मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम संसाधन और कम लागत से आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन के लिए अलग से वक्त देने की भी ज़रूरत नहीं है, इसे खेती और अन्य कार्यों के साथ-साथ आसानी से किया जा सकता है। आंध्रप्रदेश की ललिता रेड्डी सिपाइपेटा कुछ ऐसा ही कर रही हैं। आपको बताते हैं कि कैसे ललिता रेड्डी ने खुद के लिए ऐसी राह बनाई कि आज वह दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
कौन हैं ललिता रेड्डी सिपाइपेटा?
ललिता रेड्डी आंध्रप्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले की रहने वाली महिला किसान हैं जिनके पास खेती की 15 एकड़ जमीन है। परिवार की इस ज़मीन पर वह अलग-अलग तरह की फसलें उगाती हैं, जिनमें धान, नारियल, आम, काजू, मक्का, मूंगफली, काला चना, गन्ना और सब्जियां शामिल हैं। खेती के अलावा ललिता रेड्डी मत्स्य पालन, मुर्गी पालन और डेयरी का व्यवसाय भी करती हैं।
एक साथ खेती और संबद्ध क्षेत्रों में हाथ आजमाने वाली इस प्रगतिशील महिला किसान की ख़ास दिलचस्पी मधुमक्खी पालन है। मधुमक्खी पालन के बारे में खुद को तैयार करने के लिए 2016 में उन्होंने केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र), वेंकटरमन्नागुडेम की ओर से आयोजित एक प्रशिक्षण कैंप में भाग लिया। वहां से उन्हें जो जानकारी मिली, उसके आधार पर मधुमक्खी पालन में अपनी रुचि को व्यवसाय में तब्दील कर लिया।
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शहद प्रोसेसिंग यूनिट के बारे में जानकारी का अभाव
ऐसा नहीं है कि इलाके में लोगों को मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्हें शहद प्रोसेसिंग यूनिट के बारे में पता नहीं था जिससे इस व्यवसाय से अच्छी आमदनी नहीं हो पाती थी। छोटी मधुमक्खी (एपिस फ्लोरिय) और देसी मधुमक्खी (एपिस सिराना इंडिका) पालन इस इलाके में काफी सफल है, लेकिन शहद प्रोसेसिंग यूनिट के बारे में जानकारी के अभाव में मधुमक्खियों के अपशिष्टको बेचना और उसकी मार्केटिंग एक बड़ी चुनौती थी। इसे मद्देनज़र रखते हुए ही केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र), वेंकटरमन्नागुडेम ने वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत की।
कैसे की शुरुआत?
प्रशिक्षण में मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करने वाले लोगों को इस तथ्य से अवगत कराया गया कि शहद बेचने के साथ ही वह बाई प्रोडक्ट्स जैसे पराग इकट्ठा करने, मधुमक्खी के वैक्स को बेचने, रॉयल जेली, विष-डंक आदि बेचकर भी कमाई कर सकते हैं। इस प्रशिक्षण के बाद ही ललिता ने मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करने की सोची। शुरुआत में उन्होंने 8 एपिस मेलिफेरा (मधुमक्खी की प्रजाति) के साथ खेत में ही शुरुआत की। चूंकि वहां आसपास बहुत से फूल थे, इसलिए मधुमक्खियों का विकास तेजी से हुआ।
फिलहाल यहां मधुमक्खी के16 छत्ते हैं जिसमें से हर माह करीब 30 किलोग्राम शहद का उत्पादन हो जाता है। इसे ललिता 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेच रही हैं और मधुमक्खी के वैक्स को भी 300 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रही हैं। इस तरह खेती के साथ इस व्यवसाय से उन्हें हर माह 10500 रुपए की अतिरिक्त आमदनी हो रही है। ललिता को देखकर अन्य किसान भी अधिक कमाई के लिए खेती के साथ मधुमक्खी पालन का आसान व्यवसाय करने के लिए प्रेरित हुए हैं।
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