किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता अर्पित दुबे की ख़ास सीरीज़ (भाग-4):
हाल ही में, मैं दिल्ली से सटे गाँव जट खोर के ‘ऑर्गेनिक एकड़’ फ़ार्म पहुंचा। फ़ार्म के फाउंडर लक्ष्य डबास से मुलाकात हुई। इस सीरीज़ के पहले तीन भागों में मैंने आपको लक्ष्य डबास के फ़ार्म में कमाल के देसी जुगाड़ से बने पॉलीहाउस, खरपतवार की समस्या को दूर करने में मददगार वर्मीकम्पोस्ट बेड, ड्रिप इरिगेशन के फ़ायदे, सही बीजों के चयन और जड़ वाली फसलों में बेड लगाने के फायदों के बारे में बताया था।
इस सीरीज़ का पहला भाग आप यहाँ पढ़ सकते हैं: Organic Acre के फाउंडर लक्ष्य डबास से जानिए देसी जुगाड़ से पॉलीहाउस बनाने का तरीका और कीजिये पूरे साल खेती
इस सीरीज़ का दूसरा भाग आप यहाँ पढ़ सकते हैं: Organic Acre: इन बातों का ख्याल रखेंगे तो खेती में होगी तरक्की, लक्ष्य डबास से जानिए उत्पादन बढ़ाने और फसलें बचाने की टिप्स
इस सीरीज़ का तीसरा भाग आप यहाँ पढ़ सकते हैं: Organic Acre: फ़सल का उत्पादन बढ़ाने और पानी की समस्या से बचने के लिए, पढ़िए लक्ष्य डबास के ये सुझाव, विशेष सीरीज़, पार्ट 3
आज मैं आपको सीरीज़ के आखिरी भाग में, ऐसी जानकारियों के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसमें अपनी उपज की मार्केटिंग और उसका मैनेजमेंट करने के बारे में जानेंगे।
विदेशी सब्ज़ियां (exotic vegetables) लगाने के फ़ायदे
मैंने लक्ष्य से पूछा कि अगर कोई विदेशी सब्जियों को लगाना चाहे तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इस पर लक्ष्य ने बताया कि इन्हें उगाने के तरीके में कोई ज़्यादा फर्क नहीं है, बस अलग बीजों का इस्तेमाल करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर गोभी और ब्रोकोली को तैयार होने में एक जैसा ही समय लगता है। लक्ष्य ने आगे बताया कि विदेशी सब्ज़ियों को कम किसान उगाते हैं और इनकी डिमांड अच्छी है, इसीलिए बाज़ार में इनकी अच्छी कीमत मिलती है। टमाटर के साथ उगाये जा सकने वाले चेरी टमाटर (cherry tomato) को ही लें । इसका बीज टमाटर के मुकाबले थोड़ा महंगा है लेकिन रख-रखाव एक जैसा है। बाज़ार में चेरी टमाटर की कीमत लगभग 400-500 रुपये किलो तक मिलती है। यानी टमाटर की लगभग 7 से 8 गुनी।
ज़्यादा बारिश के समय ऐसे कर सकते हैं मैनेजमेंट
इसके बाद मैंने उनसे पूछा कि ज़्यादा बारिश के समय किसान अपनी फसलों को बर्बाद होने से कैसे बचा सकते हैं? इस पर उन्होंने बताया कि किसानों का सबसे जरूरी और मूल्यवान संसाधन ऊपरी 1 इंच की मिट्टी होती है और इसे बचाना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए उन्होंने अपने फार्म में मेड़ अच्छे से बनाये हैं, साथ ही खेत में हर कोन पर छोटे-छोटे रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट ( Rain water Harvesting Pit) भी तैयार किये हैं। उन्होंने बताया कि इससे पानी की स्पीड कम हो जाती है और मिट्टी का कटाव (soil erosion) नहीं होता।
मल्टी-क्रॉपिंग (multi-cropping) क्यों है जरूरी ?
मैंने उनसे पूछा कि किसानों के लिए खेती में क्या मूल मंत्र हो सकता है? उन्होंने बताया कि एक साथ अलग-अलग फ़सल यानि मल्टी-क्रापिंग (Multi-cropping) के तरीके से खेती करनी चाहिए। इसमें लागत ज़्यादा आएगी लेकिन फ़सल बर्बाद होने का जोखिम कम होता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अगर सिर्फ टमाटर की खेती करते हैं और बाज़ार में उसका दाम नहीं मिला तो नुकसान होना संभव है। लेकिन अगर टमाटर के साथ थोड़ी-थोड़ी 4-5 सीज़नल सब्जियां लगाई जाएं तो नुकसान कम किया जा सकता है। बाज़ार में अगर कुछ सब्ज़ियां सस्ती भी बिकीं, तो हो सकता है बाक़ी सब्ज़ियां महंगी बिकें और नुकसान होने से बचा लें।
अपनी उपज की कैसे करें मार्केटिंग ?
मैंने उनसे आख़िर में पूछा कि किसानों के पास मंडी के अलावा क्या विकल्प हैं जहाँ वो अपनी उपज को बेच सकते हैं? इस पर उन्होंने बताया कि आज के समय मे बहुत सारे विकल्प हैं जहां किसान अपनी फ़सल की मार्केटिंग करके बेच सकते हैं। फ़ेसबुक ग्रुप्स (facebook groups), यूट्यूब (youtube) और खुदरा विक्रेताओं (retailers) से भी संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आजकल मॉल और दुकानों में ऑर्गैनिक प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ चुकी है और वहां बिक्री के अलावा नेटवर्किंग का भी मौक़ा मिल जाता है । इसके साथ ही फार्म कैफै (farm cafe) का भी नया कॉन्सेप्ट दिल्ली में चालू हुआ है जिसमें सिर्फ ऑर्गैनिक सब्जियों का इस्तेमाल होता है। वो सुझाव देते हैं कि मार्केटिंग में खुद का नेटवर्क बनाना बहुत जरूरी और इसके लिए सही ग्राहकों को टारगेट करना चाहिए। उन्होंने अपना एक अनुभव भी हमसे साझा किया। कुछ साल पहले उन्होंने नाले पर जाकर भी अपनी सब्जियां बेचीं क्योंकि उन्हें मंडी में सही दाम नहीं मिल पाता था। उन्होंने इससे सीखा और B2C मॉडल अपनाया यानी अपने ग्राहक खुद चुने। इसीलिए किसान भाईयों के लिए उनका सुझाव है कि शुरुआत में पूरी उपज को मंडी में बेचने के अलावा कुछ हिस्सा सीधे अपने रोज के ग्राहकों को या आसपास की कॉलोनी में जाकर बेच सकते हैं। अंत में लक्ष्य अपना मंत्र देते हैं:
“हिम्मत मत हारिये, लगे रहिये
हम कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं” – लक्ष्य डबास
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