प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन कोरोना काल के बीच इस लक्ष्य को हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं है। आज भी देश का किसान टकटकी लगाए लागत से ज़्यादा दोगुनी कमाई पाने का इंतज़ार कर रहा है। अब सवाल ये है कि क्या इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है?
प्राकृतिक गौ आधारित खेती आमदनी बढ़ाने का ज़रिया
राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले किसान कान सिंह निर्वाण कहते हैं कि हां ये मुमकिन है। उनका दावा है कि किसान की आय दोगुना ही नहीं बल्कि दस गुना तक हो सकती है। उनके पास ऐसे तरीके हैं जिससे किसान 10 गुना आमदनी अर्जित कर सकता है। आप भी ये बात सुनकर चौंक गए होंगे, लेकिन कान सिंह का अनुभव इस बात को प्रमाणित करता है।
कान सिंह निर्वाण प्रधानमंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री की सलाहकार समितियों में शामिल हैं। कान सिंह निर्वाण ने किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में किसानों की आय को 10 गुना कैसे किया जाए, इसके तरीके हमसे साझा किए।
लागत शून्य और मुनाफ़ा 10 गुना
कान सिंह पूरी तरह से प्राकृतिक गौ आधारित खेती करते हैं। वो देश ही नहीं विदेश से आने वाले किसानों और युवाओं को ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग की ट्रेनिंग देते हैं। उनका मानना है कि एक किसान गौ आधारित खेती करके अच्छी फसल उगा सकता है और अच्छी आय अर्जित आय कर सकता है। केमिकल फर्टिलाइज़र के इस्तेमाल से उत्पादन तो बढ़ जाता है लेकिन फसल की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है। किसान को उत्पादन की मात्रा पर नहीं बल्कि उसकी गुणवत्ता पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
गौ आधारित खेती में उत्पादन बहुत बढ़िया होता है और खेती में एक रुपये की भी लागत नहीं आती। खेती में ज़ीरो इनपुट के लिए किसानों को बीज का आपस में आदान-प्रदान करना चाहिए। सब फसलों का बीज अगर किसान नहीं खरीद सकते तो बीज की उपलब्धता के लिए किसान अपना एक समूह बना सकते हैं और बीज को आपस में बांट लें। ऐसे उनका खाद और बीज का पैसा बचेगा।
निशुल्क देते हैं प्रगतिशील किसानों को ट्रेनिंग
किसान की आमदनी को बढ़ाने का जिक्र करते हुए कान सिंह निर्वाण बताते हैं कि किसान का रुपया घर के बाहर नहीं जाना चाहिए, लेकिन बाहर का रुपया किसान के घर ज़रूर आना चाहिए। इस नीति के साथ किसान को काम करने की ज़रूरत है। यही नहीं अगर आप खेती से जुड़ी कोई भी ज़रूरी जानकारी जानना चाहते हैं तो सीधा इनके मोबाइल नंबर 8619140467 पर संपर्क कर सकते हैं । खास बात ये है कि खेती-किसानी सिखाने के लिए कान सिंह कोई पैसे नहीं लेते। वो निशुल्क ये सेवा प्रगतिशील किसानों को दे रहे हैं।
डायरेक्ट मार्केटिंग यानि फ़ायदा ही फ़ायदा
कान सिंह निर्वाण कहते हैं किसानों को दया नहीं मार्केटिंग टिप्स की ज़रूरत है ताकि वो अपनी फसल सही दाम पर बेच सके। किसान सबसे ज़्यादा मार्केटिंग में मार खाता है। निर्वाण सिंह कहते हैं कि किसान को अपनी फसल बेचने के लिए बाज़ार ढूंढने के लिए दर-दर भटकने की ज़रूरत नहीं है। कान सिंह बताते हैं कि उन्होंने खूद आज तक एक रुपया भी सरकार से सब्सिडी का नहीं लिया। डायरेक्ट मार्केटिंग से ही वो अपनी फसल बेचते हैं। कान सिंह बताते हैं वो अपनी फसल का मूल्य खूद तय करते हैं।
अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।