इस साल नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आहार 2022 (AAHAR 2022) का आयोजन हुआ। भारत व्यापार संवर्धन संगठन (India Trade Promotion Organisation,ITPO) द्वारा आयोजित इस इवेंट में देशभर की कई खाद्य उद्योग (Food Industry) से जुड़ी कंपनियों ने हिस्सा लिया। मेले में न सिर्फ़ बिज़नेस क्षेत्र से जुड़े लोगों ने शिरकत की, बल्कि आम जनता भी भारी संख्या इस मेले को देखने प्रगति मैदान पहुंची।
आहार 2022 में मेरी मुलाकात MoFPI (Ministry of Food Processing Industries) के चार एक्स्पर्ट्स से हुई, जो PMFME का कार्यभार देखते हैं। आज की जानकारी उन सभी लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो खुद की फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करना चाहते हैं। मैंने इन विशेषज्ञों से PMFME स्कीम से जुड़े कई सवाल पूछे, जो किसी भी उद्यमी के लिए अप्लाई करने से पहले जानना ज़रूरी है।
मेरी मुलाकात हुई विभोर शर्मा से, जो MoFPI में PMFME स्कीम के मीडिया प्रभारी हैं। टेक्निकल प्रोफ़ेशनल पद पर नियुक्त आकांक्षा शर्मा से भी मेरी मुलाकात हुई। साथ ही PMFME स्कीम में मैनेजमेंट प्रोफ़ेशनल पद पर नियुक्त प्रतीक कटारिया और असिस्टेंट मैनेजर जैनेन्द्र कुमार से बातचीत की। चलिए अब जानते हैं फ़ूड प्रोसेसिंग से जुड़े ज़रूरी सवालों के सभी जवाब।
सवाल: क्या है PMFME स्कीम?
विभोर शर्मा (मीडिया प्रभारी): ये स्कीम आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जून, 2020 में लॉन्च हुई थी। प्रमुख रूप से इस स्कीम का उद्देश्य छोटे स्तर पर सूक्ष्म इकाइयां (micro units) चला रहे लोगों की मदद करना है। मसलन घर पर कुछ महिलाएं अचार और पापड़ बना रही हैं, लेकिन अब वो अपने उत्पादों को ब्रांड बनाना चाहती है तो ऐसे लघु व्यवसायों को हम मदद दे रहे हैं।
इसमें हम उन्हें तकनीक, ब्रांडिंग और मार्केटिंग में मदद करते हैं। इस स्कीम का मकसद इन इकाइयों को प्रगति के रास्ते पर ले जाना है। जब वो अपने मौजूदा व्यवसाय को अपग्रेड करने के लिए या नई यूनिट लगाने के लिए बैंक से लोन लेते हैं तो उन्हें 35 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जाती है। इसके साथ ही हम उन्हें खाद्य संबंधित ट्रेनिंग भी देते हैं।
सवाल: क्या है One District One Product (ODOP)?
आकांक्षा (टेक्निकल प्रोफ़ेशनल): एक ज़िला एक उत्पाद (One District One Product), ये हमारी स्कीम का एक अहम हिस्सा है। हमने 710 जिलों के लिए एक-एक उत्पाद चुना है। ये हमें राज्य सरकारों द्वारा सुझाए गये हैं। हर ज़िले में एक प्रॉडक्ट का चुनाव करने से मार्केटिंग और उसे बड़े स्तर पर ले जाने में मदद मिलती है। इसमें उदाहरण के तौर पर आगरा का पेठा, दिल्ली में बेकरी, दक्षिण का ज़िला निर्मल में सोयाबीन है। लोगों में एक धारणा ये भी है कि अगर ज़िले में जो प्रॉडक्ट चुना गया है उसके अलावा हम कोई दूसरे प्रॉडक्ट की यूनिट लगाते हैं तो हमें फ़ायदा नहीं मिलेगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
सवाल: ODOP की पहचान कैसे होती है?
