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प्रस्तावना
आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले के विजयवाड़ा गांव के रघुवीर नंदम ने प्राकृतिक खेती और कम्युनिटी सीड बैंक के माध्यम से बीज संरक्षण में एक सराहनीय कार्य किया है। 1986 में जन्मे रघुवीर पिछले पांच वर्षों से ‘नेचुरल फार्मिंग’ की ओर अग्रसर हैं, जो खेती के पारंपरिक और जैविक तरीकों को पुनर्स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
कम्युनिटी सीड बैंक बनाया (Community Seed Bank)
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना है, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है। यह प्रयास न केवल जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि आधुनिक खेती के कारण लुप्त हो रही परंपरागत फसलों को भी पुनर्जीवित कर रहा है।
खेती में बेहतरीन कार्यों के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित (Presidential Honor For Excellence In Agriculture)
रघुवीर के इस योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। उन्हें 2023 में ‘प्लांट जीनोम सेवियर फार्मर अवार्ड’ से भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, उन्हें 2024 में ‘आईएआरआई इनोवेटिव फार्मर अवार्ड’ और तीन बार राज्य स्तरीय ‘सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है। ये पुरस्कार इस बात का प्रमाण हैं कि उनके नवाचार और मेहनत को उच्च स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
बीज संरक्षण और ‘वन सीड रेवोल्यूशन’ (Seed Conservation & ‘One Seed Revolution’)
रघुवीर नंदम का ‘वन सीड रेवोल्यूशन’ एक ऐसा अनूठा प्रयास है, जो पारंपरिक बीजों की सुरक्षा और संवर्धन के माध्यम से भारतीय कृषि में स्वावलंबन को बढ़ावा देता है। उन्होंने अपनी भूमि पर देसी चावल की 251 प्रजातियों का संग्रह और संरक्षण किया है, जो उनके कम्युनिटी सीड बैंक का हिस्सा है। इन बीजों में शामिल प्रजातियां समय के साथ विकसित हुईं, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु अनुकूलनशीलता अधिक है। उनके इस कम्युनिटी सीड बैंक का मुख्य उद्देश्य किसानों को पारंपरिक और स्वदेशी बीज उपलब्ध कराना है, ताकि वे उच्च गुणवत्ता वाले और टिकाऊ फसलों की खेती कर सकें।
पारंपरिक बीजों का महत्व रघुवीर ने समझा है और उनके इस कार्य ने यह सिद्ध किया है कि प्राकृतिक रूप से संरक्षित बीज खेती के लिए अधिक लाभदायक और स्थिर होते हैं। आधुनिक कृषि में इस्तेमाल किए जाने वाले संकर बीजों और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता किसानों को आर्थिक रूप से कमजोर बना रही है। रघुवीर का मानना है कि कम्युनिटी सीड बैंक के माध्यम से प्राप्त इन पारंपरिक बीजों का उपयोग करके किसान न केवल अपनी लागत को नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाली फसल भी प्राप्त कर सकते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने में सक्षम हैं।
टिकाऊ खेती के लिए पारंपरिक बीज (Traditional Seeds For Sustainable Farming)
रघुवीर के कम्युनिटी सीड बैंक से किसान पारंपरिक बीजों का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे उनकी लागत में कमी होती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता भी घटती है। इस प्रयास से न केवल किसानों को सीधे आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि जैविक खेती के प्रति उनका रुझान भी बढ़ रहा है। रघुवीर का ‘वन सीड रेवोल्यूशन’ एक सामाजिक पहल भी है, जो ग्रामीण किसानों को स्वावलंबी और सशक्त बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
आत्मनिर्भर कृषि के लिए सीड बैंक का विस्तार (Seed Bank Expansion For Self-Reliant Farming)
रघुवीर का लक्ष्य भविष्य में इस कम्युनिटी सीड बैंक का विस्तार करना है, ताकि और भी किसान इस पहल का हिस्सा बन सकें। उनके इस प्रयास से अधिक से अधिक किसानों को प्रेरणा मिलेगी, जिससे वे भी पारंपरिक बीजों का उपयोग कर खेती में स्थायित्व ला सकें। प्राकृतिक कृषि और कम्युनिटी सीड बैंक के माध्यम से ‘वन सीड रेवोल्यूशन’ भविष्य में कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संतुलन के लिए एक अहम भूमिका निभा सकता है।
प्राकृतिक खेती की तकनीक और पहल (Natural Farming Techniques & Initiatives)
