंने अपने उत्पादों को सही ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए हमेशा ध्यान रखा है। यह न केवल उनके आर्थिक पक्ष को मज़बूत करता है, बल्कि उनके जैविक उत्पादों को एक विश्वसनीय पहचान भी मिलती है।
जैविक खेती में खाद का प्रयोग (Use of fertilizers in Organic Farming)
संजीव कुमार अपनी जैविक खेती में प्राकृतिक और रसायन-मुक्त खाद का उपयोग करते हैं। वह मुख्य रूप से पशु गोबर, वर्मीकंपोस्ट और घरेलू खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी फ़सलों को पोषण मिलता है और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। इसके अलावा, वह रासायनिक उर्वरकों से दूर रहते हैं, ताकि उनकी फ़सलें पूरी तरह से स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक रहें।
सिंचाई के लिए उन्होंने सोलर पैनल भी लगाए हैं, जिससे पानी की बचत होती है और साथ ही ऊर्जा की खपत में भी कमी आती है। सोलर पैनल का उपयोग करने से न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि खेती के ख़र्चों में भी कमी आती है, जिससे उनका समग्र ख़र्चा कम होता है। इस प्रकार, संजीव कुमार जैविक खेती के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाते हैं।
जैविक खेती अपनाने का कारण (Reasons for adopting Organic Farming)
संजीव कुमार का मानना है कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से उगाई गई सब्जियां ‘जहर’ जैसी होती हैं, जो लोगों की सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित होती हैं। उनका कहना है कि इन रसायनों के सेवन से न केवल स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं, बल्कि यह दीर्घकालिक रूप से गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इसलिए, उन्होंने यह ठान लिया कि वह जैविक खेती को अपनाकर न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक स्वस्थ जीवन का रास्ता दिखाएंगे।
संजीव कुमार का उद्देश्य है कि वे जैविक खेती को बढ़ावा दें, ताकि लोगों की सेहत में सुधार हो सके और वे बीमारियों से बच सकें। वह हमेशा अन्य किसानों को भी जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं और जैविक उत्पादों के सेवन की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि अगर लोग जैविक उत्पादों का सेवन करेंगे तो वे अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं और अपने परिवारों को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
अवॉर्ड और सब्सिडी (Awards and Subsidies)
संजीव कुमार को उनकी मेहनत और जैविक खेती के क्षेत्र में सफलता के लिए “IARI Innovative Farmer Award 2022” से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने कई जिला स्तर पर भी पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जो उनकी कड़ी मेहनत और खेती में नवाचार को दर्शाते हैं।
संजीव कुमार को सरकारी योजनाओं के तहत भी सहायता मिली है। उन्हें पीएम किसान योजना से सब्सिडी प्राप्त हुई है, जो उनकी खेती को और भी प्रोत्साहित करने में मददगार साबित हुई है। इन पुरस्कारों और सब्सिडियों ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया और उन्हें इस क्षेत्र में और अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया है।
अन्य किसानों के लिए संदेश (Message for other Farmers)
संजीव कुमार अन्य किसानों से कहते हैं कि जैविक खेती न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी बेहद फ़ायदेमंद है। उनका उद्देश्य है कि वह जितने अधिक किसानों को जैविक खेती के लाभ समझा सकें, ताकि एक स्वस्थ और रोग मुक्त समाज का निर्माण किया जा सके। वह मानते हैं कि जब ज़्यादा से ज़्यादा किसान जैविक खेती अपनाएंगे, तो न केवल उनकी अपनी सेहत बेहतर होगी, बल्कि समग्र समाज का स्वास्थ्य भी सुधरेगा।
संजीव कुमार सुझाव देते हैं कि जो किसान अभी तक जैविक खेती की दिशा में कदम नहीं बढ़ा पाए हैं, वे कम से कम अपने परिवार के लिए जैविक खेती शुरू करें। वह कहते हैं कि यह एक छोटे कदम से शुरू होकर बड़े बदलाव की दिशा में जा सकता है। अगर किसी किसान को अपने उत्पादों को बेचने में कोई दिक्कत हो, तो वह संजीव कुमार से संपर्क कर सकते हैं। उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन और सहयोग से हर किसान सफलता प्राप्त कर सकता है।
कृषि संगठन बनाया (Created an Agricultural Organization)
संजीव कुमार ने 2023 में ‘सर्व जन सहभागिता फार्मर प्रोड्यूसर लिमिटेड’ नामक संगठन की स्थापना की है। इस समूह की शुरुआत उन्होंने किसानों के बीच सामूहिक प्रयास को बढ़ावा देने और बेहतर फ़सल उत्पादन के लिए एक मज़बूत नेटवर्क बनाने के उद्देश्य से की। सरकार की तरफ से उन्हें 4 लाख रुपये की इक्विटी भी प्राप्त हुई है, जो इस संगठन को और भी सशक्त बनाने में मदद कर रही है।
संजीव कुमार का कहना है कि उन्होंने लगभग 350 किसानों का एक समूह तैयार किया है, और इस संगठन के माध्यम से पिछले 7 सालों से ITM (Integrated Technology Management) के तहत 1200 हेक्टेयर ज़मीन पर खेती की जा रही है। इस प्रक्रिया से सभी किसानों को फ़ायदा हो रहा है, और वे विभिन्न कंपनियों के लिए फ़सल उत्पादन कर रहे हैं। यह सहयोग किसानों को बेहतर मार्केटिंग और उचित दाम पर अपनी फ़सल बेचने में मदद करता है, जिससे उनकी आमदनी में भी वृद्धि हो रही है।
इसके अलावा, संजीव कुमार के संगठन द्वारा बीज उत्पादन भी किया जा रहा है, जिसे अन्य किसानों को आपूर्ति किया जा रहा है। इस पहल से न केवल अन्य किसानों को गुणवत्ता वाले बीज मिल रहे हैं, बल्कि वे अपनी फ़सलें भी उचित दाम पर बेच पा रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। इस प्रकार, संजीव कुमार का संगठन किसानों के बीच सहयोग, सशक्तिकरण और आर्थिक समृद्धि का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुका है।
निष्कर्ष (Conclusion)
संजीव कुमार की कहानी यह साबित करती है कि अगर किसान अपने प्रयासों में निरंतरता और समर्पण दिखाते हैं, तो वे जैविक खेती के माध्यम से न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उनके द्वारा शुरू किए गए संगठन और अन्य पहलों से यह भी सिद्ध होता है कि किसानों के बीच सामूहिक प्रयास और सही मार्गदर्शन से कृषि क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
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