राजस्थान का बाड़मेर ज़िला, जहां खेती करना एक चुनौती की तरह है। यहाँ गर्मी में तापमान 51 डिग्री तो सर्दियों में शून्य डिग्री तक पहुंच जाता है। लोगों को कई किलोमीटर की दूरी तय कर के पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। ये ज़िला आपदा प्रभावित (Disaster Affected) क्षेत्रों में आता है। इस लेख में हम आपको बाड़मेर ज़िले के एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पानी की समस्या से जूझ रहे अपने क्षेत्र में न सिर्फ़ फसल रूपी सोना बोया, बल्कि पानी की व्यवस्था और जल प्रबंधन की आधुनिक तकनीकें अपनाईं।
पानी की समस्या को किया दूर
सदुलाराम चौधरी खेती को अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। लीक से हट कर चलने वाले सदुलाराम चौधरी की पूरे इलाके में एक अलग पहचान है। बाड़मेर में कुदरत और मौसम का मिज़ाज तो नहीं बदला, लेकिन सदुलाराम ने अपनी मेहनत और लगन से खेती का तरीका ही बदल दिया।
सदुलाराम चौधरी कहते हैं कि उनके क्षेत्र में खेती करना जैसे मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा है। उनके वहाँ लोग पहले खेती ही नहीं करते थे। रेगिस्तान में पले बढ़े सदुलाराम ने बचपन से ही पानी की कमी से सूखती फसलों को देखा था। इसीलिए हरदम कुछ नया सोचने वाले सदुलाराम ने सबसे पहले पानी की समस्या को सुलझाने की ठानी।
एक 40 फ़ीट ओपन बोरवेल का निर्माण करवाया। इसे बनाने में 50 आदमियों को 15 दिन का समय लगा। पानी मिलना शुरू तो हो गया, लेकिन अभी भी कम था। ऐसे में उन्होंने कम पानी में होने वाली जीरे और इसबगोल की खेती शुरू कर दी। हालांकि, कुछ ही समय बाद नई चुनौतियां आने लगीं। बार-बार पंप खराब हो जाता। छोटा पाइप होने की वजह से पानी ज़्यादा दूरी तक नहीं पहुंच पाता था। इसके लिए उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत करके छोटे पाइपों की मदद से क्यारियां बनाकर फसल तक पानी पहुंचाने का काम किया।
मॉडर्न टेक्नोलॉजी को अपनाया
वक़्त के साथ खेती के बदलते तौर-तरीकों को भी वो अपनाते आए हैं। सदुलाराम चौधरी ने खेती से मॉडर्न टेक्नोलॉजी को भी जोड़ा है। 1999 में उन्होंने अपना पहला ट्रैक्टर खरीदा। इसके पीछे उनकी सोच थी कि मेहनत को जब तकनीक का साथ मिलेगा, तो नतीजा भी बढ़िया आएगा। सदुलाराम चौधरी कहते हैं कि तकनीक के साथ हाथ मिलाकार पहले के मुकाबले उनके खेतों से अच्छी फसल होने लगी।
लोगों ने किया मना, लेकिन फिर भी शुरू की खजूर की खेती
अच्छी फसल मिलने से आमदनी बढ़ी तो आत्मविश्वास भी बढ़ा। हमेशा की तरह लीक से हटकर सोचने वाले सदुलाराम चौधरी ने खेती में एक और नया प्रयोग करने का फैसला किया। ये प्रयोग बाड़मेर में खजूर की खेती करने का था। जब उन्होंने अपने अन्य किसान साथियों को इस प्रयोग के बारे में बताया तो हर किसी ने इसके लिए मना किया। ये कहकर कि यहाँ की मिट्टी खजूर की खेती के लायक नहीं है। सारा पैसा डूब जाएगा। पर सदुलाराम चौधरी अपना मन बना चुके थे।
खेती को बनाया जुनून, नामुमकिन को किया मुमकिन
उनसे पहले कभी किसी ने बागवानी में हाथ नहीं आज़माया था। सदुलाराम को भी पूरी जानकारी नहीं थी। इसके लिए वो 500 किलोमीटर दूर भुज जा पहुंचे और बागवानी की पूरी जानकारी लेकर फिर खजूर की खेती शुरू की। गुजरात के कच्छ की तर्ज पर उन्होंने खजूर के पेड़ लगा दिए और ऐसा करने वाले वो तब अकेले किसान थे। खजूर की बागवानी उनका जुनून बन गया था। सदुलाराम चौधरी कहते हैं-
“मेरा तो ये जुनून था कि मुझे हर हाल में इसको सफल करना है। चाहे 5 साल का वक़्त लगे और तीसरे साल ही मुझे फल मिलने लगे।”
खजूर की 10 किस्मों की करते हैं खेती
आज की तारीख में सदुलाराम चौधरी का नाम राजस्थान में खजूर की बागवानी को सफल बनाने वाले किसानों में शुमार है। इस सफलता के बाद सदुलाराम ने खजूर की अलग-अलग किस्मों के पौधे लगाए। साल दर साल वो सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। आज की तारीख में वो खजूर की करीबन 10 किस्मों की खेती करते हैं।
बनाया ब्रांड, तैयार किया बाज़ार
खजूर का मार्केट भी उन्होंने खुद ही तैयार किया है। खजूर की पैकेजिंग कर वो बाज़ार में बेचते हैं। Seyol Date Farm के नाम से उनके खजूर बाज़ार में बिकते हैं।
किसानों के लिए प्रेरणा
बंजर जमीन से शुरु कर उसे उपजाऊ बनाने वाले सदुलाराम की पहचान अब एक सफल और प्रगतिशील किसान के रूप में होती है। जो किसान पहले उन्हें बागवानी से बचने की सलाह दिया करते थे, आज वो उनसे गुरुमंत्र लेने आते हैं। बाड़मेर जिले में ही कई किसान खजूर के बाग लगा चुके हैं।
सदुलाराम खूजर के साथ-साथ अंजीर की भी बागवानी करते हैं। उनके इंजीनियर बेटे चंद्र प्रकाश चौधरी भी इस काम में उनका हाथ बंटाते हैं। उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए कई सम्मानों से भी नवाज़ा जा चुका है।
ये भी पढ़ें- खजूर की खेती (Date Palm): एक पेड़ से 100 साल तक कमाई, अब्दुल रहमान से जानिए खजूर में ऐसा क्या है ख़ास
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।
- जानिए कैसे इंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि तकनीकों से खेती को नई दिशा दीइंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि में सुपर सीडर, ड्रोन सीडर और रोटावेटर का उपयोग करके मक्का, गन्ना, और धान की फसलें उगाई हैं।
- Food Processing से वंदना ने बनाया सफल बिज़नेस: दिल्ली की प्रेरणादायक कहानीदिल्ली की वंदना जी ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से पारंपरिक भारतीय स्वादों को नया रूप दिया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
- देवाराम के पास 525+ बकरियां, बकरी पालन में आधुनिक तकनीक अपनाईदेवाराम ने डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक छोटे स्तर से की थी, लेकिन वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बाद उनकी डेयरी यूनिट का विस्तार हुआ।