हरिद्वार के ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मशरूम फेस्टिवल (Mushcon International Mushroom festival 2021) में किसानों ने देश-विदेश के विशेषज्ञों से मशरूम की खेती से जुड़ी बारीकियों के बारे में जानकारी ली। खुद महोत्सव के पहले दिन पहुंचे राज्य के कृषि और कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मशरूम उत्पादन में उत्तराखंड को पहले नंबर पर लाना है।
उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन के लिए पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु सबसे बेहतर है और यहां मशरूम उत्पादन बढ़ने से पलायन भी रुकेगा। इसके लिए स्वरोजगार की संभावनाओं को बढ़ाना होगा। मशरूम क्षेत्र के विस्तार से पलायन रोका जा सकता है। उन्होंने हरिद्वार जिले को ‘मशरूम डिस्ट्रिक्ट’ घोषित किया।
एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत लगाई जाएंगी प्रोसेसिंग यूनिट्स
उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को अब एक जिला एक उत्पाद योजना (ODOP) के तहत देश-दुनिया के बाज़ार में पहचान दिलाने का लक्ष्य है। मशरूम भी अब इसके अंतर्गत आएगा। उत्पादों का कारोबार बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उद्योग विभाग के चयनित उत्पादों को जिला स्तर पर ही पैकेजिंग, टेस्टिंग और ब्रांडिंग की सुविधा मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय मशरूम फेस्टिवल 2021 में एक जिला एक उत्पाद योजना को लेकर पूरी जानकारी दी गई।
मशरूम का ही लगेगा नया प्रोसेसिंग यूनिट
हरिद्वार में जो कोई अब नया प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहता है तो वो मशरूम का ही लगेगा। इसका मकसद क्षेत्र में मशरूम की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय में बढ़ोतरी और रोजगार के अवसर पैदा करना है। इसी तरह से देहरादून में अगर कोई नया फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहता है तो वो बेकरी उत्पादों के लिए ही होगा। हालांकि, जो लोग पिछले दो साल से जिस किसी उत्पाद की प्रोसेसिंग कर रहे हैं, वो किसी भी उत्पाद के लिए किसी भी जिले से हो, इस योजना का लाभ ले सकते हैं, लेकिन नए उद्यमियों को एक जिला एक उत्पाद (ODOP) के तहत ही अपना व्यवसाय लगाना होगा।
एक जिला एक उत्पाद के तहत इन्हें मिलेगा लाभ
जो कोई प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं उनके पास पैन कार्ड होना चाहिए, ज़मीन होनी चाहिए। ज़रूरी नहीं कि वो ज़मीन अपनी ही हो क्योंकि इसमें ज़मीन खरीदने के लिए लोन नहीं है। हालांकि, ज़मीन अगर लीज़ पर ले रहे हैं हैं तो उसका अधिकतम तीन साल का क्रय इस योजना के ज़रिए लिया जा सकता है।
35 फ़ीसदी तक सब्सिडी
मशरूम की खेती के लिए इस योजना के तहत 35 फ़ीसदी तक सब्सिडी मिलेगी, जिसकी अधिकतम रकम 10 लाख रुपये है। 35 फ़ीसदी का अनुदान प्रोसेसिंग प्लांट में लगने वाली सभी मशीन, मशीन के लिए लगाने वाले शेड, फाइनल प्रॉडक्ट जहां रखा जाएगा वो जगह और कच्चा माल रखने की जगह पर मिलेगा। ये सब कैपिटल इनवेस्टमेंट में गिना जाएगा।
स्वंय सहायता समूहों को भी बढ़ावा, प्रत्येक सदस्य को 40 हज़ार की सब्सिडी
इस योजना के ज़रिए स्वंय सहायता समूहों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। स्वंय सहायता समूह इस योजना से दो तरीके से लाभ ले सकते हैं। मान लीजिए उन्हें प्रोसेसिंग के लिए कच्चा माल खरीदना है, भंडारण वाली जगह खरीदनी है, बड़े बर्तन खरीदने हैं, इस तरह की चीज़ों पर प्रत्येक सदस्य को इस योजना के तहत 40 हज़ार की सब्सिडी देने का प्रावधान है।
निजी व्यवसाय के लिए जो 10 लाख रुपये की सीमा है वो स्वंय सहायता समूहों के लिए नहीं है। अगर सब्सिडी लागत 10 लाख से ऊपर होती है तो राज्य नोडल एजेंसी वो प्रस्ताव मंत्रालय के पास भेजेगी। केंद्र सरकार से सब्सिडी का पैसा पास होने के बाद मशरूम की खेती के लिए लोन की राशि को मंजूरी मिल जाएगी।