घर की छत पर गार्डन: भारत में लगभग 70 फीसदी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित हैं। कुछ लोग अपनी जमीन पर किसानी कर रहे है तो, कुछ लोग जमीन को लीज पर लेकर किसानी कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो, खेती करने की चाह तो रखते हैं लेकिन जमीन ना होने की वजह से अपने मन को मार कर बैठे हैं।
आज हम उनके साथ एक ऐसे शख्स की कहानी बताएंगे जिसके पास जमीन ना होने पर उसने अपने घर की छत पर ही खेती करने की इच्छा को पूरा किया।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में शाहपुरा में रहने वाले अजय शर्मा पिछले 3 सालों से अपने घर की छत को ही गार्डन बना दिया है। जमीन ना होने की वजह से अजय छत पर ही घर पर पड़ी बेकार चीजो से आर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं।
बता दें अजय शर्मा घर में टूटी हुई कूलर ट्रे, थर्माकोल ओर बर्तनों के इस्तेमाल से छत पर हर तरह की सब्जी उगा रहें हैं। अजय हर सीजन की तकरीबन 8 से ज्यादा अलग-अलग सब्जियां उगाते हैं। अजय शाहपुरा के सेटेलाइट हॉस्पिटल में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर काम कर रहे हैं। सब्जियां उगाने के लिए अजय को कोई अतिरिक्त रूपए खर्चा नहीं करना पड़ता है।
अजय ने बताया कि साल 2017 में जब मैं बाहर खाना खाने गया तो मैंने देखा कि वहां नाले के गंदे पानी से सब्जियां उपजाई जा रही हैं। एक चिकित्सा कर्मी के नाते मुझे पता था कि ये सब्जियां हमारी हेल्थ के लिए कितनी नुकसानदायक है। ये केमिकल युक्त सब्जियां हमारे जीवन में बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं।
अजय ने बताया कि यह सब देखने के बाद ही मैंने खेती करने का फैसला किया । लेकिन समस्या यह थी कि मेरे पास खेती करने के लिए जमीन नहीं थी। फिर मैंने घर की छत पर ही आर्गेनिक फार्मिंग करने का फैसला किया।
अजय के काम में उनके पिता ने उनकी काफी मदद की। शुरुआत में उन्होंने धनिया और पुदीना को उगाया। बाद में अच्छी उपज के बाद उन्होंने इस काम को आगे बढाया। आज अजय अपने घर की छत पर सौ से ज्यादा कंटेनरों में भिंडी, लोकी, टिंडे, टमाटर जैसी ढेरों सब्जियां उगाते हैं और हर महीने लगभग 2 हज़ार रुपए की बचत भी करते हैं।
उन्होंने फसलों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन विधि को अपनाया है। इसके अलावा उन्होंने कीटनाशक के लिए किसी सरायनिक दवा का नहीं बल्कि गोमूत्र और आक के पौध से बने मिश्रण का ही इस्तेमाल करते हैं। अजय आर्गेनिक खेती के जरिए उपज को और बढ़ाना चाहते हैं जिससे खाने में शुद्ध सब्जियां और फल मिल सकें।