कैसे सुरेंद्र अवाना ने खड़ा किया डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल? योजनाओं का लिया लाभ

राजस्थान के सुरेंद्र अवाना ने डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल अपनाकर देसी गौवंश की महत्ता बढ़ाई और किसानों को प्रेरित किया।

डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल

राजस्थान के डूंगरपुर जिले के भैराणा गांव के निवासी सुरेंद्र अवाना ने डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल अपनाकर वो कदम उठाया, जो किसानों और पशुपालकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने अपने प्रयासों से देसी गौवंश की महत्ता को पुनर्स्थापित किया और अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित किया। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।

शुरुआत और चुनौतियां

सुरेंद्र अवाना का डेयरी फार्मिंग का सफर सिर्फ दो गिर नस्ल की गायों से शुरू हुआ। शुरुआती समय में उन्हें पानी की कमी, उन्नत नस्लों की अनुपलब्धता और गायों की कम उत्पादकता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी।

“शुरुआत में हम बहुत कठिनाइयों से गुजरे। लेकिन मैंने तय किया कि देसी गौवंश को उन्नत करना और इसे आर्थिक लाभ का स्रोत बनाना ही मेरा लक्ष्य होगा।”

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नवीनतम तकनीकों का उपयोग

सुरेंद्र ने डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल अपनाते हुए इसे उन्नत बनाने के लिए नई तकनीकों का सहारा लिया। 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा सेक्स सार्टेड सीमन तकनीक की अनुमति के बाद, उन्होंने इस तकनीक का सफल उपयोग किया। इसके परिणामस्वरूप अब तक 240 बछड़ियों का जन्म हुआ है और 90 गायों का गर्भ परीक्षण सफलतापूर्वक हुआ है।

साथ ही, उन्होंने जैविक हरा चारा उत्पादन पर जोर दिया। उनके फार्म में 24 प्रकार के बहुवर्षीय हरे चारे की खेती होती है। दूध निकालने के लिए उन्होंने डीलेवल कंपनी के मिल्क पार्लर का इस्तेमाल किया।

“उन्नत चारा, बेहतर प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों के कारण हमारी गायों का दूध उत्पादन कई गुना बढ़ गया है।”

डेयरी फार्मिंग में सरकारी योजनाओं का लाभ

सुरेंद्र ने राष्ट्रीय कामधेनु योजना और राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी योजनाओं का सही उपयोग करते हुए डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल अपनाया। उनके चार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट ने डेयरी फार्मिंग में नए मानक स्थापित किए।

“सरकार की योजनाओं से हमें काफी मदद मिली। अगर किसान इन योजनाओं का सही उपयोग करें, तो डेयरी फार्मिंग से उनकी आय चार से आठ गुना तक बढ़ सकती है।”

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

सुरेंद्र का फार्म उनके गांव और आसपास के इलाकों के किसानों के लिए आय का स्रोत बना है। उनके फार्म से हर दिन 500 लीटर दूध का प्रसंस्करण होता है। दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर, घी, दही और मक्खन राज्य भर में लोकप्रिय हैं।

“हमारे उत्पादों की मांग इतनी बढ़ गई है कि अब हमें अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी पड़ रही है। इससे गांव में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।”

कैसे सुरेंद्र अवाना ने खड़ा किया डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल? योजनाओं का लिया लाभ

पुरस्कार और सम्मान

सुरेंद्र अवाना को उनकी उपलब्धियों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:

  1. राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (2021)
  2. राष्ट्रीय हलधर ऑर्गेनिक अवॉर्ड (2019)
  3. राजस्थान सरकार का राज्य स्तरीय पशु पालक प्रथम पुरस्कार (2023)
  4. आईसीएआर का जगजीवनराम इनोवेटिव फार्मर अवॉर्ड (2021)

किसानों के लिए प्रेरणा

सुरेंद्र ने उन्नत तकनीकों और देसी गौवंश पालन की जानकारी अन्य किसानों तक पहुंचाई। हर साल लगभग 5,000 किसान उनके फार्म का दौरा करते हैं।

“हम एक ऐसा मॉडल बनाना चाहते हैं, जिसे पूरे देश में अपनाया जा सके। मेरी कोशिश है कि किसान अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखें।”

भविष्य की योजनाएं

सुरेंद्र का लक्ष्य है कि उनका फार्म डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल बनकर एक सस्टेनेबल मॉडल के रूप में विकसित हो। वे स्वच्छ ऊर्जा और नई तकनीकों का उपयोग करके उत्पादन को और बेहतर बनाना चाहते हैं। साथ ही, वे चाहते हैं कि उनका फार्म एक कृषि प्रशिक्षण केंद्र बने, जहां युवा किसान आधुनिक तकनीकों को सीख सकें।

सुरेंद्र अवाना की कहानी यह साबित करती है कि मेहनत, समर्पण और नवाचार से किसी भी क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। उनकी यात्रा हर उस किसान के लिए प्रेरणा है, जो खेती और पशुपालन को एक लाभदायक व्यवसाय बनाना चाहता है। सुरेंद्र न केवल एक सफल किसान हैं, बल्कि वे “कृषि के सच्चे नायक” भी हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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