प्रस्तावना
बरवाला गांव का नाम जब आप सुनते हैं, तो शायद आपको सिर्फ एक साधारण भारतीय गांव का ख्याल आए, लेकिन इस गांव की मिट्टी में एक ऐसी कहानी पनप रही है जो पूरे देश के किसानों को नई राह दिखा रही है। इस कहानी के नायक हैं योगेश कुमा- एक ऐसा किसान जिनकी सोच केवल अपनी फसलों तक सीमित नहीं है, बल्कि वो देश की मिट्टी, पानी और पर्यावरण को भी संवारने का सपना देखते हैं। साथ ही, योगेश गन्ने की प्रोसेसिंग में आधुनिक तरीकों का उपयोग कर न केवल अपनी उपज को बढ़ा रहे हैं, बल्कि किसानों के लिए नए अवसर भी पैदा कर रहे हैं।
योगेश कुमार, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बरवाला गांव के एक समर्पित और नवाचारी किसान हैं, जिन्होंने प्राकृतिक खेती और स्थायी कृषि पद्धतियों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कृषि विज्ञान में बी.एससी की डिग्री प्राप्त कर, योगेश ने खेती के क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाया और रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से दूर रहकर प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित खेती की तकनीकें विकसित की हैं।
प्राकृतिक खेती में कदम
योगेश कुमार ने 2014 से प्राकृतिक खेती की शुरुआत की और इस विधि को सफलतापूर्वक अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उनकी खेती में किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग नहीं होता। वो जीवामृत, नीमास्त्र, और गोबर खाद जैसे जैविक आदानों का प्रयोग करते हैं, जो मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए पोषक तत्वों से भरपूर फसलें प्रदान करते हैं। उनका कहना है कि, “हम बाजार से कुछ भी नहीं खरीदते। सारी चीजें खुद ही तैयार करते हैं।
गन्ने की खेती के साथ प्रोसेसिंग भी
योगेश कुमार मुख्य रूप से गन्ने की खेती करते हैं और इसमें कई नवाचार किए हैं। गन्ने की प्रोसेसिंग कर वो गुड़, खांड, सिरका, कुल्फी, कोल्ड कॉफी जैसे कई उत्पाद तैयार करते हैं, जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हैं। उनका मानना है कि गन्ने की वैल्यू-एडिशन करके किसान अपनी आमदनी को 4 से 5 गुना तक बढ़ा सकते हैं। वे गन्ने के जूस का उपयोग कर कोल्ड कॉफी और कुल्फी जैसे उत्पाद भी तैयार करते हैं, जिन्हें वे स्थानीय मेलों में बेचते हैं। योगेश बताते हैं-
“गन्ने की खेती के साथ जब हम प्रोसेसिंग करते हैं, तो मुनाफा बढ़ता है। हमारे उत्पादों की डिमांड मार्केट में बहुत अच्छी होती है।”
सोलर पंप और ड्रिप इरिगेशन तकनीक का इस्तेमाल
योगेश ने अपने खेत में ड्रिप इरिगेशन और सोलर पंप जैसी तकनीकों का उपयोग करके जल संरक्षण को प्राथमिकता दी है। उनके अनुसार, इन तकनीकों के इस्तेमाल से न केवल जल की बचत होती है, बल्कि फसलों की उत्पादकता भी बढ़ती है। उन्होंने अपने खेत में एक तालाब का निर्माण भी किया है, जिससे उनके क्षेत्र का जल स्तर बढ़ा है।
योगेश कुमार का सफल प्राकृतिक खेती मॉडल
योगेश न केवल खुद प्राकृतिक खेती करते हैं, बल्कि दूसरे किसानों को भी इसका प्रशिक्षण देते हैं। वे किसानों को सिखाते हैं कि कैसे प्राकृतिक खेती अपनाकर अपनी फसलों को रसायनों से मुक्त किया जा सकता है। योगेश का कहना है-
“हमारे यहां दो बार फसलों के दौरान किसान आते हैं और हमारे प्रयोगों को देखते हैं, फिर वे अपने खेतों में इन तकनीकों को अपनाते हैं।”
प्राकृतिक खेती में इनोवेशन के लिए अवॉर्ड
योगेश कुमार को उनके नवाचारी और पर्यावरण हितैषी कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। 2022 में उन्हें CAR नवोमेशी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, 2024 में उन्हें ICAR फेलो अवार्ड और IIFFSR नवोमेशी अवार्ड भी मिला। ये पुरस्कार उनके प्राकृतिक खेती में किए गए नवाचारों और सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के प्रयासों को सराहने के लिए दिए गए।
प्राकृतिक खेती का प्रभाव
योगेश की खेती न केवल उनके परिवार के लिए लाभकारी है, बल्कि यह उनके क्षेत्र के कई दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। वे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों को इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा, गन्ने की प्रोसेसिंग से कई तरह के उत्पाद बनाकर, उन्होंने किसानों को न केवल बेहतर मुनाफा कमाने का तरीका बताया है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों को भी अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। उनका कहना है-
“हमने देखा है कि प्राकृतिक खेती से उत्पादन भले ही थोड़ा कम होता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता बेहतरीन होती है। और जब हम गन्ने के उत्पादों का प्रोसेसिंग करते हैं, तो मुनाफा चार गुना तक बढ़ जाता है।”
प्राकृतिक खेती के साथ ही मछली पालन भी
इसके साथ ही, योगेश ने अपने खेती के क्षेत्र में मछली पालन को भी शामिल किया है। इससे उनकी आय के स्रोत बढ़े हैं और जैव विविधता को भी समर्थन मिला है। मछली पालन के साथ-साथ खेती करना एक समन्वित कृषि प्रणाली को विकसित करने का उनका प्रयास है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके।
योगेश कुमार की सफलता इस बात का उदाहरण है कि कैसे सही दृष्टिकोण और तकनीकों के साथ खेती को न केवल एक लाभकारी व्यवसाय बनाया जा सकता है, बल्कि इसे पर्यावरण के अनुकूल भी किया जा सकता है। उनकी यात्रा बताती है कि प्राकृतिक खेती में निवेश न केवल किसान को आर्थिक रूप से समृद्ध कर सकता है, बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करके आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य की नींव भी रखता है।
आर्थिक और सामाजिक सुधार की दिशा में योगेश का ये सफर दर्शाता है कि खेती का परंपरागत मॉडल बदलकर किस प्रकार खेती एक उन्नत और स्थायी व्यवसाय बन सकती है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि खेती सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी है, जो सही प्रयासों से न केवल किसान के जीवन को बल्कि पूरे समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
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