केले की नर्सरी (Banana Nursery:) अक्सर खेती को लेकर लोगों का एक अलग नजरिया रहा है और लोग इसे घाटे का सौदा बताते हैं। कई किसान इसमें अधिक पैसे खर्च करने के बावजूद भी फसल से अच्छा लाभ नहीं पाते। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे किसान से रूबरू कराएंगे जो केले की नर्सरी से महज एक महीने में ही लाखों कमा रहा है। ये कहानी है कौशाम्बी जिले के किसान विनोद सिंह की।
कौशाम्बी जिले से 25 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में पचामा नाम का एक गांव है और विनोद सिंह इसी गांव के वासी हैं। विनोद सिंह ने वर्ष 2015 में केले की खेती शुरू की थी और उन्हें केले की नर्सरी से काफी अच्छा लाभ मिला।
लेकिन उनके लिए भी ये सफर इतना आसान नहीं रहा शुरुआत में उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा लेकिन वो अपनी मेहनत और समझदारी से आगे बढ़ते रहें। इतना ही नहीं इस समस्या को हल करने के लिए विनोद ने कई जगहों से खेती से सम्बन्धित ट्रेनिंग भी ली और वर्ष 2010 से ही खेती करना शुरू कर दिया।
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विनोद सिंह ने नर्सरी के बारे में बताते हुए कहा की साल 2015 से उन्हें केले की नर्सरी की समझ हुई और खेती को ढ़ंग से समझने में उन्हें तकरीबन चार से पांच वर्ष का समय लगा तब जाकर वो एक सफल किसान बन सकें। इस बार विनोद ने एक हजार स्क्वायर में केले की नर्सरी तैयार की।
केले की नर्सरी से जुड़ी विशेष जानकारी
केले की खेती से आपको काफी मुनाफा हो सकता है और इसके लिए आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा जैसे की भूमि और सही मिट्टी का चयन, पौधे की सिंचाई इत्यादि। एक बार आप इन बातों पर ध्यान देते हैं और सीख लेते हैं तो फिर आप आगे अच्छा प्रोफिट अर्जित कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि केले की खेती किस प्रकार की जाती है।
जलवायु और मौसम का रखें विशेष ध्यान
केले की खेती में आपको जलवायु का विशेष ध्यान रखना होगा। पश्चिमी और उत्तरी भारत में केले रोपन का सही समय मानसून के शुरुआत में होता है यानी जून और जुलाई के महीने में।
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मिट्टी का चयन
केले की खेती हर प्रकार की मिट्टी में हो सकती है लेकिन दोमट मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है।
बीज रोपन
बीज रोपन से पहले जमीन की अच्छी से जुताई कर लें और जमीन तैयार होने के बाद उसमें 50cm लम्बा, 50 cm चौड़ा, 50 cm गहरा गड्ढा खोद लें। बीज रोपन के समय ऊंचे पौधों को 3m और छोटे पौधे को 2m को दूरी पर लगाएं।
खाद प्रबंधन
अच्छे परिणाम के लिए वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए उपचार पर ध्यान दें। पौधे को रोपने के समय गड्ढे में गाय का गोबर (20kg), नाइट्रोजन (100gm), सल्फर (150gm) और पोटाश (150gm) डालें। इस प्रकार बनाई गई खाद से केले के पेड़ पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उससे केले के पेड़ की ग्रोथ अच्छी होती है।
पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले रोग
पनामा रोग (इससे 50% से अधिक फसल खराब हो सकती है), पण चत्ति, बंची टॉप।
उपचार
वैज्ञानिकों के बताए गए प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। यदि इससे समस्या हल न हो तो अपने निकट के कृषि सलाहकार से बात कर उनसे सलाह लें।