रघुवीर नंदम ने अपने खेतों में पूरी तरह जैविक पद्धतियों का उपयोग करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने ‘नेचुरल फार्मिंग’ के सिद्धांतों को अपनाया है, जिनमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं किया जाता है। इसके स्थान पर वे पूरी तरह प्राकृतिक और घरेलू तत्वों जैसे जीवामृत, बीजामृत और अन्य जैविक उर्वरकों का उपयोग करते हैं। ये विधियां न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं, बल्कि खेती की लागत को भी कम करती हैं, जिससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होता है।
प्राकृतिक खेती से उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार (Improving Productivity With Natural Farming)
रघुवीर का मानना है कि ‘नेचुरल फार्मिंग’ के तरीकों से किसानों को कम पानी और संसाधनों में अधिक उत्पादन मिल सकता है। जीवामृत और बीजामृत, जिनमें गाय के गोबर और मूत्र जैसे प्राकृतिक तत्व होते हैं, पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हैं। इसके अलावा, इन जैविक विधियों से मिट्टी में मौजूद माइक्रोबियल जीवन को बढ़ावा मिलता है, जो पौधों की सेहत और उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस विधि से उपज में गुणवत्ता भी बेहतर होती है, जो बाजार में अधिक मूल्य पर बेची जा सकती है।
किसानों के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण का प्रसार (Farmer Awareness & Training)
रघुवीर ने किसानों के साथ भी अपनी इन तकनीकों को साझा किया है। उन्होंने कई कार्यशालाओं का आयोजन किया है और किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों से अवगत कराया है। उनके इस नवाचार ने किसानों को जागरूक किया है कि वे अपनी परंपरागत खेती को जैविक पद्धतियों में बदल सकते हैं, जिससे वे न केवल बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं। रघुवीर का यह प्रयास न केवल उनके समुदाय में बल्कि अन्य राज्यों में भी प्रेरणा बन रहा है, जो जैविक खेती की दिशा में अग्रसर होना चाहते हैं।
सरकारी योजनाओं से प्राकृतिक खेती और बीज संरक्षण को प्रोत्साहन (Govt. Schemes For Natural Farming & Seed Conservation)
रघुवीर नंदम ने बीज संरक्षण और जैविक खेती के क्षेत्र में काफी प्रयास किए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने कार्य के लिए किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया। कृषि और बीज संरक्षण के क्षेत्र में नवाचार कर रहे किसानों को अगर सरकार की ओर से प्रोत्साहन, प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, और तकनीकी सहायता मिल सके, तो यह उनके कार्य को और भी मजबूत बना सकता है।
भारत सरकार की कई योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, और नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर जैसी पहलें किसानों को समर्थन देने के लिए बनाई गई हैं। इन योजनाओं का लाभ यदि रघुवीर जैसे किसानों को सीधे तौर पर मिले, तो इससे उनकी बीज संरक्षण की मुहिम को और भी मजबूती मिल सकती है। साथ ही, उनके जैविक खेती के कार्यों को विस्तार देने के लिए राज्य सरकार और स्थानीय कृषि विभाग से जुड़कर बीज बैंक स्थापित करने की पहल की जा सकती है।
‘नेचुरल फार्मिंग’ और बीज संरक्षण का संदेश (Natural Farming & Seed Conservation Message)
रघुवीर नंदम का सपना है कि वह ‘नेचुरल फार्मिंग’ और बीज संरक्षण का संदेश न केवल अपने गांव बल्कि पूरे राज्य और देशभर में फैलाएं। वे मानते हैं कि यह एक मात्र कृषि का व्यवसाय नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, जलवायु अनुकूलन, और कृषि में आत्मनिर्भरता का एक जरिया है। उनका उद्देश्य एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है, जहां किसान बिना रसायनों पर निर्भर हुए प्राकृतिक तरीकों से अपनी उपज को बढ़ा सकें।
निष्कर्ष: कम्युनिटी सीड बैंक और प्राकृतिक खेती में किसानों का सशक्तिकरण (Conclusion: Seed Bank & Farmer Empowerment)
रघुवीर अपनी आगामी योजना में एक कम्युनिटी सीड बैंक नेटवर्क बनाना चाहते हैं, जिसमें विभिन्न किसानों के संरक्षण किए गए देसी बीजों का एक विशाल संग्रह हो सके। इसके तहत किसानों को न केवल बीजों की उपलब्धता में आसानी होगी, बल्कि उन्हें उनके पोषण गुणों के बारे में भी जानकारी मिलेगी। इसके अलावा, वह किसानों के लिए कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं, जिससे अधिक से अधिक किसान जैविक खेती और कम्युनिटी सीड बैंक के क्षेत्र में कदम बढ़ा सकें।
रघुवीर के प्रयासों से प्रेरित होकर यदि अधिक किसान जैविक खेती और बीज संरक्षण में संलग्न होते हैं, तो इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा सकेगा।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।