जानिए कैसे शहद उत्पादन में पंजाब के नरपिंदर सिंह ने क्रीमी शहद का मार्केट खड़ा किया

पंजाब के नरपिंदर सिंह ने नवाचारी सोच से क्रीमी शहद को नया आयाम दिया, शहद उत्पादन बढ़ाया और उपभोक्ताओं में विश्वास जगाया।

क्रीमी शहद creamy honey

पंजाब के मोगा जिले के नरपिंदर सिंह ने कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। अपनी नवाचारी सोच और मेहनत से उन्होंने क्रीमी शहद के उत्पादन और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी पहल ने शहद उत्पादन को एक नया आयाम देने के साथ मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में किसानों और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास स्थापित किया है।

क्रीमी शहद: शहद उत्पादन में नवाचार का सफर

नरपिंदर सिंह ने महसूस किया कि भारतीय बाजार में शहद के जमने को अक्सर खराब गुणवत्ता से जोड़कर देखा जाता है। उनका कहना है:

“लोग शहद के जमने को इसकी खराब गुणवत्ता समझते हैं और इसे नकार देते हैं। इस भ्रम का फायदा बड़ी कंपनियां उठाती हैं, जो शहद में रासायनिक मिलावट करती हैं।”

इसी समस्या का समाधान करने के लिए नरपिंदर क्रीमी शहद लेकर आए। यह न केवल पूरी तरह से प्राकृतिक है बल्कि जमने की समस्या से मुक्त है, जिससे यह बाजार में एक प्रीमियम उत्पाद बन गया है।

शहद उत्पादकों और उपभोक्ताओं को लाभ

शहद उत्पादकों को लाभ:

  1. उचित मूल्य:
    क्रीमी शहद की उच्च गुणवत्ता और बेहतर प्रसंस्करण ने शहद उत्पादकों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाने में मदद की।
  2. प्रशिक्षण और मार्गदर्शन:
    नरपिंदर ने मधुमक्खी पालकों को शहद उत्पादन की आधुनिक तकनीकें सिखाईं।

उपभोक्ताओं को लाभ:

  1. प्राकृतिक और शुद्ध शहद:
    क्रीमी शहद में किसी भी प्रकार की रासायनिक मिलावट नहीं होती।
  2. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक:
    यह शहद स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

शहद उत्पादन में तकनीकी नवाचार

नरपिंदर ने पारंपरिक शहद उत्पादन तकनीकों को आधुनिक उपकरणों और तरीकों से जोड़ा।

तकनीकी विशेषताएं:

  1. प्राकृतिक प्रसंस्करण:
    क्रीमी शहद के उत्पादन में ऐसी विधियां अपनाई जाती हैं, जो शहद का प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखती हैं।
  2. रासायनिक रहित प्रक्रिया:
    उत्पादन में किसी भी प्रकार की रासायनिक मिलावट का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
  3. उन्नत बीकीपिंग उपकरण:
    आधुनिक उपकरणों के उपयोग से उत्पादन प्रक्रिया को कुशल और समयबद्ध बनाया गया है।

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प्रभाव:

नरपिंदर सिंह की उन्नत तकनीकों और नवाचारी सोच ने शहद उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। उनके प्रयासों से शहद उत्पादन दर में 30% तक वृद्धि हुई है, जबकि शहद की उत्कृष्ट गुणवत्ता ने इसे बाजार में एक अलग और प्रीमियम पहचान दिलाई है।

सरकार द्वारा मान्यता और पुरस्कार

नरपिंदर की उपलब्धियों को कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मंचों पर सराहा गया है।

प्रमुख पुरस्कार:

  1. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा सुरजीत सिंह ढिल्लों पुरस्कार।
  2. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार।

सरकारी योजनाओं का लाभ:

नरपिंदर ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत स्टार्टअप सहायता का लाभ उठाकर अपने काम को विस्तार दिया।

सरकारी सहायता का प्रभाव:

  1. उन्नत उपकरणों और प्रसंस्करण यूनिट्स की स्थापना।
  2. मधुमक्खी पालन के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम।

बाजार में क्रीमी शहद की सफलता

क्रीमी शहद ने स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में तेजी से लोकप्रियता हासिल की है।

वित्तीय प्रभाव:

क्रीमी शहद की सफलता ने नरपिंदर की वार्षिक आय को ₹11-20 लाख तक पहुंचा दिया है।

ग्राहकों की राय:

“क्रीमी शहद का स्वाद और गुणवत्ता दोनों बेहतरीन हैं। अब हमें शहद की शुद्धता की चिंता नहीं रहती।”

भविष्य की योजनाएं

नरपिंदर की योजना क्रीमी शहद को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने और मधुमक्खी पालन की नई तकनीकों पर शोध करने की है।

योजनाएं:

  1. विदेशी बाजार में विस्तार:
    क्रीमी शहद को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की योजना।
  2. शोध और विकास:
    शहद उत्पादन की नई तकनीकों पर काम करना।
  3. प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना:
    युवा किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष केंद्र स्थापित करना।

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प्रेरणा का स्रोत

नरपिंदर सिंह ढिल्लों की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी मेहनत को सही दिशा में लगाकर सफलता हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने दिखाया है कि जब जुनून और तकनीक का संगम होता है, तो न केवल आर्थिक विकास संभव है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी आता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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