साप्ताहिक बाज़ार (Weekly Market): ग्रामीण इलाकों में गरीब महिलाओं को आगे बढ़ाने में स्वयं सहायता समूह की अहम भूमिका है। यह उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने के साथ ही आर्थिक मदद भी प्रदान करता है। कर्नाटक सरकार संजीवनी योजना के तहत ऐसे ही स्वयं सहायता समूह की मदद करती है। गडग ज़िले के राड्डेरा नागनूर ग्राम संघ के अंतर्गत 32 स्वयं सहायता समूह आते हैं। इन स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलायें मिलकर गाँव में ही साप्ताहिक बाज़ार चलाती हैं।
गाँव में ही साप्ताहिक बाज़ार होने की वजह से आपण इन महिलाओं को अपनी उपज बेचने के लिए दूर मंडी या बाज़ार नहीं जाना पड़ता। इससे उनके परिवहन पर लगने वाले खर्च सहित अन्य खर्चों पर बचत होती है।
गांव में बनाया साप्ताहिक बाज़ार
पहले समूहों की महिलाओं को गाँव में ही अपने उत्पाद के लिए बाज़ार ढूंढने में समस्या आती थीं और उन्हें इसके लिए दूर जाना होता था। नतीजतन परिवहन खर्च बढता था और आमदनी कम होती थी। राड्डेरा नागनूर ग्राम संघ के सभी पदाधिकारियों ने संजीवनी योजना के प्रभारी अधिकारियों से आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त किया और फिर एक स्थानीय साप्ताहिक बाज़ार खोलने का फैसला लिया गया, जिससे खरीददारों और महिलाओं दोनों को लाभ हुआ। विक्रेताओं को जहां अपना सामान बेचने में आसानी हुई, वहीं खरीददारों को भी सामान पास में उपलब्ध होने लगा।
बता दें कि राड्डेरा नागनूर ग्राम पंचायत में कुल 702 परिवार रहते हैं। इस पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रड्डेरा नागनूर गाँव में 310 परिवार, खानापुर में 212 परिवार और गंगापुर में 180 परिवार आते हैं, जिनकी कुल आबादी 4050 है।
अच्छा व्यवसाय
साप्ताहिक बाज़ार की शुरुआत 2019 में की गई। बाज़ार लगने के पहले दिन ही 56 व्यापारियों ने हिस्सा लिया और करीब 25 हज़ार से अधिक का व्यवसाय हुआ। कोविड 19 के पहले हर हफ्ते 80 से अधिक व्यापारी इसमें हिस्सा लेते थें। इसका टर्नओवर लगभग 80 हज़ार से भी अधिक था। इससे स्वयं सहायता समूह की गरीब महिलाओं की आमदनी भी बढ़ाने में मदद मिली, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ।
खरीददारों की पसंदीदा जगह
साप्ताहिक बाज़ार खरीरदारों की पसंदीदा जगह के रूप में उभर रहे हैं, जहां उन्हें ताज़ी चीज़ें उपलब्ध हैं और किसानों को भी यहां बिक्री करके अच्छी कीमत मिल रही है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि बाज़ार में कोई मध्यस्थ न हो। चंद व्यापारियों से जिस साप्ताहिक बाज़ार की शुरुआत हुई थी वहां अब करीब 1700 स्वयं सहायता समूह उद्यमी हैं। इस तरह के साप्ताहिक बाज़ार से ग्रामीण आबादी, ख़ासतौर पर महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में बहुत मदद मिली।