आकांक्षा (टेक्निकल प्रोफ़ेशनल): हम जैसे नेशनल लेवल पर बैठते हैं तो हमें ज़्यादातर ज़मीनी स्तर की वास्तविकता की जानकारी नहीं होती। इसमें हम राज्य सरकार की मदद लेते हैं और उन पर विश्वास रखते हैं। इसमें हम राज्य से ज़िलों की लिस्ट मंगवाते हैं और साथ ही कौन सा प्रॉडक्ट का चुनाव किया है, इसकी जानकारी हम उनसे लेते हैं।
इसके लिए वो एक सर्वे करते हैं जिसमें उद्यमी, किसान से मिलते हैं और उनका डाटा लेते हैं। ये भी देखा जाता है कि अगले पांच से दस साल में किस चीज की खेती ज़्यादा होगी। ये भी देखा जाता है कि कितने लोग किस उद्योग से ज़्यादा जुड़े हुए हैं। ये सब लिस्ट हमारे परियोजना कार्यकारी समिति (Project Executive Committee) के पास जाती हैं। इसके बाद निर्णय लिया जाता है।
प्रतीक कटारिया (मैनेजमेंट प्रोफ़ेशनल): इसमें मैं एक बात जोड़ना चाहूंगा कि हम किसी भी उद्यमी के प्रॉडक्ट चुनने में प्रतिबंध नहीं लगा रहे हैं। वो कोई भी प्रॉडक्ट चुन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर वो चाहें जीरा, ब्रेड या अन्य किसी भी तरह की खाद्य से जुड़ी यूनिट लगा सकते हैं। पहले इसमें प्रतिबंध था, लेकिन लोगों की मांग के बाद अब इसमें जल्द ही बदलाव होने वाला है।
सवाल: कैसे मिलेगी ब्रांडिंग और मार्केटिंग में मदद?
विभोर शर्मा (मीडिया प्रभारी): हम उद्यमियों के लिए चीज़ों को आसान बनाना चाहते हैं। हमने स्कीम के अंतर्गत ये प्रावधान दिया है कि एक क्षेत्र में मान लीजिए बहुत सारे छोटे-छोटे किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization, FPOs) हैं या स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups, SHGs) हैं। ये सब एक तरह का प्रॉडक्ट बनाते हैं। ऐसे में ये आपस में जुड़कर एक ब्रांड बना सकते हैं। इसके अंतर्गत हम उन सबको मिलकर ब्रांडिंग और मार्केटिंग में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा, जो मौजूदा अच्छे ब्रांड उस प्रॉडक्ट से संबंधित हैं, उनसे जुड़कर अपने काम को शुरू कर सकते हैं। इसके बाद जैसे-जैसे उनके काम में प्रगति हो वो अपना खुद का ब्रांड भी स्थापित कर सकते हैं। इसके साथ ही वो E-commerce प्लेटफ़ॉर्म पर खुद के प्रॉडक्ट को लिस्ट कर सकते हैं।
प्रतीक कटारिया (मैनेजमेंट प्रोफ़ेशनल): किसी भी एक ग्रामीण इंडस्ट्री के प्रॉडक्ट को देशभर के मार्केट में लाने के लिए जियो मार्ट या अन्य E-commerce प्लेटफ़ॉर्म बहुत ही अच्छे मंच होते हैं। प्रॉडक्ट डेवलपमेंट बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए हमारे पास अलग से टीम है, जो केवल मार्केटिंग और ब्रांडिंग में मदद करती है।
आकांक्षा (टेक्निकल प्रोफ़ेशनल): हमने मार्केटिंग के लिए NAFED और TRIFED के साथ MOU भी साइन किया है। हमने उनसे मार्केटिंग के लिए मदद मांगी है। अगर किसी भी ब्रांड को बड़ी कंपनी से टक्कर लेना है तो हमें उनके मापदंडों से मेल खाना होगा। इनका काम प्रॉडक्ट डेवलपमेंट,पैकेजिंग और अन्य मदद के लिए होता है। इसके अलावा, Amazon के साथ भी MOU साइन किया हुआ है। हम जल्द Flipkart पर भी प्रॉडक्ट्स लिस्ट करने वाले हैं।
सवाल: इन्वेस्ट इंडिया का क्या है रोल?
जैनेन्द्र कुमार (असिस्टेंट मैनेजर): पहले मैं आपको इन्वेस्ट इंडिया के बारे में बता देता हूं। इन्वेस्ट इंडिया, भारत सरकार की वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) द्वारा स्थापित एक कंपनी है। इस कंपनी का उदेश्य भारत में अधिक से अधिक निवेश लेकर आना है। इन्वेस्ट इंडिया का MoFPI के साथ एक MOU साइन हुआ है। हमारा एक ऑनलाइन पोर्टल भी है। इसके तहत हम राज्यों की अलग-अलग पॉलिसी की जानकारी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, हमारे पास हर महीने जीतने भी लोग सवाक पूछते हैं, उसका हम जवाब भी देते हैं और उनका समाधान भी निकालते हैं।