व्यक्ति में यदि हौसला और कुछ कर गुज़रने की चाह हो, तो मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी वह जीना सीख जाता है। जैसा की हिमाचल प्रदेश की महिला किसान सुनीता कुमारी ने किया। सिर्फ थोड़ी सी ज़मीन होने के बावजूद वैज्ञानिक तरीके से खेती करके आज वह अपने इलाके के लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं। कभी खुद का गुज़ारा करना मुश्किल था, लेकिन आज वह अपने साथी किसानों की मदद कर रही हैं और अच्छी आदमनी से परिवार के जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है। सुनीता कुमारी ने सब्ज़ियों की नर्सरी बनाकर वैज्ञानिक तरीके से उनकी खेती की और सफल रहीं।
कौन है सुनीता कुमारी?
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की रहने वाली सुनीता कुमारी बेहद गरीब परिवार से हैं। उनके पति घर का खर्च चलाने के लिए साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते थे, जिससे सिर्फ 3000 रुपए प्रतिमाह की आमदनी होती थी। 2007 में उनके पति गंभीर रूप से बीमार हो गए और उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी। ऐसे में सुनीता के सामने परिवार चलाने का गंभीर संकट आ गया। इस हालात में उन्होंने गांव में ही मज़दूरी का काम शुरू कर दिया, मगर इतनी आमदनी से परिवार और बच्चों का खर्च चलाना मुश्किल था। इसलिए उन्होंने खेती करने का फैसला किया और अपनी 2 बीघा ज़मीन पर पहले अनाज उगाने लगीं।
हालांकि खेती में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, मगर उन्होंने हार नहीं मानी और काम जारी रखा। 2008-09 में उन्होंने 3 बीघा ज़मीन लीज़ पर ली और अनाज के साथ ही सब्ज़ियां भी उगाने लगीं और इससे मिले बेहतर मुनाफे से उनका आत्मविश्वास बढ़ा। अब उन्होंने पूरा ध्यान सब्ज़ियों की खेती पर लगाया। इसके अलावा उन्होंने दो जर्सी गाय भी पाली जिससे खेती के लिए खाद की ज़रूरत तो पूरी हो ही जाती थी, साथ ही दूध की बिक्री से उन्हें अतिरिक्त आमदनी होने लगी।
कृषि वैज्ञानिकों से मिली प्रेरणा
2009-10 में सुनीता कुमारी कृषि विज्ञान केंद्र, मंडी के संपर्क में आई और अपनी बाधाओं और खेती के विकल्पों के बारे में विशेषज्ञ से चर्चा की। वहां के वैज्ञानिकों ने उन्हें आमदनी बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से से सब्ज़ियों की नर्सरी बनाकर उगाने की सलाह दी। इसके लिए उन्होंने पहले वोकेशनल ट्रेनिंग और कई कार्यक्रम में हिस्सा लिया जिसके बाद उन्हें सब्ज़ियों की नर्सरी बनाने संबंधी बुनियादी जानकारी के साथ ही अच्छी गुणवत्ता की अधिक उपज प्राप्त करने, खाद, पौधों को कीट और बीमारियों से बचाने के तरीके भी पता चले। इसके बाद 2010 से उन्होंने हाइब्रिड सब्ज़ियों का उत्पादन शुरू किया, जिससे उन्हें अधिक फसल प्राप्त हो रही है।
इन सब्ज़ियों को उगाती हैं
सुनीता कुमारी कई तरह की सब्ज़ियां उगाती हैं। रबी के मौसम में फूलगोभी, ब्रोकली, मूली, पालक, मटर, शलजम और आलू की खेती करती हैं। जबकि खरीफ सीज़न में खीरा, लौकी, करेला, समर स्क्वैश, फ्रेंच बीन, शिमला मिर्च और टमाटर की खेती करती हैं। इतना ही नहीं कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह पर वह बीज के उत्पादन के ज़रिए भी अतिरिक्त कमाई कर रही हैं। वह ककड़ी, लौकी, करेला आदि की पॉली ट्यूब नर्सरी के अलावा प्याज, कोल फसलों और सॉलेनेसियस सब्जियों की वैज्ञानिक तरीके से नर्सरी बनाकर उत्पादन कर रही हैं। वह लगातार कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के संपर्क में रहती है जिससे उन्हें तकनीकी सहयोग मिलता रहता है।
मेहनती और नई तकनीक के प्रति समर्पित
सुनीता न सिर्फ बहुत मेहनती हैं, बल्कि किसी भी नई तकनीक को बहुत जल्दी सीखकर अमल में लाती हैं। वह अपनी खेती और मार्केटिंग की प्रतिदिन की गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल रहती हैं। उन्होंने छोटे किसानों के लिए स्थायी सब्ज़ी खेती प्रणाली (sustainable vegetable farming system) विकसित की जो उनके लिए बहुत कारगर है। सब्ज़ियों के पौधे बेचकर वह 50000 रुपए का मुनाफा कमा रही हैं, जबकि खेत से ताज़ी सब्ज़ियों की बिक्री करने पर उन्हें सालाना 2.30 लाख की आमदनी हो रही है।
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